भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मधुज्वाल / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
					
										
					
					छो ("मधुज्वाल / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))  | 
				|||
| (इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 7 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
| पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
|भाषा=हिन्दी  | |भाषा=हिन्दी  | ||
|विषय=कविताएँ  | |विषय=कविताएँ  | ||
| − | |शैली=  | + | |शैली=  | 
|पृष्ठ=१८२  | |पृष्ठ=१८२  | ||
| − | |ISBN=  | + | |ISBN=  | 
| − | |विविध=  | + | |विविध=यह उमर ख़ैयाम की रुबाइयों का फ़ारसी से हिन्दी में अनुवाद है।  | 
}}  | }}  | ||
* [[प्रिय बच्चन को / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[प्रिय बच्चन को / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
| पंक्ति 30: | पंक्ति 30: | ||
* [[मदिराधर रस पान कर रहस / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[मदिराधर रस पान कर रहस / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
* [[हंस से बोली व्याकुल मीन / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[हंस से बोली व्याकुल मीन / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
| − | * [[ज्ञानोज्वल जिनका   | + | * [[ज्ञानोज्वल जिनका अंतस्तल / सुमित्रानंदन पंत]]  | 
* [[मदिर अधरों वाली सुकुमार / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[मदिर अधरों वाली सुकुमार / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
* [[अधर मधु किसने किया सृजन / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[अधर मधु किसने किया सृजन / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
* [[उमर दिवस निशि, काल और दिशि / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[उमर दिवस निशि, काल और दिशि / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
* [[छूट जाएँ जब तन से प्राण / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[छूट जाएँ जब तन से प्राण / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
| − | * [[अधर घट में भर मधु   | + | * [[अधर घट में भर मधु मुसकान / सुमित्रानंदन पंत]]  | 
* [[तुम ऋतुपति प्रिय सुघर कुसुम चय / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[तुम ऋतुपति प्रिय सुघर कुसुम चय / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
* [[यहाँ नीलिमा हँसती निर्मल / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[यहाँ नीलिमा हँसती निर्मल / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
| पंक्ति 75: | पंक्ति 75: | ||
* [[उमर रह धीर वीर बन रह / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[उमर रह धीर वीर बन रह / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
* [[राह में यों मत चल खै़याम / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[राह में यों मत चल खै़याम / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
| − | * [[  | + | * [[तरुण साक़ी भी हो जो साथ / सुमित्रानंदन पंत]]  | 
* [[उमर पी साँस साँस में चाह / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[उमर पी साँस साँस में चाह / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
* [[विरह व्यथित मन साक़ी तत्क्षण / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[विरह व्यथित मन साक़ी तत्क्षण / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
| पंक्ति 101: | पंक्ति 101: | ||
* [[अंबर फिर फिर क्या करता स्थिर / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[अंबर फिर फिर क्या करता स्थिर / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
* [[हुआ इस जग में ऐसा कौन / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[हुआ इस जग में ऐसा कौन / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
| − | * [[  | + | * [[अगर साक़ी तेरा पागल / सुमित्रानंदन पंत]]  | 
* [[स्नेहमय हुआ हृदय का दीप / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[स्नेहमय हुआ हृदय का दीप / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
* [[उमर क्यों मॄषा स्वर्ग की तृषा / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[उमर क्यों मॄषा स्वर्ग की तृषा / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
| पंक्ति 122: | पंक्ति 122: | ||
* [[नवल हर्षमय नवल वर्ष यह / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[नवल हर्षमय नवल वर्ष यह / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
* [[फूलों के कोमल करतल पर / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[फूलों के कोमल करतल पर / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
| − | * [[मादक स्वप्निल   | + | * [[मादक स्वप्निल प्याला फेनिल / सुमित्रानंदन पंत]]  | 
* [[मधु के घन से, मंद पवन से / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[मधु के घन से, मंद पवन से / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
* [[सरित पुलिन पर सोया था मैं / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[सरित पुलिन पर सोया था मैं / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
| पंक्ति 166: | पंक्ति 166: | ||
* [[सतत यत्न कर सुख हित कातर / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[सतत यत्न कर सुख हित कातर / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
* [[हाय, चुक गया अब सारा धन / सुमित्रानंदन पंत]]  | * [[हाय, चुक गया अब सारा धन / सुमित्रानंदन पंत]]  | ||
| − | * [[  | + | * [[धर्म वंचकों को यदि मुझसे / सुमित्रानंदन पंत]]  | 
| − | + | * [[दो शब्दों में कह दूँ तुमसे / सुमित्रानंदन पंत]]  | |
| − | + | ||
| − | + | ||
| − | + | ||
| − | * [[ / सुमित्रानंदन पंत]]  | + | |
21:57, 31 मई 2010 के समय का अवतरण
मधुज्वाल

| रचनाकार | सुमित्रानंदन पंत | 
|---|---|
| प्रकाशक | भारती भंडार, लीडर प्रेस, प्रयाग | 
| वर्ष | १९४७ | 
| भाषा | हिन्दी | 
| विषय | कविताएँ | 
| विधा | |
| पृष्ठ | १८२ | 
| ISBN | |
| विविध | यह उमर ख़ैयाम की रुबाइयों का फ़ारसी से हिन्दी में अनुवाद है। | 
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- प्रिय बच्चन को / सुमित्रानंदन पंत
 - रे जागो, बीती स्वप्न रात! / सुमित्रानंदन पंत
 - खोल कर मदिरालय का द्वार / सुमित्रानंदन पंत
 - प्रीति सुरा भर, साक़ी सुन्दर / सुमित्रानंदन पंत
 - हाय, कोमल गुलाब के गाल / सुमित्रानंदन पंत
 - मदिराधर कर पान / सुमित्रानंदन पंत
 - वह अमृतोपम मदिरा, प्रियतम / सुमित्रानंदन पंत
 - बैठ, प्रिय साक़ी, मेरे पास / सुमित्रानंदन पंत
 - वृथा यह कल की चिन्ता, प्राण / सुमित्रानंदन पंत
 - मदिराधर कर पान, सखे! / सुमित्रानंदन पंत
 - राह चलते चुभता जो शूल / सुमित्रानंदन पंत
 - सुरालय हो मेरा संसार / सुमित्रानंदन पंत
 - मदिराधर रस पान कर रहस / सुमित्रानंदन पंत
 - हंस से बोली व्याकुल मीन / सुमित्रानंदन पंत
 - ज्ञानोज्वल जिनका अंतस्तल / सुमित्रानंदन पंत
 - मदिर अधरों वाली सुकुमार / सुमित्रानंदन पंत
 - अधर मधु किसने किया सृजन / सुमित्रानंदन पंत
 - उमर दिवस निशि, काल और दिशि / सुमित्रानंदन पंत
 - छूट जाएँ जब तन से प्राण / सुमित्रानंदन पंत
 - अधर घट में भर मधु मुसकान / सुमित्रानंदन पंत
 - तुम ऋतुपति प्रिय सुघर कुसुम चय / सुमित्रानंदन पंत
 - यहाँ नीलिमा हँसती निर्मल / सुमित्रानंदन पंत
 - सुनहले फूलों से रच अंग / सुमित्रानंदन पंत
 - इस जीवन का भेद / सुमित्रानंदन पंत
 - फेन ग्रथित जल हरित शष्प दल / सुमित्रानंदन पंत
 - हृदय जो सदय प्रणय आगार / सुमित्रानंदन पंत
 - चपल पलक से कुटिल अलक से / सुमित्रानंदन पंत
 - भला कैसे कोई निःसार / सुमित्रानंदन पंत
 - रम्य मधुवन हो स्वर्ग समान / सुमित्रानंदन पंत
 - वन माला में जो गुल लाला / सुमित्रानंदन पंत
 - उमर दो दिन का यह संसार / सुमित्रानंदन पंत
 - मधुऋतु चंचल, सरिता ध्वनि कल / सुमित्रानंदन पंत
 - उमर कर सब से मृदु बर्ताव / सुमित्रानंदन पंत
 - लज्जारुण मुख बैठी सम्मुख / सुमित्रानंदन पंत
 - मधुर साक़ी, भर दे मधु पात्र / सुमित्रानंदन पंत
 - पंचम पिकरव, विकल मनोभव / सुमित्रानंदन पंत
 - सुरा पान से, प्रीति गान से / सुमित्रानंदन पंत
 - अधर सुख से हों स्पंदित प्राण / सुमित्रानंदन पंत
 - अंगों में हो भरी उमंग / सुमित्रानंदन पंत
 - बंधु, चाहता काल / सुमित्रानंदन पंत
 - पूछते मुझसे, ऐ खैयाम / सुमित्रानंदन पंत
 - कल कल छल छल सरिता का जल / सुमित्रानंदन पंत
 - उमर मत माँग दया का दान / सुमित्रानंदन पंत
 - प्रणय लहरियों में सुख मंथर / सुमित्रानंदन पंत
 - पाप न कर खै़याम / सुमित्रानंदन पंत
 - सरिता से बहते जाते / सुमित्रानंदन पंत
 - दुख से मथित व्यथित यदि तू चित / सुमित्रानंदन पंत
 - मदिराधर चुंबन प्रसन्न मन / सुमित्रानंदन पंत
 - स्तुत्य यदि तेरे काम / सुमित्रानंदन पंत
 - अपना आना किसने जाना / सुमित्रानंदन पंत
 - मद से कंपित मदिराधर स्मित / सुमित्रानंदन पंत
 - कितने ही कल चले गये छल / सुमित्रानंदन पंत
 - प्रिये, गाओ बहार के गान / सुमित्रानंदन पंत
 - मुझे यदि मिले स्वर्ग का द्वार / सुमित्रानंदन पंत
 - चंचल शबनम सा यह जीवन / सुमित्रानंदन पंत
 - कहाँ वह करुणा करुणागार / सुमित्रानंदन पंत
 - हे मेरे अमर सुरावाहक / सुमित्रानंदन पंत
 - उमर रह धीर वीर बन रह / सुमित्रानंदन पंत
 - राह में यों मत चल खै़याम / सुमित्रानंदन पंत
 - तरुण साक़ी भी हो जो साथ / सुमित्रानंदन पंत
 - उमर पी साँस साँस में चाह / सुमित्रानंदन पंत
 - विरह व्यथित मन साक़ी तत्क्षण / सुमित्रानंदन पंत
 - ढालता रहता वह अविराम / सुमित्रानंदन पंत
 - श्यामल दूर्वा पुलकित भूतल / सुमित्रानंदन पंत
 - मीना की ग्रीवा से झर झर / सुमित्रानंदन पंत
 - चंचल जीवन स्रोत / सुमित्रानंदन पंत
 - यह जग मेघों की चल माया / सुमित्रानंदन पंत
 - प्रेम के पांथ वास में आज / सुमित्रानंदन पंत
 - स्वर्गिक अप्सरि सी प्रिय सहचरि / सुमित्रानंदन पंत
 - विरह मंथित उर का आमोद / सुमित्रानंदन पंत
 - सुरा में दुरा स्वर्ग का सार / सुमित्रानंदन पंत
 - विश्व वीणा का जो कल गान / सुमित्रानंदन पंत
 - प्रणय का हो उर में उन्मेष / सुमित्रानंदन पंत
 - तुम्हारा रक्तिम मुख अभिराम / सुमित्रानंदन पंत
 - मधुर साक़ी, उर का मधु पात्र / सुमित्रानंदन पंत
 - यह हँसमुख मृदु दूर्वादल है / सुमित्रानंदन पंत
 - उस हरी दूब के ऊपर / सुमित्रानंदन पंत
 - मनुज कुछ धन में जिनके प्राण / सुमित्रानंदन पंत
 - जिसके प्रति अपनाव / सुमित्रानंदन पंत
 - यदि तेरा अंचल वाहक / सुमित्रानंदन पंत
 - इस पल पल की पीड़ा का / सुमित्रानंदन पंत
 - वह प्याला भर साक़ी सुन्दर / सुमित्रानंदन पंत
 - पान करना या करना प्यार / सुमित्रानंदन पंत
 - अंबर फिर फिर क्या करता स्थिर / सुमित्रानंदन पंत
 - हुआ इस जग में ऐसा कौन / सुमित्रानंदन पंत
 - अगर साक़ी तेरा पागल / सुमित्रानंदन पंत
 - स्नेहमय हुआ हृदय का दीप / सुमित्रानंदन पंत
 - उमर क्यों मॄषा स्वर्ग की तृषा / सुमित्रानंदन पंत
 - जब तुम किसी मधुर अवसर पर / सुमित्रानंदन पंत
 - बाला सुन्दर हाला घट भर / सुमित्रानंदन पंत
 - तंद्रित तरुतल छाया शीतल / सुमित्रानंदन पंत
 - मुख छवि विलोक जो अपलक / सुमित्रानंदन पंत
 - प्रिया तरुणी हो, तटिनी कूल / सुमित्रानंदन पंत
 - जगत छलना की उन्हें न चाह / सुमित्रानंदन पंत
 - मेरी मधुप्रिय आत्मा प्रभुवर / सुमित्रानंदन पंत
 - पान पात्र था प्रेम छात्र / सुमित्रानंदन पंत
 - वह हृदय नहीं / सुमित्रानंदन पंत
 - अगर हो सकते हमको ज्ञात / सुमित्रानंदन पंत
 - चाँद ने मार रजत का तीर / सुमित्रानंदन पंत
 - छलक नत नीलम घट से मौन / सुमित्रानंदन पंत
 - गगन के चपल तुरग को साध / सुमित्रानंदन पंत
 - मधु के दिवस, गंधवह सालस / सुमित्रानंदन पंत
 - सलज गुलाबी गालों वाली / सुमित्रानंदन पंत
 - कितने कोमल कुसुम नवल / सुमित्रानंदन पंत
 - नवल हर्षमय नवल वर्ष यह / सुमित्रानंदन पंत
 - फूलों के कोमल करतल पर / सुमित्रानंदन पंत
 - मादक स्वप्निल प्याला फेनिल / सुमित्रानंदन पंत
 - मधु के घन से, मंद पवन से / सुमित्रानंदन पंत
 - सरित पुलिन पर सोया था मैं / सुमित्रानंदन पंत
 - निभृत विजन में मेरे मन में / सुमित्रानंदन पंत
 - उमर तीर्थ यात्री ज्यों थककर / सुमित्रानंदन पंत
 - तू प्रसन्न रह महाकाल यह / सुमित्रानंदन पंत
 - मेरे नयनों के आँसू का / सुमित्रानंदन पंत
 - यदि मदिरा मिलती हो तुझको / सुमित्रानंदन पंत
 - छोड़ काज, आओ मधु प्रेयसि / सुमित्रानंदन पंत
 - वह मनुष्य जिसके रहने को / सुमित्रानंदन पंत
 - तूस और क़ाऊस देश से / सुमित्रानंदन पंत
 - बिन्दु सिन्धु से उमर विलग हो / सुमित्रानंदन पंत
 - वीणा वंशी के दो स्वर जब / सुमित्रानंदन पंत
 - सुरापान को, प्रणय गान को / सुमित्रानंदन पंत
 - प्रिये, तुम्हारी मृदु ग्रीवा पर / सुमित्रानंदन पंत
 - हे मनुष्य, गोपन रहस्य यह / सुमित्रानंदन पंत
 - बाहर भीतर ऊपर नीचे / सुमित्रानंदन पंत
 - तेरा प्रेम हृदय में जिसके / सुमित्रानंदन पंत
 - लाओ हे लज्जास्मित प्रेयसि / सुमित्रानंदन पंत
 - मदिर नयन की, फूल वदन की / सुमित्रानंदन पंत
 - उस गुलवदनी को पाकर भी / सुमित्रानंदन पंत
 - अंधकार में लिखा हुआ जो / सुमित्रानंदन पंत
 - आतप आकुल मृदुल कुसुम कुल / सुमित्रानंदन पंत
 - उमर न कभी हरित होगा फिर / सुमित्रानंदन पंत
 - अंध मोह के बंध तोड़कर / सुमित्रानंदन पंत
 - जिसके उर का अंध कूप / सुमित्रानंदन पंत
 - साक़ी ईश्वर है करुणाकर / सुमित्रानंदन पंत
 - हाय, कहीं होता यदि कोई / सुमित्रानंदन पंत
 - प्रिये, तुम्हारे बाहु पाश के / सुमित्रानंदन पंत
 - शीतल तरु छाया में बैठे / सुमित्रानंदन पंत
 - मेरी आत्मा जो कि तुम्हारी / सुमित्रानंदन पंत
 - तेरे करुणांबुधि का केवल / सुमित्रानंदन पंत
 - तेरी क़ातिल असि से मेरा / सुमित्रानंदन पंत
 - इस जग की चल छाया चित्रित / सुमित्रानंदन पंत
 - निस्तल यह जीवन रहस्य / सुमित्रानंदन पंत
 - सौ सौ धर्मांधों से बढ़ कर / सुमित्रानंदन पंत
 - बुझता हो जीवन प्रदीप का / सुमित्रानंदन पंत
 - सुनता हूँ रमजान माह का / सुमित्रानंदन पंत
 - मधु बाला के साथ सुरा पी / सुमित्रानंदन पंत
 - लताद्रुमों खग पशु कुसुमों में / सुमित्रानंदन पंत
 - यहाँ उमर के मदिरालय में / सुमित्रानंदन पंत
 - आह, समापन हुई प्रणय की / सुमित्रानंदन पंत
 - सतत यत्न कर सुख हित कातर / सुमित्रानंदन पंत
 - हाय, चुक गया अब सारा धन / सुमित्रानंदन पंत
 - धर्म वंचकों को यदि मुझसे / सुमित्रानंदन पंत
 - दो शब्दों में कह दूँ तुमसे / सुमित्रानंदन पंत
 
	
	