पद-रत्नाकर
रचनाकार | हनुमानप्रसाद पोद्दार |
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प्रकाशक | गीता-प्रेस |
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पद
- श्रीराधारानी-चरन बिनवौं बारंबार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बंदौं राधा-पद-कमल अमल सकल सुख-धाम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रसिक स्याम की जो सदा रसमय जीवनमूरि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बंदौं राधा-पद-रज पावन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिन लक्ष्मी की रूप-माधुरी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जिन श्रीराधा के करैं नित श्रीहरि गुन गान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्वामिनी हे बृषभानु-दुलारि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्रीराधा! अब देहु मोहि तव पद-रज-अनुराग / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- करौ कृपा श्रीराधिका, बिनवौं बारंबार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दयामयि स्वामिनि परम उदार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधाजू! मोपै आजु ढरौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- निन्द्य-नीच, पामर परम, इन्द्रिय-सुखके दास / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हे राधे! हे श्याम-प्रियतमे! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम-स्वामिनी राधिके! करौ कृपा कौ दान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्रीराधा! कृष्णप्रिया! सकल सुमंगल-मूल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्रीराधामाधव-युगल महाभाव-रसराज / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कृपा जो राधाजू की चहिए / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधा-नयन-कटाक्ष-रूप चचल अचलसे नित्य व्यजित / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जय वसुदेव-देवकीनन्दन, जयति यशोदा-नंदनन्दन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जयति राधिका जीवन, राधा-बन्धु, राधिकामय चिद्घन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हे परिपूर्ण ब्रह्मा! हे परमानन्द! सनातन! सर्वाधार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सत्-चित्-घन परिपूर्णतम, परम प्रेम-आनन्द / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- माधव! नित मोहि दीजियै निज चरननि कौ ध्यान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- माधव! मुझको भी तुम अपनी सखी बना लो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रसस्वरूप श्रीकृष्ण परात्पर, महाभावरूपा राधा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सोभित सिर सिखिपिच्छ, जो उज्ज्वल रस आधार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधा-माधव-पद-कमल बंदौं बारंबार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- महाभाव-रसराज स्वयं श्रीराधा-माधव युगल-स्वरूप / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधा-माधव-जुगल के प्रनमौं पद-जलजात / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हमारे जीवन लाडिलि-लाल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बंदौं मधुर लाडिलि-लाल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्रीराधामाधव! कर हमपर सहज कृपावर्षां भगवान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मोहन-मन-धन-हारिणी, सुखकारिणी अनूप / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्यामा-श्याम युगल चरणोंमें करुण प्रार्थना है यह आज / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्रीराधामाधव जुगल दिय रूप-गुन-खान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हे राधा-माधव! तुम दोनों दो मुझको चरणोंमें स्थान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्रीराधा-माधव! यह मेरी सुन लो बिनती परम उदार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बसा रहे मन-मधुप निरन्तर राधा-माधवके पद-पद्म / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्रीराधा-माधव-जुगल! कीजै कृपा महान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- शुद्ध सच्चिदानन्द सनातन नित्यमुक्त जो परम स्वतन्त्र / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बंदौं गोपी-जन-हृदय जो हरि राखे गोय / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्री ’ललिता’ लावण्य ललित / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ब्रह्मा, ब्रह्मा की शक्ति नित्यमें नहीं कभी रचक भी भेद / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बंदौं हरि-पद-पंकज पावन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- शोभित चारों भुजा सुदर्शन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्लोक-नारायणं हृषीकेशं गोविन्दं गरुड़ध्वजम् / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्रीगनपति गुरु सारदा, बंदौं बारंबार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- वन्दौं विष्णु विश्वाधार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- परम गुरु राम मिलावनहार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जयति देव, जयति देव, जय दयालु देवा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अर्पण मेरे हैं सदा तुममें जीवन-प्राण / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मोपै गिरिधर! कृपा करौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रियतम! बनकर आओ चाहे झपक झपटते झंझावात / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दिन-रजनी, तरु-लता, ड्डूल-फल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- करो प्रभु! ऐसी दृष्टि-प्रदान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- आते हो तुम बार-बार प्रभु! मेरे मन-मन्दिरके द्वार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बिना याचना के ही देते रहते नित्य शक्ति तुम नाथ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बन जाओ तुम मेरे सब कुछ जप-तप / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रभो! मिटा दो मेरा सारा, सभी तरह का मद-अभिमान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- करुणामय! उदार चूड़ामणि! प्रभु! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सब में सब देखें निज आत्मा, सब में सब देखें भगवान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- केवल तुम्हें पुकारूँ प्रियतम! देखूँ एक तुम्हारी ओर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कहाँ तुच्छ सब, कहाँ महत् तुम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मेरी शक्ति थक गयी सारी, उद्यम-बलने मानी हार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जो चाहो तुम, जैसे चाहो, करो वही तुम, उसी प्रकार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ’भोगोंमें सुख है’-इस भारी भ्रमको हर लो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हमें ऐसा बल दो भगवान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कैसैं बिनय सुनावौं, स्वामी! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अब मोहि एक भरोसौ तेरौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- करौ, प्रभु! ऐसी कृपा महान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मुझे प्रभु! दो वह सुन्दर स्थान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दयामय! मोहि दासता दीजै / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हे मेरे! तुम, प्राण-प्राण! तुम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हौं हरिदास-दास कौ दास / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जला दो उर मेरे विरहानल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हमें प्रभु! दो ऐसा वरदान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रभु! तुम अपनौ बिरद सँभारौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रभु! मोहि देउ साँचौ प्रेम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- छुड़ा दो विषयोंका अभिमान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- माधव! मो सम कौन अभागी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रभो! कृपा कर मुझे बना लो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रभो! यह कैसा बेढब मोह / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मैं शरण आ पड़ा शरणद नाथ! तुम्हारी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हे यन्त्री! तुम मुझे बना लो यन्त्र तुम्हारा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हरो अभिमान, मिटा दो मान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हो परमबन्धु तुम पतितों के / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हर लो हरि! सुख-सुविधा सारी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- विपदा है करुणाभा, दुःख तुम्हारा है प्रभु / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तोड़-फोडक़र मुझे बना लो, प्रभु! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- किया नहीं मैंने सहर्ष प्रभुका विधान सादर स्वीकार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दुःख दूर मत करो नाथ! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- आर्त-त्राण-परायण, सहज सुहृद / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- क्षुद्र स्वार्थ का नाश करो प्रभु / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जबतक जग में रहते मुझको ’मेरा’ कहनेवाले / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- किसी काम का नहीं जगत में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- 'भक्त' नाम लगता अति प्यारा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भेडिय़ा ओढ़ भेड़ की खाल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं नापाक, नालायक खलक में मुझसा कोई और / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दीनबन्धु! करुणा-वरुणालय! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ! हौं केहि बिधि करौं पुकार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ! हौं निपट निरंकुस नीच / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मेरे मन के धन तुम ही हो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- को अपराधी मो सम आन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नीच मैं मूढ़ दोष की खान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मलिन यह मन-मन्दिर, घनश्याम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जनम सब बीत्यौ अघ कें काम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं गर्भगृह ऐसा, जिसमें नाथ! तुम्हें पधराऊँ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मैंने कभी न चाहा तुमको / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तुमने दिया सदा ही मुझको / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सर्वरहित, एकाकी वनमें खड़ा कर रहा दीन पुकार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कोई कहते 'संत' मुझे, कुछ कहते 'प्रेमी भक्त महान' / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- किया न मैंने भूलकर, तुमसे प्यारे! प्यार। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- क्रोध-मोह-मद-अघ भर्यौ, धर्यौ हृदय अभिमान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मानव-जन्म सुदुर्लभ पाकर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मेरे अघका पार नहीं है / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कैसे लूँ मैं नाम तुम्हारा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- गुनाहों से भरी है यह नापाक जिंदगी मेरी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भरा अमित दोषों से हूँ मैं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- परम सत्य जो नित्य हैं आत्यन्तिक सुखरूप / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जीवन को संगीत बना दो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कर प्रणाम तेरे चरणोंमें लगता हूँ अब तेरे काज / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अब हरि! एक भरोसो तेरौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रभु! तुम अपनो बिरद सँभारौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ मैं थारो जी थारो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ! थाँरै सरणै आयो जी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ! थाँरै सरण पड़ी दासी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ! मनें अबकी बार बचाओ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अब कित जाऊँ जी! हार कर सरणै थाँरे आयो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हे दयामय! दीनबन्धो! दीन को अपनाइये / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दीनबन्धो! कृपासिन्धो! कृपाबिन्दू दो प्रभो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रभु! मेरो मन ऐसो ह्वै जावै / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हुआ अब मैं कृतार्थ महाराज / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ! अब कैसे हो कल्याण / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- खड़ा अपराधी प्रभु के द्वार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- होगा कब वह सुदिन समय शुभ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बना दो विमल-बुद्धि भगवान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बना दो बुद्धिहीन भगवान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ अब लीजै मोहि उबार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हे निर्गुण! हे सर्वगुणाश्रय! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हे नाथ! तुम्हीं सबके मालिक / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हे स्वामी! अनन्य अवलबन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पतित नहीं जो होते जगमें / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रभु तव चरन किमि परिहरौं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- आयौ चरन तकि सरन तिहारी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बहु जुग बहुत जोनि फिरि हारौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मोहन! राखु पद-रज-तरै / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्रीवृन्दावन, वेदी, योगपीठ और अष्टस्न्दल कमल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कर नवनीत लियें नटनागर। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कृष्ण-अङङ्ग-लावण्य मधुरसे भी सुमधुरतम। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सजल-जलद-नीलाभ तन, बदन-सरोज रसाल। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मधुर मनोहर सुंदर अति सिखि-पिच्छ सुसोहत। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नव-नीरद-नीलाभ तन, त्रिभुवन-मोहन रूप। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सजल-जलद-नीलाभ श्याम तन परम मनोहर। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जयति जय गोप्रेमी गोपाल। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कर मुरली, कटि काछनी, कलित कमल-मुख-नैन। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कृष्ण-नील-द्युति तन सुन्दर अति, पीतवसन, उर मुक्ता माल। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कालिंदी-तट ठाढ़े नटवर। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जय जय ब्रजराज-तनय ब्रजबन-बिहारी। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सजल-जलद-नीलाभ श्याम वपु मुनि-मन-मोहन। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नव किशोर नटवर मुरलीधर मधुर मयूर-मुकुटधर लाल। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- छैल-छबीले लाडिले बर कालिंदी कूल। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कोटि-कोटि शत मदन-रति सहज विनिन्दक रूप। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- शारदीय-पूर्णिमा-सुनिर्मल-स्निग्ध-सुधावर्षी द्युतिमान। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मोरपिच्छ सिर, कर्णिकार श्रुति, स्वर्णवर्ण तन पीताबर। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित नूतन गुन-रूप-रस दिय बढ़त बिनु पार। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित्य, अनन्त, अचिन्त्य, अनिर्वचनीय, प्रेम-विजान-निधान। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- उड़ा जा रहा प्रकृति पर रथ-विमान आकाश। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रूप-सील-सौंदर्य-निधि महाभाव रसखान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मधुर-सुमधुर, मधुर उससे भी, परम मधुर, उससे भी और- / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जय जय हरि-हृदया वृषभानु-सुकुमारी॥ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हरत मन-माधव कंचन-गोरी॥ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अङङ्ग-अङङ्ग अप्रतिम अमित सौन्दर्य, अतुल माधुर्य महान। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जुगलबर एक तव, दो रूप। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दोऊ सदा एक रस पूरे। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दुहुनि की प्रीति अनादि, अनोखी। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कृष्ण शक्तिमय, शक्ति राधिका-चिन्मय एक तव भगवान। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ह्ल1रू1२/६द्भवह सखि ! शशधर सुखद सुठार। यह सखि ! शुभ्र ज्योत्स्ना-सार॥ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- वह सखि ! नूतन जलधर अङङ्ग। यह सखि ! सुस्थिर बिजलि-तरंग॥ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रास-बिहारिनि राधिका, रासेस्वर नँद-लाल। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भावमयी श्रीराधिका, रसमय श्रीगोविंद। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जुगल बर परम मधुर रमनीय। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जयति जय जयति रस-भाव-जोरी। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- परम प्रेम-आनंदमय दिय जुगल रस-रूप। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जुगल छबि हरति हिये की पीर। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सोहत जुगल राधे-स्याम। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम-स्यामा सुषमाके सागर। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बिराजत रासेस्वरि-रसराज। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सोहत सुठि स्याम संग राधा रस-भीनी। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बनहिं बन रस ढरकावत डोलैं। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- लता-निकुज मध्य माधव धर नटवर वेश रहे सुविराज। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधा-माधव माधव-राधा छाये देश-काल सब ओर। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कलित कल्पतरु-कुंज सुगंधित सुमनावलि-मंडित कमनीय। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रसमयी संग रसिक-बर राज। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्थिर बिजली सँग चंचल जलधर रस बरसत अनिवार। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बिराजित स्यामा-स्याम निकुंज। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मिले श्याम-श्यामा दोनों तब उमड़ा अतिशय प्रेम। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- गौर सुभग शशि अमित दीप्ति शुचि, श्याम पराजित-अमित-अनंग। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्मरण-मात्रसे जिनके होता सूक्ष्म कामनाका भी अन्त। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कर-कमलोंसे चरण-कमलको लिये मधुर मुख-कमल ललाम। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ब्रजेस्वरि-गोद में गोबिंद। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- खेलत झुनझुनियाँ ते स्याम। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रतनभूमि पर चलत बकैयाँ। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नेहभरे नयनन्हि सों निरखत लै कर कनक-कटोरी। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मचलि रहे ता दिन मन मोहन, मैयाकी चढिबै को गोद। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ’लालन ! देखु आयौ काग। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नंदसुत चुपकै माखन खात। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भूषन-बसन सजाय सबिधि मैया मुरली कर दीनी। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नारद बाबा कही वा दिनाँ, ब्रज की अति मीठी माटी। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बछरा की लै पूँछ कर पकरि भजावत ताहि। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- करत विचित्र चरित्र नित परम मधुर नँदलाल। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखनि सँग खेलत दोऊ भैया। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सो छबि छिनहुँ न हिय सों जाई। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मैया ! तू भोली है, नहीं जानती कुछ इसकी करतूत। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- पनघट पर हरि करत अचगरी। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बरजै ?यूँ नी, लाल (स्याम) तेरो यो नटखट जसुमति रानी। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कन्हैया गाय चरावन जात। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बनहिं बन स्याम चरावत गैया॥ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- खेलत ग्वालन सँग दोउ भैया। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- वृन्दा-विपिन तपन-तनया-तट शोभित पादप-लता तमाम। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नव-पल्लव सुगन्ध-सुमनोंसे शोभित वृक्ष-लता सपन्न। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बजावत मुरली मीठी तान। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- गमन करत रबि लखि अस्ताचल मनमोहन लै गोधन संग। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नयननि कौ इतनौई फल है, करैं सदा माधव-दरसन। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कालीदह-जल ऊपर सोहत। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- क्रीदडत कल कुँमर कान्ह कालिय बदन पर। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दुर्मति दैत्य महाबलने आ, नन्द-भवनमें किया प्रवेश। / हनुमानप्रसाद पोद्दार