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चारों ललवा प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे
  
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चारों भैया  प्रगट भये आज अवध में लडवा  बटे
  
  
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लडवा बटे रे, ढोल धुरे रे, झीनी झीनी उड़े रे गुलाल
  
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ:
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बांदरवाळ बँधाओ मेरी बहना , परदे लगाओ जरीदार, अवध में लडवा बटे
  
निर्विग्न कुरुमेदेव सर्व कार्येषु सर्वदा ||
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चारों ललवा प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे
  
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चारों भैया  प्रगट भये आज अवध में लडवा  बटे
  
आज  म्हारे  आंगणे  श्री  गिरिजा  नंदन  आयोजी,
 
  
गिरिजानन्दन आयोजी, भक्तन के मन  भायोजी ||
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मोतियन चौक पुराओ मेरी बहना ,सुवर्ण के कलश सजाय
  
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केसर कस्तूरी की भरदो तलैयाँ, बरसादो मुसळधार, अवध में लडवा बटे
  
कमर तगड़ी, पगाँ पैजनी, हाथां झुणझुणीयो  लायोजी,
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चारों ललवा प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे
  
नैन में काजलयो, मस्तक टिकी चाँद मंडायोजी ||
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चारों भैया  प्रगट भये आज अवध में लडवा  बटे
  
  
पहर जरी को झबलो , चोटी रेशम फूल गुंथायोजी,
 
  
ठुमक ठुमक कर चाले,बोली बोले है तुतलायोजी  ||
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गैया के  दूध की खीर घुटाओ , ब्राह्मण जिमाओ अपार
  
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छटी पूजाओं गीत सब गावो , मोहरों की करदो उछाल, अवध में लडवा बटे
  
चौकी पर सिंघासन, जि पर सुन्दर वस्त्र बिछायोजी,
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चारों ललवा प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे
  
चरण धोय चरणामृत ले शिव नंदा ने बैठायोजी ||
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चारों भैया  प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे
 
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चन्दन,अक्षत,धुप,दीप कर पुष्प हार पहनायोजी,
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भोग लगावण एक थाल लडुअन को भी मंगवायोजी ||
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लाडू देख विनायकजी को मनड़ो आज  ललचायोजी,
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झटपट उठा उठा कर लाडू  रुच रुच भोग लगायोजी ||
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छटा देख प्रिय गजानंद की मन म्हारो हरषायोजी,
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नजर न लागे लम्बोदर के राई लूण करवायोजी ||
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विघ्न विदारण मंगल  कारण रिद्ध सिद्ध सागे ल्यायोजी,
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सेवक गण श्रीगजानंदजी  ने प्रेम से लाड लडायोजी ||
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22:13, 17 फ़रवरी 2016 का अवतरण

चारूं प्रगट भया/अज्ञात

चारों ललवा प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे

चारों भैया प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे


लडवा बटे रे, ढोल धुरे रे, झीनी झीनी उड़े रे गुलाल

बांदरवाळ बँधाओ मेरी बहना , परदे लगाओ जरीदार, अवध में लडवा बटे

चारों ललवा प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे

चारों भैया प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे


मोतियन चौक पुराओ मेरी बहना ,सुवर्ण के कलश सजाय

केसर कस्तूरी की भरदो तलैयाँ, बरसादो मुसळधार, अवध में लडवा बटे

चारों ललवा प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे

चारों भैया प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे


गैया के दूध की खीर घुटाओ , ब्राह्मण जिमाओ अपार

छटी पूजाओं गीत सब गावो , मोहरों की करदो उछाल, अवध में लडवा बटे

चारों ललवा प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे

चारों भैया प्रगट भये आज अवध में लडवा बटे

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