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"सरगम साँसों की / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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09:55, 18 मार्च 2019 के समय का अवतरण
सरगम साँसों की
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रचनाकार | रंजना वर्मा |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
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विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- माँ तुमको आज मनाना है / रंजना वर्मा
- विहग वृक्ष पर चहचहाने लगे हैं / रंजना वर्मा
- इक हकीकत थी फ़साना बन गयी / रंजना वर्मा
- रात की तारिका मुंह छिपाने लगी / रंजना वर्मा
- भूमि तज चाँद पर है चढ़ा जा रहा / रंजना वर्मा
- रखें हम सभी नित्य ही इसका ध्यान / रंजना वर्मा
- आज खुद से पशेमाँ हुए जा रहे / रंजना वर्मा
- हमें तुम न यों आजमाया करो / रंजना वर्मा
- बताया ही नहीं तुमको जहाँ के पार जाना है / रंजना वर्मा
- कन्या को आज बचाना है / रंजना वर्मा
- भज श्याम कन्हैया को दिन रात बुलाते हैं / रंजना वर्मा'
- तुम्हारा नाम जपता हर घड़ी ये दिल दिवाना है / रंजना वर्मा
- चढ़ी आज डोली बढ़े जा रही है / रंजना वर्मा
- सब लोग जमाने में आदर्श बताते हैं / रंजना वर्मा
- है ग्रहों पर कई यह चढ़ा जा रहा / रंजना वर्मा
- न यों बाँसुरी तुम बजाया करो / रंजना वर्मा
- जो रूठे उन्हें मनाना है / रंजना वर्मा
- तुम्हारे प्यार में मोहन हमारा मन दिवाना है / रंजना वर्मा
- है मात कृपा करिये हम शीश नवाते हैं / रंजना वर्मा
- साँसों का ताना बाना है / रंजना वर्मा
- नम जो आँखों में हरदम मुसकाया है / रंजना वर्मा
- मंजिल जीवन की पाना है / रंजना वर्मा
- अब लोग नफरतों का व्यापार कर रहे हैं / रंजना वर्मा
- बेदर्द यह गरीबी कितना हमें सताती / रंजना वर्मा
- न पूछो कौन अब किसकी निगाहों का निशाना है / रंजना वर्मा
- शारदे माँ को केवल नमन चाहिये / रंजना वर्मा
- प्यासे हृदय गगन पर ग़म के बादल छा जाते हैं / रंजना वर्मा
- अब तो बस अपनी ही ख़ातिर जीता यह संसार लगा / रंजना वर्मा
- श्याम का रात दिन स्मरण चाहिये / रंजना वर्मा
- कन्हैया न यूँ मुस्कुराया करो / रंजना वर्मा
- नित नये पन्थ का आकलन चाहिये / रंजना वर्मा
- अँधेरा यहाँ हर तरफ छा रहा है / रंजना वर्मा
- तुम्हारा नाम लेकर प्राण का संचार करना है / रंजना वर्मा
- द्वेष मद मोह का अब शमन कीजिये / रंजना वर्मा
- हो नित्य मन में भावना / रंजना वर्मा
- ज़िन्दगी भार है / रंजना वर्मा
- तम नाश हेतु दीप जलाते सदैव है / रंजना वर्मा
- वह जो बस बात ही बनाते हैं / रंजना वर्मा
- देश है अनुपम अनोखा यह हमारी जान है / रंजना वर्मा
- जिनके इंसानियत के नाते हैं / रंजना वर्मा
- पुकारे तुमको मेरा प्यार / रंजना वर्मा
- करते करते ध्यान कृष्ण का जब मन मुस्काते हैं / रंजना वर्मा
- शारदे नमन करो स्वीकार / रंजना वर्मा
- साँवरे घनश्याम को दिल से रिझाना चाहिये / रंजना वर्मा
- घिर रहे हैं गगन श्याम घन बावरे / रंजना वर्मा
- नागरिक को हर वतन के काम आना चाहिये / रंजना वर्मा
- घहर घहर कर बादल बरसे / रंजना वर्मा
- ज़िन्दगी को प्यार का मीठा तराना चाहिये / रंजना वर्मा
- लग रहा अंतिम ठिकाना आ गया / रंजना वर्मा
- मैं रूठे दिलों को मनाने चली हूँ / रंजना वर्मा
- शांति सुख आनन्द का फिर गीत गाना चाहिये / रंजना वर्मा
- वेणु वादन के लिये हरि को बुलाना आ गया / रंजना वर्मा
- अब हमें ग़म को भुलाना आ गया / रंजना वर्मा
- तुमको चाँद धरा पर आना ही होगा / रंजना वर्मा
- है आसान बनाना रिश्ता पर है कठिन निभाना / रंजना वर्मा
- जीवन में इतना ही जाना / रंजना वर्मा
- अब मत देर लगाओ कान्हा / रंजना वर्मा
- दुष्ट पड़ोसी बसा पास तो मुश्किल बहुत निभाना / रंजना वर्मा
- हैं किसी से न कुछ माँगती बेटियाँ / रंजना वर्मा
- केशव ऐसा शंख बजाना / रंजना वर्मा
- माझी नैया पार लगाना / रंजना वर्मा
- साँवरे से लग्न चाहिये / रंजना वर्मा
- अश्रु आँखों में पल गये होंगे / रंजना वर्मा
- एक बार ही ज़िन्दगी देती है अवसर / रंजना वर्मा
- अगर इस ज़िन्दगी के पार जाना है / रंजना वर्मा
- गान करूँ मैं साँवरे तव महिमा सस्वर / रंजना वर्मा
- सभी को समय ने सताया जहाँ में / रंजना वर्मा
- मोक्ष हित साँवरे की लगन चाहिये / रंजना वर्मा
- ज़िन्दगी के दौर ने ऐसा है मारा क्या करें / रंजना वर्मा
- अगन पीर की पी तभी तो जली हूँ / रंजना वर्मा
- तू अगर मेरी जान हो जाये / रंजना वर्मा
- हमें क्यों कर के यों बेघर गये हो / रंजना वर्मा
- घिरे हैं मेघ नभ में और बिजली भीति लायी है / रंजना वर्मा
- वक्त पड़ने पर नहीं आँखें चुराना चाहिये / रंजना वर्मा
- ग़ज़ब की ले लुनाई घिर सुहानी साँझ आयी है / रंजना वर्मा
- घनश्याम कन्हैया के दरबार चली आयी / रंजना वर्मा
- चाँद सूरज चल रहे हैं / रंजना वर्मा
- चार दिन की ज़िन्दगी हँस कर बिताना चाहिये / रंजना वर्मा
- जो रुष्ट हुए तुमसे तुम उनको मना लेना / रंजना वर्मा
- क्यों भला यह व्यर्थ की तक़रार है / रंजना वर्मा
- आ गयी फिर है इस बार दीपावली / रंजना वर्मा
- जुदा तुमको अपने से होने न देंगे / रंजना वर्मा
- जिसके चरणों में नत होते भारत के वीरों का भाल / रंजना वर्मा
- किसलिये गुजरा ज़माना चाहिये / रंजना वर्मा
- स्वर्ग लोक की परी धरा पर आयी है / रंजना वर्मा
- कहीं पर भी कोई हलचल नहीं है / रंजना वर्मा
- कभी भी किसी ने न हमको बुलाया / रंजना वर्मा
- ज़िन्दगी यह ईश का उपहार है / रंजना वर्मा
- तेरा श्याम प्यारे यजन कर रही हूँ / रंजना वर्मा
- सभी नाश पथ पर गमन कर रहे हैं / रंजना वर्मा
- हैं चलन अब जहाँ के बदलने लगे / रंजना वर्मा
- दर्द नयन से सावन बन-बन बहता है / रंजना वर्मा
- कहीं नफ़रत सुलगती तो कहीं पर प्यार को देखा / रंजना वर्मा
- सूरज रोज सबेरे लेकर सुखद रश्मियाँ आता है / रंजना वर्मा
- श्याम घन हो गया हमारा है / रंजना वर्मा
- कालिंदी तट श्याम कृष्ण ने वेणु बजाया / रंजना वर्मा
- हर ओर है फैला हुआ यों स्वार्थ भ्रष्टाचार / रंजना वर्मा
- चला आ साँवरे मोहन तुझे मधुबन बुलाता है / रंजना वर्मा
- किसका क्या कर्तव्य जान कब कोई पाया / रंजना वर्मा
- मानवता का आज हो रहा धरती पर अपमान / रंजना वर्मा
- जन्म पाया है जियें संसार के कारण / रंजना वर्मा