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श्रेणी:भजन
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कविता कोश में भजन
"भजन" श्रेणी में पृष्ठ
इस श्रेणी में निम्नलिखित 200 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 753
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)
"
"हरिजन" पद (भजन) / अछूतानन्दजी 'हरिहर'
अ
अँधियरवा में ठाढ़ गोरी का करलू / कबीर
अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी / भजन
अंग देश केरो संत, छेलै गुरु मेँहीँ बाबा / छोटेलाल दास
अइलै माता राजेश्वरी भवनमा / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
अगर घनश्याम का दिल / बिन्दु जी
अचल सुहाग कियो गुरु मेरो / संत जूड़ीराम
अजब है यह दुनिया बाजार / बिन्दु जी
अजहूँ मिलो मेरे प्रान पियारे / धरनीदास
अड़ा हूँ आज इस दिल पै कि कुछ पा के हटूँ / बिन्दु जी
अति सूख सुरत किये / सूरदास
अद्भुत एक अनुपम बाग / सूरदास
अधमों के नाथ उबारना तुम्हें याद हो कि न याद हो / बिन्दु जी
अपनी शरण में लगाइ ला हो सद्गुरु / रघुनन्दन 'राही'
अपने पिया जू से प्रीत लगाई / संत जूड़ीराम
अपने बिना सुपन में तूलो / संत जूड़ीराम
अफ़सोस मूढ़ मन तू मुद्दत से सो रहा है / बिन्दु जी
अब आ जा रे मुरली वाले झलक दिखा जा / बिन्दु जी
अब का सोवै सखि / ललित किशोरी
अब कुलकानि तजे ही बनैगी / ललित किशोरी
अब कृपा करो श्री राम नाथ दुख टारो / भजन
अब गुरु शबद मने मोहि दीना / संत जूड़ीराम
अब गुरु सरन लियो तक तेरो / संत जूड़ीराम
अब चित चेत लखो निज नापमे / संत जूड़ीराम
अब तो गोविन्द गुण गा ले / बिन्दु जी
अब तो सुन लो पुकार ब्रज बसैया कन्हैया मेरे / बिन्दु जी
अब निज नाम जान मन मानो / संत जूड़ीराम
अब प्रभु टेर सुनो प्रभु मोरी / संत जूड़ीराम
अब मन भज श्री रघुपति राम / बिन्दु जी
अब लौ गई लुगाई आई / संत जूड़ीराम
अब हम चेत हेत उर हेरी / संत जूड़ीराम
अब हम पायो पिया मनमानी / संत जूड़ीराम
अब हम मोहन से अनुरागे / बिन्दु जी
अब हम शबद सैन लखपाई / संत जूड़ीराम
अब हम हर के दास कहाके / संत जूड़ीराम
अबिनासी दुलहा कब मिलिहौ, भक्तन के रछपाल / कबीर
अमृत नीक कहै सब कोई / धरनीदास
अरे मेरा अमर उपावणहार रे / दादू दयाल
अलप वयस दुख भारी कइसे हम खेलीब हे / धनी धरमदास
अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम / भजन
अवगति की गति रहत नियारी / संत जूड़ीराम
अवधनाथ, ब्रजनाथ, तुम्हारा सदा मैं दास रहूँ / बिन्दु जी
अस जड़ जीव भजहिं नहिं स्वामी / संत जूड़ीराम
अस निज नाम ज्ञान गम होई / संत जूड़ीराम
अस हर नाम जगत भय हारी / संत जूड़ीराम
अस हर नाम जपो मय भंजन / संत जूड़ीराम
अस हर नाम हिरदय जब आबे / संत जूड़ीराम
अहो उमापति अधीन भक्त की व्यथा हरो / बिन्दु जी
अहो नर नीका है हरिनाम / दादू दयाल
अहो! शंकर भोले भगवान / बिन्दु जी
आ
आओ आओ यशोदा के लाल / भजन
आखिर सब हो माटो / भीमनिधि तिवारी
आगे माई सतगुरु खोज करहु सब मिलिके / मेँहीँ जी
आज मोहिं लागे वृन्दावन नीको / मीराबाई
आत्म-विज्ञान (भजन) / अछूतानन्दजी 'हरिहर'
आदि अंत मेरा है राम / धरनीदास
आदि अनादि मेरा सांई / धरनीदास
आन पड़ी मझधार कृष्ण नाव मेरी / बिन्दु जी
आनन्दमयी माँ / भजन
आराध्य श्रीराम / भजन
आली रे मेरे नैणा बाण पड़ी / मीराबाई
आली! री मोहे बहुत ही अचरज होय / मृदुल कीर्ति
आव पियारे मीत हमारे / दादू दयाल
आवत केल खेल नहिं जानो / संत जूड़ीराम
आवो भाई सब मिल बोलो / भजन
आवोॅ प्रेमी भइया / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
इ
इत है नीर नहावन जोग / दादू दयाल
इ आगे.
इधर लली है उधर श्याम लला!! होली में / बिन्दु जी
इस अपार संसार सिन्धु में राम नाम आधार / बिन्दु जी
इस कदर श्याम से ही इश्क़ औ करम होने दो / बिन्दु जी
ई
ई दुनियाँ छै असार, हे सखिया मोरी / छोटेलाल दास
ईश्वर का सुयश (अरियल छंद में) / मुंशी रहमान खान
उ
उठ जाग मुसाफिर भोर भई / भजन
उठि भोरे कहु हरि हरि / लक्ष्मीनाथ परमहंस
उठो हे सखिया! खोलो खोलो अँखिया / रघुनन्दन 'राही'
उद्धार करो भगवान / भजन
उधो मनकी मनमें रही / सूरदास
उम्मीद है कि उनके हम खाकसार होंगे / बिन्दु जी
उरझो जगत भक्त बिसराई / संत जूड़ीराम
उल्फ़त नशे का ज़िद सभी सच्चा गुरूर होगा / बिन्दु जी
ए
एक अर्ज मेरी सुन लो दिलदार हे कन्हैया / बिन्दु जी
ऐ
ऐलै कोसी में बाढ़ भयंकर सखिया / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
ऐलोॅ यमोॅ के सनेश / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
ऐसा राम हमारे आवै / दादू दयाल
ऐसी कर खबर समझ घर आया / संत जूड़ीराम
ऐसी निज नाम हर्ष हिय हेरो / संत जूड़ीराम
ऐसी मत मंद फंद नहिं सूझे / संत जूड़ीराम
ऐसी मन ने मार लगाई / संत जूड़ीराम
ऐसे निज नाम की खबर जब आई / संत जूड़ीराम
ऐसे प्रनत पाल रघुराई / संत जूड़ीराम
ऐसे भक्ति मोहे भावे उद्धवजी / सूरदास
ऐसे संतनकी सेवा / सूरदास
ऐसे ही ऐल फैल कर धावे / संत जूड़ीराम
ऐसो जीव जाल पचिहारो / संत जूड़ीराम
ऐसो दीदार दरख जब आयो / संत जूड़ीराम
ऐसो निज नाम नजर नहिं आया / संत जूड़ीराम
ऐसों तन भयो गयो सब ही को / संत जूड़ीराम
ओ
ओ पर्दानशीं तेरी शक्ल में मैं ही हूँ / बिन्दु जी
ओ लला नन्द के तू खबर ले हमारी भला / बिन्दु जी
क
कते हे दूर गुरु फुलवाड़ी / धनी धरमदास
कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा / भजन
कन्हैया को एक रोज रोकर पुकारा / बिन्दु जी
कन्हैया तुझे एक नज़र देखना है / बिन्दु जी
कन्हैया प्यारे दुलारे मोहन बजाओ फिर अपनी प्यारी बंसी / बिन्दु जी
कबहूँ ऐसा बिरह उपावै रे / दादू दयाल
कभी राम बनके कभी श्याम बनके / भजन
कमलमुख खोलौ आजु पियारे / ललित किशोरी
कमलापती भगवान / सूरदास
करत बिहार बाग में डेरा / संत जूड़ीराम
करना कुछ तुझको बिहार आँखों से / बिन्दु जी
करम गति टारै / कबीर
कराल कलिकाल में जो तेरा / बिन्दु जी
करुणा भरी पुकार सुन / भजन
कहता है ये दौलत कभी आएगी मेरे काम / बिन्दु जी
कहल सुनल मोरा माफ करु ऐ संत जन / किंकर जी
क़ैद दुनिया जिस अजब जादू की है टोने की है / बिन्दु जी
का लै जैबौ, ससुर घर ऐबौ / कबीर
काना कुबजा संग रिझोरे / सूरदास
कायकूं बहार परी / सूरदास
कायागढ़ महलिया के अद्भुत शहरिया / इन्द्रमती
कासै कहों कोई मानै न कहो रे / संत जूड़ीराम
काहू जोगीकी नजर लागी है / सूरदास
कुछ अनोखा वो मेरे नन्द का लाला निकला / बिन्दु जी
कुछ दशा अनोखी उनकी बतलाते हैं / बिन्दु जी
कृपा करो हम पै श्यामसुंदर ऐ भक्तवत्सल कहने वाले / बिन्दु जी
कृपा की न होती जो आदत तुम्हारी / बिन्दु जी
कृष्ण प्यारे को तूने नहीं जाना रे! / बिन्दु जी
केकरा सें करौं तकरार कोय नै सुनै छै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
केत्ते गये जखमार भजनबिना / सूरदास
केहि विधि जग में रहबै हो सतगुरु / रामेश्वरदास
केहि समुझावौ / कबीर
कोइ जान रे मरम माधइया केर/ दादू दयाल
कोई कहियौ रे प्रभु आवनकी / मीराबाई
कोऊ भयो मुंडिया संन्यासी कोऊ जोगी भयो, / धरनीदास
क आगे.
कोण गती ब्रिजनाथ / सूरदास
कोशिश हजार कर के भी ढूंढें जो उम्र भर / बिन्दु जी
कौन है गुलशन कि जिस गुलशन में रौशन तू नहीं / बिन्दु जी
कौने देलकै काठो के कंठी / धनी धरमदास
कौशल्या रानी अपने लला को दुलरावे / भजन
क्या कहूँ मन मन्दिर की बात / बिन्दु जी
क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं है / बिन्दु जी
क्या ही मजे से बजती है घनश्याम की बंसी / बिन्दु जी
क्यों बिसरै मेरा पीव पिया/ दादू दयाल
क्यों ये कहते हो घनश्याम आते नहीं / बिन्दु जी
क्यौरे निंदभर सोया मुसाफर / सूरदास
ख
खबर क्यों न लेंगे मेरी नंदकुमार / बिन्दु जी
खेलत खेल खिलाड़न माया / संत जूड़ीराम
खेलत गगन ज्ञान मतवाला / संत जूड़ीराम
खेलिया आंगनमें छगन मगन / सूरदास
खोजत-खोजत सतगुरु भेंटि गेला / रामेश्वरदास
खोलिके किवाड़ गुरु, दरसन देहु गुरु / छोटेलाल दास
खोलो कपाट किवार, चलो गुरु के बाजार / छोटेलाल दास
ग
गगन में स्याम घटा रई छाई / संत जूड़ीराम
गजब का दावा है पापियों का अजीब जिद पर सम्हल रहे हैं / बिन्दु जी
गजब की बाँसुरी बजती थी वृन्दावन बसैया की / बिन्दु जी
गणपति चरण सरोज मनाऊँ / संत जूड़ीराम
गणपति बप्पा की जय बोलो / भजन
गली तो चारों बंद हु हैं मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय / मीराबाई
ग़ुलाम ग़र्चे ख़ता बेशुमार करते हैं / बिन्दु जी
ग़ैर मुमकिन है कि दुनिया अपनी मस्ती छोड़ दे / बिन्दु जी
गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये / भजन
गुरु के सबद-बाण, छतिया समाइ गेलै / छोटेलाल दास
गुरु चरनन मे शीश झुकाले / भजन
गुरु चरनन में ध्यान लगाऊं / भजन
गुरु पद लाग जगो मन मेरे / संत जूड़ीराम
गुरु बिन कौन सम्हारे / भजन
गुरु सुरतार शबद सुन जागो / संत जूड़ीराम
गुरु हो हम तो निपट अनाड़ी / किंकर जी
गुरु-हाट चलो सखि, ज्ञान-ध्यान सीखो सखि / ब्रजेश दास
गुरू दरशन करी ले रे मन / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
गुरू हो, गेलों चारो धाम / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
गोविन्द जय-जय गोपाल जय-जय / भजन
घ
घनश्याम जिसे तेरा जलवा नज़र आता है / बिन्दु जी
घनश्याम तुझसे अर्ज है कुछ ऐसा मेरा सुधार हो / बिन्दु जी
घनश्याम तुझे ढूँढने जायें कहाँ-कहाँ / बिन्दु जी
घनश्याम ये तुझपर मेरा मस्ताना हुआ दिल / बिन्दु जी
घनश्याम हमारा मनमोहन कुछ दोस्त है कुछ उस्ताद भी है / बिन्दु जी
घर पिछुआरी लोहरवा भैया हो मितवा / कबीर
घूँघट का पट खोल रे / भजन
च
चलत चलत मोरा सुरत थाकल / किंकर जी
चलु चलु भाई मोरा, आपनो नगरिया से / रामेश्वरदास
चलु चलु मन मोरा, सतगुरु धाम रे / रामेश्वरदास
चलो मनियारपुर, बौंसी थाना मेँहीँ धाम / ब्रजेश दास
चलो सखी चलिए री जहाँ झूलत युगल किशोर / बिन्दु जी
चलो हे बहिना सत्संगति में / रघुनन्दन 'राही'
चाहता जो परम सुख तूँ / भजन
चाहे मैं भूलूँ तो भूलूँ मोहन! तू मत मुझको भूल / बिन्दु जी
चेत करु जोगी, बिलैया मारै मटकी / कबीर
चेतें-चेतें रे अभिमानी / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
चोरी मोरी गेंदया / सूरदास
छ
छोटी छोटी गैयाँ, छोटे छोटे ग्वाल / भजन
छोड़ बैठा है सारा जमाना मुझे / बिन्दु जी
छोड़लाँ हम्में घर-परिवार, सतगुरु अइलाँ तोहरे द्वार / ब्रजेश दास
ज
जग असार में सार रसना / भजन
जग असार में सार रसना हरि-हरि बोल / बिन्दु जी
जग में मची ठगोरी भारी / संत जूड़ीराम
जग में सुंदर है दो नाम चाहे कृष्ण कहो या राम / बिन्दु जी
जग सूँ कहा हमारा / दादू दयाल
जगत को सत मूरख कब जाने / मृदुल कीर्ति
जगत झूठा नज़र आया / बिन्दु जी
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