पद काव्य रचना की गेय शैली है। इसका विकाश लोकगीतों की परंपरा से माना जाता है। यह मात्रिक छन्द की श्रेणी में आता है। प्राय: पदों के साथ किसी न किसी राग का निर्देश मिलता है। पद विशेष को सम्बन्धित राग में ही गाया जाता हैा "टेक" इसका विशेष अंग है। हिन्दी साहित्य में पद शैली की दो परम्पराएँ मिलती हैं। एक सन्तों के "सबदों" की दूसरी कृष्णभक्तों की पद-शैली है, जिसका आधार लोकगीतों की शैली होगा।
मध्यकाल में भक्ति भावना की अभिव्यक्ति के लिए पद शैली का प्रयोग हुआ। सूरदास का समस्त काव्य-व्यक्तित्व पद शैली से ही निर्मित है। "सूरसागर" का सम्पूर्ण कवित्वपूर्ण और सजीव भाग पदों में है।
परमानन्ददास, नन्ददास, कृष्णदास, मीरांबाई, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र आदि के पदों में सूर की मार्मिकता मिलती है। तुलसीदास जी ने भी अपनी कूछ रचनाएँ पदशैली में की हैं। वर्तमान में पदशैली का प्रचलन नहीं के चरावर है परन्तु सामान्य जनता और सुशिक्षित जनों में सामान्य रूप से इनका प्रचार और आकर्षण है।
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- नव-नीरद-नीलाभ तन, त्रिभुवन-मोहन रूप / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नव-पल्लव सुगन्ध-सुमनों से शोभित / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नवटंकी / महेन्द्र मिश्र
- नवल किसोरी भोरी केसर ते गोरी / सेनापति
- नवल निकुंज महेल मंदिर में / कृष्णदास
- नवल नीरज नील जल पै / रमादेवी
- नवल बृन्दाबन सोभा-धाम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नवल वसंत नवल वृंदावन / कृष्णदास
- नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो / मीराबाई
- नहिं ममता, नहिं कामना / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं एक भी सद्गुण मुझमें / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं करूँगा कभी किसी का / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं गर्भगृह ऐसा, जिसमें नाथ! तुम्हें पधराऊँ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं चाहता क्षणभर भी हो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं चाहता राज्य चक्रवर्ती / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं चाहती तुमसे कुछ भी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं चाहती दुःख मिटाना / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं चुका सकता मैं बदला / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं जरा भी जिनमें ममता / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं जानता मैं भगवा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं तुहारा अन्तर देखा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं नापाक, नालायक खलक में मुझसा कोई और / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं मान-धन, कीर्ति-भोग की / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं मिलनमें तृप्ति / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं वासना नहीं कामना / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं शक्ति, सामर्थ्य न कुछ भी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाचत गौर प्रेम अधीर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाचत नटराज रुचिर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ अनाथन की सब जानै / जुगलप्रिया
- नाथ अब लीजै मोहि उबार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ मैं थारो जी थारो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ! अब कैसे हो कल्याण / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ! अब मो पै कृपा करौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ! थाँरै सरण पड़ी दासी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ! थाँरै सरणै आयो जी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ! मनें अबकी बार बचाओ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ! हौं केहि बिधि करौं पुकार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ! हौं निपट निरंकुस नीच / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ, अनाथन की सुधि लीजै / सूरदास
- नाद स्वाद तन बाद तज्यो मृग है मन मोहत / भीषनजी
- नाम क रंग मंजीठ, लगै छूटै नहिं भाई / धनी धरमदास
- नाम बिन भाव करन नहिं छूटै / दरिया साहब
- नाम महिमा ऐसी जु जानो / सूरदास
- नारद बाबा कही वा दिनाँ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नारायण शुभ नाम दिव्य है / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नारायन अपने को आपुही बखान करि / नारायण स्वामी
- नाहीं नाहीं करै / सेनापति
- निज सुख काम गन्ध का जिनमें किंचित् / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- निज सुख की परवाह न करके / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- निज सुख वांछा नैकु नहिं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- निज सुख-लेश वासना का / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित नूतन गुन-रूप-रस दिय बढ़त बिनु पार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित्य उन्होंने चाहा मुझको / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित्य दयामय, मंगलमय प्रभु में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित्य नयी आसक्ति, कामना / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित्य नयी क्षमता है बढ़ती / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित्य मधुर ब्रज-धाम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित्य सच्चिदानन्द सदाशिव / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित्य सर्वकारण कारण हरि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित्य ‘ज्ञानमय’, ‘नित्य ज्ञान’ जो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित्य, अनन्त, अचिन्त्य, अनिर्वचनीय / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- निधरक भई, अनुगवति है नन्द घर / आलम
- निन्द्य-नीच, पामर परम, इन्द्रिय-सुखके दास / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- निभृत-निकुज-मध्य निशि-रत / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नियत समयपर पहुँच न पायी मैं संकेत-स्थान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- निरखि न्यौछावर प्रानपिरयारे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- निरखि मुखचंद तुहारौ नाथ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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