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गीतांजली / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह 'श्रीमंत'
Kavita Kosh से
गीतांजली
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रचनाकार | रवीन्द्रनाथ ठाकुर; अनुवाद: सिपाही सिंह 'श्रीमंत' |
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प्रकाशक | कॉन्फ़्लूएंस इंटरनेशनल |
वर्ष | 2011 |
भाषा | भोजपुरी |
विषय | नोबेल पुरस्कृत रचना गीतांजली का भोजपुरी अनुवाद |
विधा | कविताएँ |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
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कविताएँ
- प्रभु हो, हमार माथा नवां द / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह 'श्रीमंत'
- हरि हो, हम तरह तरह के वासना के पीछे / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- कतना अनजानल-अनचिन्हार के / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- विपदा से हमरा के / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- सभका भीतर में निवास बा तहार / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- प्रेम, प्रान, गंध, गान प्रकाश आ पुलक बनके / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आवऽ हे प्रियतम, आवऽ / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आज धनखेती में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आज आनंद सागर में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- माई हो, हम त दुःख कष्ट से भरल / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आज हम कास फूलन के / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- ऊजर धवल पाल में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमरा नैनन के भुलववनी / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- जननी हो, आज हम / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- जगत भर से नाता जोड़े खातिर / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- मेघ पर मेघ छवले / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- प्रकाश चाहीं? प्रकाश बा कहाँ? / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आज सावनी मेघन के / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आसाढ़ के साँझ गहिरा गइल / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हे प्रानप्रिय साथी / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- जानऽ तानीं हम / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तूं कें गईं गावेलऽ / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- एँ गईं आड़ में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हे प्रभु, अबकी बार एह जीवन में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तहरे विरह-ताप ह / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- अब बेरा कहाँ बा? / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आज भरल बादल से / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- प्रभु हो, तहरा खातिर हमार आँख / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- धन जन अझुराइल बानी / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हे मनहरन प्रभु / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हे प्रभु, इहाँ हम खाली तहार / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमरा मन में से, भय भगा द हे प्रभु / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- फेन हमार मन / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमरा से मिले खातिर / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आवऽ हो आवऽ हे जल भरल मेघ / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आनंद के छंद, छलक रहल बा / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- रात के सपना छूट गइल / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- रितु शरद में कौन अतिथि / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- इहाँ जवन गीत गावे हम अइलीं / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- जे हेरा गइल / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- ई मइल कपड़ा अबकी / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमरा अंग-अंग में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हे प्रभु, आज आपन दाहिना हाथ / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आज हमरा संसार के आनंद उत्सव में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तू प्रकाशो के प्रकाशित करेलऽ / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तहरा आसन तर के माटी में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- रूप-सागर में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आकाश में प्रकाश के कमल खिल गइल / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- देख रे भाई, देख / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमार प्राण-देवता / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हे साधक, हे प्रेमी / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तूँ हउअ हमार आपन / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- नवा द हो नवा द / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आज गंधहीन हवा में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आज माँह दुआरी / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हे नाथ तूँ अपना ऊँच सिंहासन से / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- अबकी बार हमरा के अपना ल हे नाथ / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- जब हमार जिनगी झुराए लागे / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- अब अपना वाचाल कवि के / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- जब सऊँसे संसार सूतल रहेला / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- ऊ लगे आके बइठ गइले / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- सुन रे सुन / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- मान गइलीं हार, हम मान गइलीं / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- एक-एक कर के / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तहार गीत गाके / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तहार प्रेम प्राप्त करे के / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हे सुंदर आज तूँ होत पराते / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- ना पूछलीं तहार नाम / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- अरे, रे, नाव त खुल गइल / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हृदय हमार आज मेघ संगे डोलत बा / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तू ना बोलबऽ त मत बोलऽ प्रभु / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- जब-जब दीया जराइले / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- सभका से अलगा, अलोत क के / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- बज्र घहराता / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- अपना दया रूपी जल / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- सभा जब टूटी, तब / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- जनम-जनम के जे वेदना / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तू जब हमरा के गीत गावे के कहलऽ / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमार कुल्ही प्रेम प्रभु हो / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- ऊ सब हमरा घरे, दिन खानी अइले सँ / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आवत रहीं तहरा / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- एह चाँदनी रात में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमरा तहरा सलाह भइल / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- अपना अकेला घर के / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- घनघोर मोह से घेराइल / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आज जब हमरा के तूँ जगाइए देलऽ / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमरा के तूर ल हे नाथ / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हम तोहरा के चाहीले, प्रभु / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमार ई प्रेम ना डरपोंक बा, ना कमजोर / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमरा जीवन-वीणा के तार / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- ठीके कइलऽ हे निष्ठुर / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तहरा के देवता जान / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तूँ जे काम कर रहल / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- सभका बीच सभकर सहयोगी / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- पुकारऽ पुकारऽ हे प्रभु / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- संसार में जहाँ तहरा प्रेम के लूट / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- फूल जइ से अपने आप खिल पड़ेला / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तहरे तरफ उठा के मुँह हम / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आकाश में बदल ले ले / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आज मानव में बरखा / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हे देव, हमरा मन-प्राण के लबालब भर के / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमार इहे एगो साध बा / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तहरा से मिले खातिर / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तूँ सभका के देखेल ऽ / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आज से अब आपन भार / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हे हमार चित्त, हे हमार मन / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- जहाँ बसे अधम-से-अधम / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- अरे, अभागा देश हमार / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- धीरज मत तें छोड़ तोर जय होई रे / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- अब त हमरा हिया में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- घमंड क के तहार नाम / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- के कहता जे इहाँ के सब / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- नदी पार का एह असाढ़ी प्रात के / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- दिन ढलला पर / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- दया कके, खुद अपने इच्छा से / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हे मृत्यु, हे मरन / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- अरे, हम त यात्री हईं / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- गगनभेदी रथ पर / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- छोड़ भजन-पूजन आराधन / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हे असीम, सीमा के भीतर तहरे स्वर बजेला / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तहरा आनंद के आधार हमहीं बानीं / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- आदर के आसन, आराम के सेज / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- प्रभु का घर से आइल जहिया / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- एक दिन बुझाइल / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमार गीत आपन / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- निंदा, दुःख, अपमान के / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- जवना बच्चा के, मइया / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमरा जीवन बीना / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- गावे लायक बनल ना कौनो गान / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमरे माध्यम से तहार लीला / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- ना जानीं जे कहाँ से आवेला दुःस्वप्न / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- अपना गीतन से तहरा के खोज रहल बानीं / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमरा जीवन के दिन खतम हो जाई / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- जेमें हमरा अंतिम गीत / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- जब तूँ हमरा के आगे-पीछे / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- जबले ते बच्चा लेखा बलहीन / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमार चित्त जब तहरे मे लीन होला / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तहरा के हम आपन प्रभु बना के राखी / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमरा प्रान का झोली में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- माँझी, आरे हो माँझी हमरा / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमरा मन आ काया के जे / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- जाए का दिन ई बात / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- अपना नाम से जे तोपले बन्हले बानीं / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- नाथ, हमर नाम मिटाँ देवऽ तूँ जहिया / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- बाधा-बंधन में जकड़ल बानी / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तहरा से दया के भीख माँगे / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- जीवन में जे पूजा / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- एके नमस्कार में प्रभु हो / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हमरा जीवन में जे हमेशा / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- रोज-रोज के ई विरोध / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- हम प्रेम का हाथे पकड़ाई / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- संसार में आउर-आउर / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- अपना प्रेमदूत के कब तू हमरा लगे पेठइबऽ / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- तूँ हमरा से गीत गवावेलऽ / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- मन में होला अबकी होई / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- छिपल शेष में बा अशेष भी / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’
- दिन अगर ढल गइल / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’