कांतिमोहन 'सोज़'
जन्म | 14 जुलाई 1936 |
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निधन | 14 जुलाई 2024 |
उपनाम | सोज़ |
जन्म स्थान | हलद्वानी, उत्तराखंड, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
रात गए (ग़ज़ल-संग्रह) | |
विविध | |
पहले सिर्फ़ 'कांतिमोहन' के नाम से लिखते थे। पूरा नाम कांतिमोहन शर्मा है। | |
जीवन परिचय | |
कांतिमोहन 'सोज़' / परिचय |
कविता-संग्रह
बाल कविताएँ
कविताएँ
गीत
- लाल है परचम नीचे हँसिया / कांतिमोहन 'सोज़'
- जब आगे बढ़ते जाएँगे / कांतिमोहन 'सोज़'
- मज़दूर एकता के बल पर / कांतिमोहन 'सोज़'
- बोल मजूरे हल्ला बोल / कांतिमोहन 'सोज़'
- जागो रे मज़दूर किसान / कांतिमोहन 'सोज़'
- आ साथी बढ़े चलें ! / कांतिमोहन 'सोज़'
- चक्का जाम हुआ भई चक्का जाम हुआ ! / कांतिमोहन 'सोज़'
- फ़सल कटाई का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- मई दिवस का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- रेल-हड़ताल का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- बिहार आन्दोलन का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- इमरजेंसी का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- नौजवानों से / कांतिमोहन 'सोज़'
- अब आगे बढ़ते जाएंगे मज़दूर-किसान हमारे / कांतिमोहन 'सोज़'
- लाल है परचम नीचे हँसिया ऊपर सधा हथौड़ा है / कांतिमोहन 'सोज़'
- क्रान्ति का गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- आ क़दम मिलाकर चल, चल क़दम मिलाकर चल / कांतिमोहन 'सोज़'
- क़दम बढ़ेंगे गिर-गिरके उठेंगे उठ-उठके चलेंगे आ साथी ! / कांतिमोहन 'सोज़'
- क़िस्मत के नहीं हिकमत के धनी दौलत के नहीं हिम्मत के धनी / कांतिमोहन 'सोज़'
- मंज़िलें दूर हैं पैर मजबूर हैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- छब्बीस जनवरी आती है छब्बीस जनवरी जाती है / कांतिमोहन 'सोज़'
- मज़दूर एकता के बल पर हर ताक़त से टकराएँगे / कांतिमोहन 'सोज़'
- जितने भी हुए हैं ज़ुल्मो-सितम / कांतिमोहन 'सोज़'
- जाग उठा मज़दूर रे साथी जाग उठा मज़दूर / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये शाम है ग़म की शाम सही / कांतिमोहन 'सोज़'
- चुनाव गीत / कांतिमोहन 'सोज़'
- बन्धु, कहें क्या तुमसे हम ख़ुद पथ भूले हैं / कांतिमोहन 'सोज़'
नज़्में
ग़ज़लें
- अपना भी वही है जो हर शख़्स का क़िस्सा है / कांतिमोहन 'सोज़'
- अपना वुजूद बाइसे-तूफ़ां हुआ तो है / कांतिमोहन 'सोज़'
- अब उसकी बज़्म में कौन आएगा खुदा जाने / कांतिमोहन 'सोज़'
- अबके यूं मौसमे-खिज़ां गुज़रा / कांतिमोहन 'सोज़'
- अब खता होगी न कोई न शरारत होगी / कांतिमोहन 'सोज़'
- अब तो उसकी दीद को भी एक ज़माना हो गया / कांतिमोहन 'सोज़'
- अब दिखायेगा वो जमाल कहाँ / कांतिमोहन 'सोज़'
- अब दिखाएगा वो जमाल कहाँ / कांतिमोहन 'सोज़'
- अब सिवा मेरे कहीं उसका गुज़ारा भी नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- आईने से भी कभी आंख मिलाई क्या है / कांतिमोहन 'सोज़'
- आए कुछ अब्र कुछ शराब आए / कांतिमोहन 'सोज़'
- आजमाना भी जानता है वो / कांतिमोहन 'सोज़'
- आहें भरके देखेंगे / कांतिमोहन 'सोज़'
- इधर हैं रीते पियाले इधर भी एक नज़र / कांतिमोहन 'सोज़'
- इस तरह तुझसे गुरेज़ां हर बशर हो जाएगा / कांतिमोहन 'सोज़'
- इस लम्हा मेरे दिल न परेशान ज़रा हो / कांतिमोहन 'सोज़'
- इस सोच में डूबा हूँ मैं जाऊँ कि न जाऊँ / कांतिमोहन 'सोज़'
- इस सोच में लौलीन हूँ जाऊँ कि न जाऊँ / कांतिमोहन 'सोज़'
- उसके आंगन मैं कोई फूल झरा तो होगा / कांतिमोहन 'सोज़'
- उसे बयां भी न कर पाएगी ज़बां मेरी / कांतिमोहन 'सोज़'
- उसे मेरा ख़याल आता तो होगा / कांतिमोहन 'सोज़'
- ए साक़िआ मस्ताना मेरी कौन सुनेगा / कांतिमोहन 'सोज़'
- एक दिन मेरी मान लो यूं ही / कांतिमोहन 'सोज़'
- एक बार जीवन में आप गर वफ़ा करते / कांतिमोहन 'सोज़'
- ऐ मेरी रूहे-ग़ज़ल साथ निभाना होगा / कांतिमोहन 'सोज़'
- क्या उसे इतना भा गया हूँ मैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- क्या क्या पापड़ बेल चुके हैं अब ग़म से घबराना क्या / कांतिमोहन 'सोज़'
- क्या क्या पापड़ बेल चुके हैं अब ग़म से घबराना क्या / कांतिमोहन 'सोज़'
- क्या देखना है और यहाँ कुछ तो बोल तू / कांतिमोहन 'सोज़'
- क्या सोचके वो शातिर ये चाल चला होगा / कांतिमोहन 'सोज़'
- क्यूँ फिर दिले-मफ़लूज में हरकत-सी हुई है / कांतिमोहन 'सोज़'
- कभी ख़ुशी के कभी ग़म के गीत गाते रहे / कांतिमोहन 'सोज़'
- कभी जुनूँ के कभी मांदगी के साथ चलें / कांतिमोहन 'सोज़'
- कभी मुझ पर कभी हालात पे हँस देते हो / कांतिमोहन 'सोज़'
- करम काफ़ी है जानेजां सितम की क्या ज़रुरत है / कांतिमोहन 'सोज़'
- किस बला का जोश जानां तेरे दीवाने में है / कांतिमोहन 'सोज़'
- कूए-सितमगर ख़ातिरे-ख़ंजर जब दीवाने जाते हैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- कोई खुद्दार तेरा हमसफ़र हो भी तो कैसे हो / कांतिमोहन 'सोज़'
- कोई जज़ा कोई मनसब कोई सिला भी नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- कोई दुआ कोई उम्मीद बर नहीं आती / कांतिमोहन 'सोज़'
- कोई बिजली खला में कौंध जाए यूूं भी होता / कांतिमोहन 'सोज़'
- किसी ने बर्फ़ सी भर दी थी तोपों के दहानों में / कांतिमोहन 'सोज़'
- किया इस दरजा तनहा ज़िन्दगी ने / कांतिमोहन 'सोज़'
- ख़राबा अपना न गुलज़ार हम कहाँ जाएँ / कांतिमोहन 'सोज़'
- ख़ुद को कहते हैं उसका शैदाई / कांतिमोहन 'सोज़'
- ग़ज़ल गा रहे हैं सवेरे-सवेरे / कांतिमोहन 'सोज़'
- ग़म से बढ़कर खुशी नहीं लगती / कांतिमोहन 'सोज़'
- गर उसकी ज़ुल्फ़ परीशां नहीं तो कुछ भी नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- गहराई में जाने की कला सीख रही है / कांतिमोहन 'सोज़'
- ग़ैर के वास्ते दुआ करना / कांतिमोहन 'सोज़'
- चलके लुट जाएँ ग़मे-सूद-ओ-ज़ियां के पहले / कांतिमोहन 'सोज़'
- जाते-जाते ये तो बतलाएँ किसे आवाज़ दें / कांतिमोहन 'सोज़'
- जाग रहा है फिर भी पड़ा है / कांतिमोहन 'सोज़'
- जितना जीता हूँ उतना मरता हूँ / कांतिमोहन ’सोज़’
- ज़िन्दगी को मुझे ढोना नहीं आता यारो / कांतिमोहन ’सोज़’
- तमाम उम्र सितम हमपे वो हज़ार करे / कांतिमोहन 'सोज़'
- तुझसे मायूस तो हो जाऊँ कहां जाऊँ मैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- तू एक आईनागर है संभल के चल बाबा / कांतिमोहन 'सोज़'
- तू ठीक कहता है अब मैं भी भूल जाऊँ तुझे / कांतिमोहन 'सोज़'
- तू लिख रहा है नस्र तरन्नुम की बात कर / कांतिमोहन 'सोज़'
- तेरे कूचे में बिस्मिल ज़िन्दगानी और क्या करते / कांतिमोहन 'सोज़'
- दाद की तो बात क्या बेदाद तक बाक़ी नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- दिल की धड़कन अजीब क्या कहिए / कांतिमोहन 'सोज़'
- दिल दिया दुश्मन दिया सहरा दिया दरिया दिया / कांतिमोहन 'सोज़'
- दीवाना कहके कोई मुझे छेड़ता नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- देखिए अब और क्या-क्या खेल दिखलाता है वो / कांतिमोहन 'सोज़'
- धीरज ठहर सका न दिले-बेक़रार में / कांतिमोहन 'सोज़'
- न जाने क्या हुआ उसको क़लम कर दी ज़बां मेरी / कांतिमोहन 'सोज़'
- नए अंदाज़ से दाख़िल वो हमलावर यहां होगा / कांतिमोहन 'सोज़'
- न फूल बनके वो आए न ख़ार लेके गए / कांतिमोहन 'सोज़'
- फूल की पँखुड़ी की बात करो / कांतिमोहन 'सोज़'
- बताएं क्या तुम्हें कैसा है अपना हाल मियां / कांतिमोहन 'सोज़'
- बसर ऐसी हुई है तीरगी में / कांतिमोहन 'सोज़'
- बहुत नए कभी बेहद पुराने होते हैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- बाग़े-हयात की हुई आबो-हवा कुछ और ही / कांतिमोहन 'सोज़'
- बाज़ार में क़त्लो-ग़ारत का सामान रहा और ख़ूब रहा / कांतिमोहन 'सोज़'
- बात अब जब भी चलेगी तोप की तलवार की / कांतिमोहन 'सोज़'
- बालू से चिनी जाएगी दीवार कहाँ तक / कांतिमोहन 'सोज़'
- भटकी हुई इन श्याम घटाओं को झुका दो / कांतिमोहन 'सोज़'
- मयख़ाने का हूँ मैं भी मिन्जुमलए-खासाना / कांतिमोहन 'सोज़'
- मीठी है इस क़दर उसे कैसे चुभन कहें / कांतिमोहन 'सोज़'
- मेरे नदीम मेरे ग़मगुसार रहने दे / कांतिमोहन 'सोज़'
- मैं कहाँ अब तू ही तू है हर तरफ़ / कांतिमोहन 'सोज़'
- मैं जानता हूँ इधर से तेरा गुज़र भी नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- मैं जी रहा हूँ मगर जी ज़रा नहीं लगता / कांतिमोहन 'सोज़'
- मैंने तुझको रोम-रोम से सौ-सौ बार पुकारा / कांतिमोहन 'सोज़'
- यकायक उसको क्या सूझा क़लम कर दी ज़बां मेरी / कांतिमोहन 'सोज़'
- यां तलक जान पे बन आई बहुत रात गए / कांतिमोहन 'सोज़'
- या तो कुछ ज़ोर से सुनाने दे / कांतिमोहन 'सोज़'
- या तो हरेक बशर के लिए मय हराम हो / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये खता बार-बार करते हैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये चाँद है सहमा हुआ ख़ामोश नहीं है / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये भी किसकी समझ में आया है / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये भी सोचा है क्या आपने दिलरुबा बाग़ कैसा लगेगा हमारे बिना / कांतिमोहन 'सोज़'
- रोज़ उठकर आईने के सामने जाता हूँ मैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- वो ज़ालिम तो नहीं पर सोचना था / कांतिमोहन 'सोज़'
- वो देखता नहीं कि इधर देखता नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- शाने-हिन्दोस्तान हैं बाबा / कांतिमोहन 'सोज़'
- शेख़ का एहतराम करते हैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- शेख से रस्मो-राह कर देखें / कांतिमोहन 'सोज़'
- शौक़े-दीदारे-रूखे-यार करूँ या न करूँ / कांतिमोहन 'सोज़'
- सब गया फिर भी सब बचा तुझमें / कांतिमोहन 'सोज़'
- सितमज़रीफ भी दिल कितना सादा रखता था / कांतिमोहन 'सोज़'
- सोचकर सर झुका लिया यारो / कांतिमोहन 'सोज़'
- हमको जुनूने-इश्क़ ने क्या-क्या बना दिया / कांतिमोहन 'सोज़'
- हम तो नशेमन फूँक के अपना ले के लुकाठा हाथ चले / कांतिमोहन 'सोज़'
- हम बेसरो-सामां अहले-जनूं दीवानों का नंगो-नाम है क्या / कांतिमोहन 'सोज़'
- हम मक़सद के दीवाने हैं मियाँ हमारी बात न कर / कांतिमोहन 'सोज़'
- हमसे किसका काम बनेगा कोई क्या ले जाएगा / कांतिमोहन 'सोज़'
- है पेशो-पस कि तेरी आरज़ू करें न करें / कांतिमोहन 'सोज़'
- है फ़िक्र अब कि तेरी आरज़ू करें न करें / कांतिमोहन 'सोज़'