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आखर री आँख सूं / सांवर दइया
Kavita Kosh से
आखर री आँख सूं
रचनाकार | सांवर दइया |
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प्रकाशक | स्वस्तिक साहित्य सदन, बीकानेर (राजस्थान) |
वर्ष | 1988 |
भाषा | राजस्थानी |
विषय | कविता |
विधा | मुक्त छंद |
पृष्ठ | 80 |
ISBN | |
विविध | राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के सहयोग से प्रकाशित । |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
आखर अखत : आखर पुसब
- रचाव / सांवर दइया
- थांरै खौळै में / सांवर दइया
- आखर री आंख सूं / सांवर दइया
- अरदास / सांवर दइया
- क सूं कविता / सांवर दइया
- कविता / सांवर दइया
- दो ओळियां पछै / सांवर दइया
- आखर अखत : आखर पुसब / सांवर दइया
- तूं आइजै / सांवर दइया
- जिंदगाणी : दो रूप / सांवर दइया
टाबर ई कथैला
- अर अचाणचक / सांवर दइया
- इक्कीसवीं सदी / सांवर दइया
- मन री नदी / सांवर दइया
- ऊंधो हुयोडो रूंख देख’र / सांवर दइया
- धोरां रो धणियाप / सांवर दइया
- हत्भाग / सांवर दइया
- जायसी री पीड / सांवर दइया
- छळ / सांवर दइया
- घाणी में जुत्यां पछै / सांवर दइया
- जीवण : धुखतो छाणो / सांवर दइया
- केशव केसन अस करी / सांवर दइया
- कूबलो ठूंठ : एक लखाव / सांवर दइया
- अडवो : एक लखाव / सांवर दइया
- शहर : एक बिम्ब / सांवर दइया
- माटी सूखी : माटी डूबी / सांवर दइया
- अपणायत : एक लखाव / सांवर दइया
- रेत खातर / सांवर दइया
- पुटियै राजा रै नांव / सांवर दइया
- सूधी गाय / सांवर दइया
- भाई / सांवर दइया
- टाबर ई कथैला / सांवर दइया
- मांयली आंख / सांवर दइया
- सामै मंडियां पछै / सांवर दइया
- थे जाणो हो / सांवर दइया
रंग रूडा दीठावां सागै
- सिंझ्या: एक चितराम / सांवर दइया
- भोर छोरी खातर / सांवर दइया
- सूरज दड़ी / सांवर दइया
- दिन / सांवर दइया
- हेलो / सांवर दइया
- जीत उच्छब / सांवर दइया
- बारूंमास होळी / सांवर दइया
- रसियो सूरज / सांवर दइया
- ऊमर / सांवर दइया
- भूखै री दीठ में सूरज / सांवर दइया
- पून्यू-अमावस / सांवर दइया
- कठैई रैवै / सांवर दइया
- पूनम / सांवर दइया
- एक चांद : तीन चितराम / सांवर दइया
- चांद: एक चितराम / सांवर दइया
हालतांई याद है
- थारै ताण / सांवर दइया
- मन री आर्ट-गैलेरी में / सांवर दइया
- एक चितराम औ ई / सांवर दइया
- इंयां ई आछी / सांवर दइया
- सांस लेवती रूत / सांवर दइया
- जाणकारी / सांवर दइया
- एक ई ओळी / सांवर दइया
- मूठ अचूक / सांवर दइया
- सम्भाळ’र राख सूं / सांवर दइया
- वढी आंगळी चूसतां / सांवर दइया
- म्हैं आयो जणा / सांवर दइया
- घड़ी हरख भरी / सांवर दइया
- आ सांस जिंयां / सांवर दइया
- इण रम्मत में / सांवर दइया
- अबै तो आव / सांवर दइया
- खुद रो कागद खुद बांचतां / सांवर दइया
- हाल तांई याद है / सांवर दइया
- आंख कैवै तो ई / सांवर दइया