भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"श्रेणी:भजन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
  
==चारूं प्रगट भया/अज्ञात  ==
 
  
चारों ललवा प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे
+
[[दायण आई /अज्ञात]]
  
चारों भैया  प्रगट भये आज अवध में लडवा  बटे
 
  
 +
दायण आई है कौशल्या थारे द्वार
  
लडवा बटे रे, ढोल धुरे रे, झीनी झीनी उड़े रे गुलाल
+
खाली हाथा नहीं जायुं ....
  
बांदरवाळ बँधाओ मेरी बहना , परदे लगाओ जरीदार, अवध में लडवा बटे
 
  
चारों ललवा प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे
+
मैं तो दायण सूरज कुल री पिढ़यासु रही आय
  
चारों भैया  प्रगट भये आज अवध में लडवा  बटे
+
पोतड़ीया धोवन ने थारे घर पर आई चलाय
  
 +
आशा मोटी लेकर आई सरजू पार
  
मोतियन चौक पुराओ मेरी बहना ,सुवर्ण के कलश सजाय
+
खाली हाथां नहीं जाऊं .......
  
केसर कस्तूरी की भरदो तलैयाँ, बरसादो मुसळधार, अवध में लडवा बटे
 
  
चारों ललवा प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे
+
आंगणिये में रमता  देख्या चारु राजकुमार
  
चारों भैया  प्रगट भये आज अवध में लडवा  बटे
+
नहीं गर्भ सु जन्म्या ऐ तो प्रगट्या जग करतार
  
 +
ऐ तो सारी ही  श्रिष्टि रा सिरजनहार
  
 +
खाली हाथां नहीं जाऊं .......
  
गैया के  दूध की खीर घुटाओ , ब्राह्मण जिमाओ अपार
 
  
छटी पूजाओं गीत सब गावो , मोहरों की करदो उछाल, अवध में लडवा बटे
+
म्हे तो थारी दाईमाँ  थे म्हारा जजमान
  
चारों ललवा प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे
+
पहलो नेग चुकाओ देवो  भक्ति रो वरदान
  
चारों भैया प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे
+
थारे चरणा शीश नवाऊँ बारमबार
 +
 
 +
खाली हाथां नहीं जाऊं .......
 +
 
 +
 
 +
अँखियाँ शीतल करूँ लाल ने टुक टुक रहूँ निहार
 +
 
 +
नवधा भक्ति रो पहनूंगी गल में नौलख हार
 +
 
 +
म्हाने जुग जुग माहीं दीजियो नाहीं बिसार
 +
 
 +
खाली हाथां नहीं जाऊं .......

22:02, 17 फ़रवरी 2016 का अवतरण


दायण आई /अज्ञात


दायण आई है कौशल्या थारे द्वार

खाली हाथा नहीं जायुं ....


मैं तो दायण सूरज कुल री पिढ़यासु रही आय

पोतड़ीया धोवन ने थारे घर पर आई चलाय

आशा मोटी लेकर आई सरजू पार

खाली हाथां नहीं जाऊं .......


आंगणिये में रमता देख्या चारु राजकुमार

नहीं गर्भ सु जन्म्या ऐ तो प्रगट्या जग करतार

ऐ तो सारी ही श्रिष्टि रा सिरजनहार

खाली हाथां नहीं जाऊं .......


म्हे तो थारी दाईमाँ थे म्हारा जजमान

पहलो नेग चुकाओ देवो भक्ति रो वरदान

थारे चरणा शीश नवाऊँ बारमबार

खाली हाथां नहीं जाऊं .......


अँखियाँ शीतल करूँ लाल ने टुक टुक रहूँ निहार

नवधा भक्ति रो पहनूंगी गल में नौलख हार

म्हाने जुग जुग माहीं दीजियो नाहीं बिसार

खाली हाथां नहीं जाऊं .......

"भजन" श्रेणी में पृष्ठ

इस श्रेणी में निम्नलिखित 200 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 753

(पिछले 200) (अगले 200)

"

इ आगे.

क आगे.

(पिछले 200) (अगले 200)