भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पद-रत्नाकर / भाग- 6 / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
पद
- नीच नराधम होने पर भी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पुत्र-शोक-संतप्त कभी कर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भीषण तम-परिपूर्ण निशीथिनि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- देख दुःख का वेष धरे मैं नहीं डरूँगा तुमसे, नाथ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मृत्यु! भयानक आयी तुम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हैं भरे भगवान मुझमें / हनुमानप्रसाद पोद्दार
व्यवहार-परमार्थ
- अनोखा अभिनय यह संसार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सकल जग हरि कौ रूप निहार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- विश्व-वाटिका की प्रति क्यारी में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- वे हरि सब में बसि रहे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ब्राह्मण-श्वपच, देवता-दानव / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मानव-दानव-गाय-सिंह-करि-काक-मोर बन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ईश्वर में हैं नहीं कभी भी जन्म-मृत्यु / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सकल विश्व में रम रहे लीलामय श्रीराम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जगती में यह जो कुछ भी जड़-चेतन जग है / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सर्वसमर्थ, सर्वके प्रेरक, सर्वशक्ति-निधि, सर्वाधार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हर पदार्थ में देखो हरि को / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रहो सदा पर-हित-निरत / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- माता-पिता-सुसेवक के घर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जो नित सब में देखता / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नभ, अनिल, अनल, जल, पृथ्वी, रवि-शशि-तारे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- एक ‘उपास्य’ देव ही करते / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- निर्गुण-निराकार हैं वे ही / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- विश्व चराचर में जो छाये / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ब्रह्मा सगुण-निर्गुण तथा निराकार-साकार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दुःखालय अनित्य दारुण इस मर्त्यलोक के / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तन की रक्षा करने / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जाग रहे तुम कौन सदा मम निभृत हृदय में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कितने तुम अनुपम अति सुन्दर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्तुति निन्दा, पूजा-घृणा, मधुर मान-अपमान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- है प्रत्येक अभाव-दशा में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- लाभ-हानि, सुख-दुःख, प्रतिष्ठा-निन्दा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मत निराश हो, मत घबरा रे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अमावास्या घोर तममयी देख / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित्य जो भगवान की अति मधुरतम स्मृति में सना / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- माया के प्रवाह में पड़कर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मानव-जीवन में कटुता-कठिनाई / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जानता हूँ पाप है / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तुम ही मेरी हो धन-दौलत / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सहज सुहृद, अतिशय हितकारी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित्य दयामय, मंगलमय प्रभु में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सदा प्रसन्न रहो, तुम देखो सदा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तुम सुखी रहो, संतृप्त रहो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सुखी रहो, नित शान्त रहो तुम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बसें तुहारे हृदय में श्रीराधा-नँदलाल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हो रहो उसके, निरन्तर चरण में चिपटे रहो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भजहिं भावजुत जे सदा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अर्पण कर दो राम को / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मन से नित चिन्तन करो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बरस रही प्रभु-कृपा सभी पर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जो कुछ खाओ, यज्ञ हवन जो करो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिसने देखा कभी हृदय-दृगसे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- करत नहिं क्यों प्रभु पर बिस्वास / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जन्म-मरण के दुःख भयानक से / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अगर चाहते परम शान्ति तो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सेवा करो जगत की तन से / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अपने भले-बुरे का पूरा दे दो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रकृति-जगत के भोग सभी हैं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्राकृत जगत, प्रकृति, माया के खोलो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जग की छोड़े आस / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सकल चराचर विश्वमें / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- धर्म करता है चित पवित्र / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- काम-क्रोध, लोभ-मद-मत्सर-ईर्ष्या / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- एकमात्र प्रभुकी सेवा कर्तव्य कर्म है / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सबमें समझो एक आत्मा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- धन-ऐश्वर्य, सफलता भौतिक / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हरि-पद-पदुम-पराग में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- धर्म मूल पावन परम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहिं ममता, नहिं कामना / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पिता तीर्थ है, जननि तीर्थ है / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- निज सुख की परवाह न करके / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मुख, बाहू, जंघा, चरण / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सत्य वचन हितकर मधुर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- वैश्य जो न्याय-धर्म-सम्पन्न / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- व्रत-उपवास-नियम-तप-तत्पर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पुत्र सुपुत्र वही जो करता नित्य / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पति-सेवा को मानती जो सौभाग्य अपार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- समझकर पत्नी को अर्धान्ग / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भारतीय नर-नारी दोनों का / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिनसे जगती विषय-वासना / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सर्व-शिरोमणि विश्व-सभा के / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- संत महा गुन-खानी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- गुरु यथार्थ में वही / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिसका मन है अमल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रह न गया जिसमें किञ्चित भी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हरिने आदर दिया जिसे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ईश्वर नित्य प्रसन्न-वदन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- यद्यपि तूने किये अनेकों / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्तुति-निन्दा, सुख-दुःख / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- योग-विभूति-सिद्धि’ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जड-चेतन सबमें जो सदा देखता / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रभु-सेवामें ‘अहं’ समर्पित, केवल प्रभुमें / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जगमें जो कुछ भी है मिलता / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- द्वेष-रहित, जो मित्र सभीका / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- काम- ध-लोभ-मद-विरहित / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दभ-मान-मद-पद-यश-वैभवका / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पर-निंदा मिथ्या करि मानै / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिनके परस-दरस-सुमिरन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं जरा भी जिनमें ममता / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित्य ‘ज्ञानमय’, ‘नित्य ज्ञान’ जो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मिलता नहीं बिना हरि की अनुकपा के पावन सत्सन्ग / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सुख-दुःखोंसे रहित भागवत-जीवन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- निर्गुण-निराकारके साधक पाते हैं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मानवका है चरम परम शुचि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मानव वह जो करता है मानव / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- माता, पिता, देव, गुरु, गुरुजन, गौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पाता है जो जीवनमें सर्वत्र सदा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मानव-जीवनका है पावन एकमात्र / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मानव-जीवन मूल्यवान यह बीता / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्रेय परम मानव-जीवन का / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भोग अनित्य, अपूर्ण सदा हैं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- इन्द्रिय के सब भोग विविध भीषण / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- चाहे हों कितने ही विद्या-कला / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मन मति साविक रहे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जबतक यह आस्था है मनमें / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दुर्लभ मानव-तन मिला / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- विश्व-चराचरमें है व्यापक नित्य / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जन्म-मरण के चक्र घोर का / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मानव! मानवता धारण कर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मानव आज बन गया दानव / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भय, व्याकुलता, क्रोध, निराशा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्राणिमात्र में बस रहे एकमात्र भगवान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- घोर अविद्या, जो मानवको / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राष्ट्रों में हो प्रेम परस्पर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सबके प्रभु! सर्वान्तर्यामी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- द्वेष-अमर्ष-वैर-हिंसा-प्रतिहिंसा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- देवाराधन करें-करायें निज-निज / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सत्य, अहिंसा, सेवा, संयम, सबके / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सत्य-धर्म-रत, अनासक्त / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- गाली सुनकर भी, जो मन में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दुःख पराया जिसका सुख हो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मन वशमें हो, इन्द्रिय-निग्रह / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- विजयी वही, स्वतन्त्र वही है / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिसके मन बसते सदा काम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पर-दुख को निज-दुःख समझकर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सब बिधि सौं सेवा करै / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- देश मैं है, देश मैं हूँ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जब तक भोगों की खोज रही / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पर-सुख में दुख, पर-दुख में सुख / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिनसे तृष्णा-कामना बढ़ती / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिनका हो परिणाम पराये-अपने / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- धन, जन, पद, अधिकार, कीर्ति-यशसावधान रह, रहो देखते भाव / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राह पड़े सूखे तृणसे भी जो राग, काम, मद, लोभ, भय, इरिषा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- वर्ण-जाति, धन-जन, यौवन-अधिकार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- संयम-नियम-पूर्ण जीवन हो सदाचार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्राणिमात्रसे द्वेषरहित रह / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अहित, असत्य, व्यर्थ, कटु, निन्दायुत / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मन-इन्द्रिय-शरीर-सबके हैं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तन-इन्द्रियको वशमें रखना / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मनको वश कर, रहो नित राग / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मन-इन्द्रियको वशमें र?खो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पर हितको निज अहित मानता / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भजन-धनको छोडक़र और / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रेम-भजन ही असली धन है / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- छिन-छिन हरि-सुमिरन करौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जो तू चाहे शान्ति-सुख / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- विषय-बासना तममयी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- करते रहो निरन्तर प्रतिदिन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भगवच्चिन्तन, सत्-चिन्तन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जगत में कीजै यों यवहार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पुत्र पितामें देखे ईश्वर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जीव चराचरमें बसे एकमात्र / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भगवानने दी जो परिस्थिति / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सा कभी न ‘असत्’ की / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- इह-पर दोनों लोकमें जो चाहो कल्यान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रखो मत आसक्ति कर्ममें / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सबका नित आदर करो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हित-मित-सत्य-मधुर नित / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तन-मन-धन सौं कीजिये / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दया देखती नहीं जाति-कुल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- परम ोष्ठ जन समुद / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- देखो दुःखी-दीन-आर्त-रोगीमें / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सत्य-धर्मसे अल्प भी निर्मल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सबमें देखो निज आत्माको / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जो निर्भर करता प्रभुपर ही / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जीवनके सर्वोम काम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मन सत-संगति नित कीजै / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिनसे बढ़े तमोगुण तमकर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दुर्जन-संग कबहुँ नहिं कीजै / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कभी न चाहो, किसी व्यक्तिञ्से कुछ भी सेवा। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जो कुछ मिला, मिल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जो कुछ भी है मिला तुम्हें, उस / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जो कुछ है, मिलता है तुमको / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- वस्तुमात्र जो तुम्हें मिली है / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मिले तुम्हें जो तन-मन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भूखे जनको अन्न-दान दो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- डरे हुएको अभय-दान दो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जहाँ ‘घृणा’-’संदेह’ भरे हैं, वहाँ ‘प्रेम’ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- वैरीको दो क्षमा, मित्रको / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भूलो-हुआ कभी जो तुमसे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- विपद-पड़े असहाय दीनका / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कभी परायी वस्तुपर मत / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सबको शुभ संकेत सदा दो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित करो भला ही सब / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दया करो तुम जीवमात्रपर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दुःख-अहित-उद्वेगकर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रक्षा करो पराधिकारकी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- करो सत्य व्यवहार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सुखियोंका सुख है दुखियोंके / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मत हँसो, किसीको गिरते / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- करो न पर-दोषोंका चिन्तन-कथन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मत देखो, किसके अंदर है / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- देखो अपने दोष, न देखो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- देखो नहीं, करो मत चिन्तन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- उाम वह जो पर-दोषोंको / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- है सौभाग्यवान पुण्यात्मा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जैसा बीज, बहुत-से होते फल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अपने लिये चाहते सबसे तुम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- शुद्ध कमाई अपने श्रमकी करती / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- धनका साधन, प्राप्ति, वृद्धि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कर प्रमाद मत बनो आलसी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- धनासक्त मानवमें होते धनके / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सुर-ऋषि-पितर-मनुज / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जीवन, तन, मन, वचन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कबतक ड्डँञ्से रहोगे विषयासक्ति / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राखै अपुने कौं सदा भगवत् / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मिला हुआ जो न्यायोपार्जित / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मांस, मद्य, अंडे, अशुचि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मानव, पशु, पक्षी, लता, पादप / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कभी न करो किसी भी प्राणीकी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जैसे कर्म किये जीवनभर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मृत्यु-समयकी अनुपम सेवा-मनसे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भूत-प्रेतकी पूजा करता / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- काम-लोभ-बस कोप करि, करत जो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पापका धन सदा रह सकता / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- क्रञेध है बहुत बड़ा शैतान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मित्रोंको नहिं दोष दीखते / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाम-रूपका बना हुआ है / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिसमें नहीं विनय, ऋञ्जुता / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हो शरीर सेवा-संयममय, वाणी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अस्थि-चर्म-मात्र, नर-कङङ्काल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पहले ‘मैं’, फिर ‘मेरी पार्टी’ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- देश-धर्मको भूले, भूले / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- धर्महीन जीवन पशु-जीवन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- काम-भोग-पर केवल जब / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- महापुरुष, योगी बने, प्रेमी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दुःखोंसे है भरा हुआ यह क्षणभङङ्गुर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिस मानव-शरीरमें होते सिद्ध / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जबसे बना हमारे जीवनका / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- लक्ष्य भूल मानव जीवनका / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सत्य ढक गया है अब तमसे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जीवन ऊँचे स्तर का हो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- है सब जीवों में एक आत्मचैतन्य / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हुए विदेशी हम स्वदेशमें / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- देशमें ही आज हम पूरे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नभमें शद भर रहे सारे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मानवके हैं प्राण-आत्मा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दभ-मान-मदयुक्त / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- धन-दौलत, अधिकार-मान से / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- धरकर वेश त्यागियों का जो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हो गया उनका, वही / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जबहि तें मोहन दृष्टि पर्यो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मिले पै मन की नहीं गई / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रेम-सिरोमनि, प्रेम-मनि / हनुमानप्रसाद पोद्दार