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कविता कोश में भजन
 
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[[आज म्हारे आंगणे /भजन/अज्ञात]]
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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ:
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निर्विग्न कुरुमेदेव सर्व कार्येषु सर्वदा ||
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आज  म्हारे  आंगणे  श्री  गिरिजा  नंदन  आयोजी,
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गिरिजानन्दन आयोजी, भक्तन के  मन  भायोजी ||
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कमर तगड़ी, पगाँ पैजनी, हाथां झुणझुणीयो  लायोजी,
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नैन में काजलयो, मस्तक टिकी चाँद मंडायोजी ||
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पहर जरी को झबलो , चोटी रेशम फूल गुंथायोजी,
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ठुमक ठुमक कर चाले,बोली बोले है तुतलायोजी  ||
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चौकी पर सिंघासन, जि पर सुन्दर वस्त्र बिछायोजी,
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चरण धोय चरणामृत ले शिव नंदा ने बैठायोजी ||
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चन्दन,अक्षत,धुप,दीप कर पुष्प हार पहनायोजी,
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भोग लगावण एक थाल लडुअन को भी मंगवायोजी ||
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लाडू देख विनायकजी को मनड़ो आज  ललचायोजी,
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झटपट उठा उठा कर लाडू  रुच रुच भोग लगायोजी ||
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छटा देख प्रिय गजानंद की मन म्हारो हरषायोजी,
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नजर न लागे लम्बोदर के राई लूण करवायोजी ||
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विघ्न विदारण मंगल  कारण रिद्ध सिद्ध सागे ल्यायोजी,
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सेवक गण श्रीगजानंदजी  ने प्रेम से लाड लडायोजी ||
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02:52, 11 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

कविता कोश में भजन

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