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ग़ज़ल मंदाकिनी / रंजना वर्मा
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ग़ज़ल मंदाकिनी
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रचनाकार | रंजना वर्मा |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- है तीरगी जनाब ज़रा सब्र कीजिये / रंजना वर्मा
- साजिश से हर इक बात छुपायी गयी तो क्या / रंजना वर्मा
- बहाव था जो नदी का वह दिल लुभा भी गया / रंजना वर्मा
- हुआ रिश्ता जो बदतर देख लेना / रंजना वर्मा
- राज़ इस दिल का ज़माने को बताने आयी / रंजना वर्मा
- रात भर छाई रही हैं बदलियाँ / रंजना वर्मा
- हैं लोग जो कलियों को भी खिलने नहीं देते / रंजना वर्मा
- कोई उनसे जा के कह दे ये उन्हें पता नहीं है / रंजना वर्मा
- जिसे हमने दिल में बसा लिया / रंजना वर्मा
- हमने दिलवर में जाने क्या देखा / रंजना वर्मा
- हमसफ़र ग़र वह मेरा हो जाएगा / रंजना वर्मा
- फिर है कोशिश उसे भुलाने की / रंजना वर्मा
- मनमोहन से बस इतना ही कहना है / रंजना वर्मा
- अँधेरा है घना इतना यहाँ पर हो रहा क्या है / रंजना वर्मा
- अश्रु आंखों में छुपाकर मुस्कुराओ तो सही / रंजना वर्मा
- आज पुरवा बड़ी सुहानी है / रंजना वर्मा
- ले विदा इस ज़िन्दगी को तूने रुसवा कर दिया / रंजना वर्मा
- अपने जो दे जाते हैं / रंजना वर्मा
- तुम्हारी नज़र ने निहारा मुझे / रंजना वर्मा
- ख़्वाब बुनते रहो ज़िन्दगी के लिये / रंजना वर्मा
- है पग-पग संग्राम, भरा काँटों से उपवन / रंजना वर्मा
- खूब था सख़्त सफ़र क्या करते / रंजना वर्मा
- रात मदहोश है दिवानी भी / रंजना वर्मा
- यूँ इश्क़ नशा है पर सब चूर नहीं होते / रंजना वर्मा
- आगम विपत्तियों से यदि हम न यों ही डरते / रंजना वर्मा
- लो फिर ठंडक आ गयी / रंजना वर्मा
- सुहानी चाँदनी रातों में ये छाया नशा क्या है / रंजना वर्मा
- हमारे दिल में इक तूफ़ां उठा है / रंजना वर्मा
- रस्म हम ज़िन्दगी की निभाते रहे / रंजना वर्मा
- हमेशा पास रहकर भी नज़र से दूर होता है / रंजना वर्मा
- ऊबने जी लगा आज संसार से / रंजना वर्मा
- वफ़ा का दौर न कोई इमान बाक़ी है / रंजना वर्मा
- खूबसूरत दृश्य बन मन को लुभाते क्यों / रंजना वर्मा
- जीवन जीने के लिये अपनापन दरकार / रंजना वर्मा
- ज़िन्दगी से नहीं बेज़ार हैं हम / रंजना वर्मा
- दिल से तो तेरा ख्याल हटाया नहीं जाता / रंजना वर्मा
- सत्य का पथ है निराला / रंजना वर्मा
- किया जो कौल है मोहन निभाना भूल मत जाना / रंजना वर्मा
- तेरी सूरत से यारी हो गयी है / रंजना वर्मा
- पल पल करवट ले रहा मौसम बे ईमान / रंजना वर्मा
- नज़र में मेरी साँवरे तू ही तू है / रंजना वर्मा
- हज़ार दर्द मिला तुझ से दिल लगाने में / रंजना वर्मा
- जो मिला तुमसे तुम्हें ही हम नज़र करते रहे / रंजना वर्मा
- ढले जब शाम को सूरज नदी तट पर मिला करना / रंजना वर्मा
- कुछ तो शायद उन्हें भी हुआ है / रंजना वर्मा
- तन मन सदा सुरभित रहे वह प्यार दे माँ शारदे / रंजना वर्मा
- गधा पँजीरी खा गया, फिर भी रहे विनीत / रंजना वर्मा
- पड़ती जो दर्द सहने की आदत कभी-कभी / रंजना वर्मा
- चिंदी चिंदी दिन हुआ, टुकड़ा-टुकड़ा रात / रंजना वर्मा
- इस धरा को मातृपद का मान देने के लिये / रंजना वर्मा
- जिससे बाँधा बन्धन है / रंजना वर्मा
- तूफानों से टकरा जायें ऐसे सागर देखे हैं / रंजना वर्मा
- ज़माने को जाने ये क्या हो गया है / रंजना वर्मा
- नहीं वजह है मिली आज मुस्कुराने को / रंजना वर्मा
- ज़िन्दगानी का सफ़र सब बे मज़ा हो जाएगा / रंजना वर्मा
- खिले मुहब्बत के फूल लाखों नज़र तुम्हारी जिधर रही है / रंजना वर्मा
- जीवन धारा बहे सिंधु सम, बड़ी विकट जलधार / रंजना वर्मा
- लाख मुश्किल हो मगर राह पर चलते जायें / रंजना वर्मा
- चाँद नभ में न मुस्कुराया क्यों / रंजना वर्मा
- जगी जो आरजू वह दिल में ही मचल के रह गयी / रंजना वर्मा
- नज़र लगी किस धृष्ठ की / रंजना वर्मा
- शोख मौसम की शरारत हो गयी / रंजना वर्मा
- सुघर लेखनी हाथ ले, लिखता कवि उद्गार / रंजना वर्मा
- है मौसम कर गया शरारत चुपके से / रंजना वर्मा
- नित्य साँझ के ढले / रंजना वर्मा
- ऐसे भी हैं लोग देश को बेच चैन से सोते हैं / रंजना वर्मा
- आवाज देकर छिप रहा वह साँवरा घनश्याम है / रंजना वर्मा
- हमें छेड़ कर मुस्कराता बहुत है / रंजना वर्मा
- फूल उल्फ़त के खिलाता ये वतन / रंजना वर्मा
- बात दिल की दिलों में छुपी रह गयी / रंजना वर्मा
- कभी भी किसी के न दिल को दुखाना / रंजना वर्मा
- लोग उल्फ़त में छक गये होंगे / रंजना वर्मा
- वहीं हों मंजिलें जिस ओर रास्ता जाये / रंजना वर्मा
- आज उल्फ़त लगी आजमाने मुझे / रंजना वर्मा
- दूसरों की जो न कर पाये भलाई / रंजना वर्मा
- जमाने को भले जी भर के चाहे आजमाओ तुम / रंजना वर्मा
- खुशी गुनगुनाती तराना रहे / रंजना वर्मा
- किसी से न डरने को जी चाहता है / रंजना वर्मा
- जो भी उसको मिला नहीं कहता / रंजना वर्मा
- मन रात दिन इस सोच में ग़लत रहा / रंजना वर्मा
- युद्ध भूमि से पहले ही क्यों, मारा गया हिन्द का लाल / रंजना वर्मा
- नमन शहीदों को करूँ, जो खो बैठे प्राण / रंजना वर्मा
- जो वतन के लिये जान वारा करे / रंजना वर्मा
- हवा पानी धरा आकाश से भी दिल लगाओ अब / रंजना वर्मा
- जब भी आँखों ने मेरी ख़्वाब तुम्हारे देखे / रंजना वर्मा
- आज होती क्यों निराशा देश को / रंजना वर्मा
- सैनिकों का देश के कोई न सानी है / रंजना वर्मा
- श्रद्धा सुमनों की मालाएँ, अर्पित नित करते हैं / रंजना वर्मा
- कहीं फिर आज कोई बम फटा है / रंजना वर्मा
- तुम भरो अब उड़ान किश्तों में / रंजना वर्मा
- मिटा कर नफ़रतें सबको गले से अब लगाना है / रंजना वर्मा
- निगाह दोनों की झुक न पायी था सख़्त लम्हा गुजर गया वह / रंजना वर्मा
- जो थकने लगी वह जवानी बदल दे / रंजना वर्मा
- देश धरती से बड़ा नाता पुराना है / रंजना वर्मा
- उमड़ जब अश्क़ कोई ख़्वाब आँखों से चुराता है / रंजना वर्मा
- खूबसूरत-सा कोई ख़्वाब सँवर जाने दो / रंजना वर्मा
- मुहब्बत का असर जाता कहाँ है / रंजना वर्मा
- बंद पलकों में नमी लब पर हँसी देखी न थी / रंजना वर्मा
- पाँवों में चुभ रहा जो हसीं ख़ार देख कर / रंजना वर्मा
- न पूजा तिलक या हवन चाहिये / रंजना वर्मा
- न जाने वक्त कैसा आ गया है / रंजना वर्मा