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पहला दिन मेरे आषाढ़ का
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रचनाकार | नईम |
---|---|
प्रकाशक | आलेख प्रकाशन, वी-8, नवीन शाहदरा, दिल्ली-110032 |
वर्ष | 2004 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | नवगीत |
विधा | |
पृष्ठ | 192 |
ISBN | 81-8187-085-9 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- नन्हा मुन्ना बसंत / नईम
- जीवन-भर / नईम
- सगुनपाखी जा बसे / नईम
- ठीक सत्र से पहले / नईम
- पुरवाई के ताने / नईम
- धूप तापते आँगन / नईम
- स्वप्न टूटते रहे / नईम
- मछली-मछली पानी दे / नईम
- आसों के सूरज हों / नईम
- बहस रहे हैं / नईम
- दिन ये ज़ोर-ज़बरदस्ती के / नईम
- तुमने वस्त्र भिगोए / नईम
- रात खाई में पड़ी है / नईम
- दूर से आते ठहाके / नईम
- आओ हम पतवार / नईम
- आकाशे मँडराते / नईम
- सुबह-शाम हम / नईम
- चौके की बोली से हटकर / नईम
- प्रिया हो गई खाँटी गृहिणी / नईम
- ससुरे सुनें, सुनें जामाता / नईम
- अंतरंगा से ख़ारिज / नईम
- गाली से क्या कम हैं / नईम
- टेसू आज प्रसंग हुए हैं / नईम
- जिह्वा पर सरस्वती / नईम
- ढेर सारे प्रश्न पूछ आपने / नईम
- आप मेरी पूछते क्यों / नईम
- सेमलों-से भाई औ / नईम
- लिखना तो चाहा था / नईम
- कहाँ हैं वे पाँव / नईम
- नागर दिन हो न सके / नईम
- दुर्योधन: सुयोधन उवाच / नईम
- ग़लत हाथ के हथियारों ने / नईम
- अक्षर-अक्षर बाँचूँ / नईम
- दीवारों पर खूँटी / नईम
- लिखकर रख छोड़े हैं / नईम
- बिरहा सुबुक-सुबुक रोए है / नईम
- शाम वाली डाक से ख़त / नईम
- अब नहीं लगती निबौली / नईम
- कोशिशें हुई जातीं रेत / नईम
- एक नदी / नईम
- धुँधले प्रतिबिंब / नईम
- काँव-काँव करती / नईम
- पथ पर जो मिला / नईम
- एक भाव, सही दाम / नईम
- प्यार के प्रतीक बंधु / नईम
- पहला दिन मेरे आषाढ़ का(कविता) / नईम
- फूले-फले दिन / नईम
- जाने कब बौराए आम / नईम
- याद तुम्हारी आती / नईम
- आज के बाद / नईम
- आदमी क्यों आज / नईम
- आज अपने आपसे / नईम
- चाँद बेतुका-सा लगता / नईम
- कल तक जो फूली थी / नईम
- किसे आज दोषी ठहराएँ / नईम
- ये हैं नखलिस्तानी / नईम
- आज बहुत महँगा है मरना / नईम
- चूँ-चुनाँचे अगर-मगर / नईम
- हिलीं मसीतें, मंदिर हिलते / नईम
- अपनों से, अपने ही बरबस / नईम
- जब से होश संभाले हमने / नईम
- लटके हुए अधर में जब दिन / नईम
- सुबह गए थे / नईम
- कतई जरूरी नहीं / नईम
- फेर दिनों के / नईम
- लाजिमी तो नहीं था / नईम
- अच्छी तरह याद है मुझको / नईम
- भीड़-भाड़ में / नईम
- कल तक जो सूखी थी / नईम
- हाँ, बबूल में / नईम
- किसे शिकायत नहीं / नईम
- मौसम से ज्यादा बेमौसम / नईम
- आठों पहर, महीनों, बरसों / नईम
- नोटिस या वारंट न आया / नईम
- मन ये हुमक रहा गाने को / नईम
- मेरे ख़त बस ख़त होते हैं / नईम
- रूपमती-सी पावन रेवा / नईम
- बाजबहादुर-रूपमती / नईम
- हो न सका जो / नईम
- लगने जैसा लिखा नहीं कुछ / नईम
- चौपाटी, चौराहों पर / नईम
- चलो कहीं सतपुड़ा / नईम
- शील सतपुड़ा-से / नईम
- हुआ करे है / नईम
- भूलचूक की मुआफ़ी चाहूँ / नईम
- कंधों पर सिर लिए हुए हम / नईम
- वो ओढ़े बगुलों-सी उजली / नईम
- सुर्ख गुलाबों जैसे / नईम
- मुद्दत हुई, न किया-धरा कुछ / नईम
- ऋतुओं के अनुक्रम ही सारे / नईम
- हार की ग़ज़लें बहुत परवाज़ / नईम
- रंजोग़म के साथ चिंताएँ सहेजे / नईम
- टुकड़े-टुकड़े आसमान / नईम
- पूछ रहे हो क्यों ग़ैरों से / नईम
- बिना बात के यूँ ही / नईम
- रह गए परदेस में / नईम
- कहने की बातें ही बातें / नईम
- भरे पेट को पानी / नईम
- लौट आ ओ मूर्खता / नईम
- दिख रहे हैं लोग यूँ / नईम
- रक्त सनी हों सुबहें जिनकी / नईम
- कुछ न कुछ तो करना होगा / नईम
- अगर चितरते रहे चाव से / नईम
- मार रही हैं लोकवेद को / नईम
- किसको कहाँ बताने जाएँ / नईम
- ऐसी क्या मजबूरी / नईम
- जीवित के तो न्याय, धरम / नईम
- अधबने, आधे-अधूरे / नईम
- लुटगई इज़्ज़त / नईम
- भैंस मरे पर घरभर रोए / नईम
- ताज़िरात की धाराओं में / नईम
- चिट्ठी-पत्री, ख़तो-किताबत / नईम
- ये सुनने के लिए अप्रस्तुत / नईम
- वेदवाक्य होना था / नईम
- आज महाजन के पिंजरे में / नईम
- कैसे-कैसे मौसम आए / नईम
- पाँव पूजते थे कल तक जो / नईम
- रेशम की साड़ी / नईम
- किनके हाथों में डफली दूँ / नईम
- बार-बार लिख-लिखकर काटे / नईम
- आवत-जात पनहियाँ टूटीं / नईम
- नानक की पत्तल / नईम
- कैसे ये सोने / नईम
- न जाने वतन आज क्यों / नईम
- जिनकी अपनी पूँजी न कोई / नईम
- सुनो हो भितरिया जी / नईम
- चलो चलें दो-चार क़दम / नईम
- हाथ मार ले गए बहुत-कुछ / नईम
- ढो रहे हम / नईम
- आप आए तो आइए भीतर / नईम
- कोरे सबद उचारे संतो / नईम
- किस कदर खलने लगी हैं / नईम
- दूसरों पर हँस लिए / नईम
- रखे हुए माथे पर महादेश / नईम
- अब तक नहीं लगाए हमने / नईम
- अंतस को औंटे बिना / नईम
- आइए पढ़ आएँ चलकर / नईम
- रात की शक्लें / नईम
- जन्म पर आयोग / नईम
- बाजबहादुर सधे नहीं गर / नईम
- पार गए तो पौबारह हैं / नईम
- ऐसे साँचे रहे नहीं अब / नईम
- ऐसा भी कोई दिन होगा / नईम
- मिला नहीं अवकाश / नईम
- भौंक-भौंक कर चुप हो जाते / नईम
- एक शाम ऐसी भी कोई / नईम
- सही नाम लेने में / नईम
- नमन जुहारों / नईम
- मेरा पता छोड़कर / नईम
- विरल होते जा रहे / नईम
- ज़रा-ज़रा-सी बातों को ले / नईम
- इन अँधेरे-उजालों के बीच / नईम
- चलो चलें उस पार कबीरा / नईम
- चला रहे तीरों की एवज़ / नईम
- दिन अहीर भैरव गाए हैं / नईम
- अलिफ़ सुलगते हुए दिनों के / नईम
- उलझे हुए हिसाब मिले दिन / नईम
- आठ पहर का दाझणा / नईम
- कोस-कोस पर रोटी-पानी / नईम
- कहीं अशोक, कदंब कहीं पर / नईम
- धौरी आसों हुई न गाभिन / नईम
- काशी साधे नहीं सध रही / नईम
- जीवन को जीने की ज़िद में / नईम
- आप अधूरों की कहते / नईम
- क्या कहेंगे लोग / नईम
- कल तक थे जो भरे-भरे / नईम
- पानी बाबा आया / नईम
- पानी दे / नईम
- असुरों से तो जीत गए रण / नईम
- रात महुए-सी / नईम
- लिखना तो चाहे ये टेसूवन / नईम
- भाषा के घिसे-पिटे / नईम
- भीतर से बाहर ही चलो / नईम
- एक भूली बात-सी / नईम
- ठेठ सूनापन बकुल-सा / नईम
- आर-पार भीतर-बाहर से / नईम
- एक छाप चेहरे पर अंकित / नईम
- आसमान में चीलें उड़तीं / नईम
- रह गई माँ क्षीण क्षिप्रा-सी / नईम
- दामन को मल-मलकर धोया / नईम