भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ग़ज़ल की सुरंगें / कांतिमोहन 'सोज़'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 71: पंक्ति 71:
 
* [[नए अंदाज़ से दाखिल वो हमलावर यहाँ होगा / कांतिमोहन 'सोज़']]
 
* [[नए अंदाज़ से दाखिल वो हमलावर यहाँ होगा / कांतिमोहन 'सोज़']]
 
* [[न जाने क्या उसे सूझा क़लम कर दी ज़बां मेरी / कांतिमोहन 'सोज़']]
 
* [[न जाने क्या उसे सूझा क़लम कर दी ज़बां मेरी / कांतिमोहन 'सोज़']]
 +
* [[फ़रहाद के जिनूं को जगाओ किसी तरह / कांतिमोहन 'सोज़']]
 
* [[बजाए-होश जनूं दिल का राहबर होता / कांतिमोहन 'सोज़']]
 
* [[बजाए-होश जनूं दिल का राहबर होता / कांतिमोहन 'सोज़']]
 
* [[बताएँ क्या तुम्हें कैसा है अपना हाल मियाँ / कांतिमोहन 'सोज़']]
 
* [[बताएँ क्या तुम्हें कैसा है अपना हाल मियाँ / कांतिमोहन 'सोज़']]

13:01, 23 अक्टूबर 2017 का अवतरण


ग़ज़ल की सुरंगें
रचनाकार कांतिमोहन 'सोज़'
प्रकाशक
वर्ष 1988
भाषा हिन्दी
विषय हास्य-व्यंग्य की ग़ज़लें
विधा
पृष्ठ 80
ISBN
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।