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"एहसास हूँ मैं / सूरज राय 'सूरज'" के अवतरणों में अंतर
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19:19, 26 फ़रवरी 2018 का अवतरण
एहसास हूँ मैं
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रचनाकार | सूरज राय 'सूरज' |
---|---|
प्रकाशक | इंकहॉर्न |
वर्ष | 2017 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | कविता |
पृष्ठ | 172 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- है बहुत आसान घर दीवार करना / सूरज राय 'सूरज'
- ख़ुद ही की ख़ातिर ख़ुद को तरसाते हैं / सूरज राय 'सूरज'
- यहाँ पे बेगुनाह गर सच हमारा हो न पाएगा / सूरज राय 'सूरज'
- कोई भी जाल फैलाने न देना / सूरज राय 'सूरज'
- इस तरह हर शख़्स को हस्सास होना चाहिए / सूरज राय 'सूरज'
- अना! ख़ुद को मैं तेरी कब तक सज़ा दूँ / सूरज राय 'सूरज'
- इस दिल से बढ़कर कोई वीरान कहाँ / सूरज राय 'सूरज'
- डुबाना है अगर तो फिर समन्दर हो नहीं जाते / सूरज राय 'सूरज'
- साब! हाँ ये जिस्म का बाज़ार है / सूरज राय 'सूरज'
- दिलो-एहसास से पथरा रहा हूँ / सूरज राय 'सूरज'
- कहाँ है बदन मेरा साया कहाँ है / सूरज राय 'सूरज'
- जब तेरे आशीष से बेटा नाकारा मिल गया / सूरज राय 'सूरज'
- दर्द पे एहसास का सिंगार कर / सूरज राय 'सूरज'
- जब भी उर्यां ये ख़ामुशी होगी / सूरज राय 'सूरज'
- फूँकों से ही नभ तक पाँव पसारे हैं / सूरज राय 'सूरज'
- भीड़ शमशान तक जो आई है / सूरज राय 'सूरज'
- दर्द की देखभाल रखते हैं / सूरज राय 'सूरज'
- रज़ा रब की है गर इस पेड़ पे बिजली गिराने की / सूरज राय 'सूरज'
- बढ़ा है ख़ुद का ख़ुद से फ़ासला क्या / सूरज राय 'सूरज'
- बदन पे ज़ख़्म पत्थर कर रहे हैं / सूरज राय 'सूरज'
- मुश्किलों में फ़क़त तज्रुबा रह गया / सूरज राय 'सूरज'
- न सर काँधे पे रखते शायरी के / सूरज राय 'सूरज'
- पूछा जो उससे रात का वादा किधर गया / सूरज राय 'सूरज'
- ग़लत ये बात है कितनी, ये अक्सर भूल जाते हैं / सूरज राय 'सूरज'
- इल्ज़ामात से पीछे बंधी कलाई क्यों? / सूरज राय 'सूरज'
- डर है ये हादसा न हो जाये / सूरज राय 'सूरज'
- बंद हुये न कभी भी जो दर, देखे है / सूरज राय 'सूरज'
- हर लम्हा ही लगे आख़िरी दोस्तो / सूरज राय 'सूरज'
- रब हो गए हैं इंसा होठों पे दुआ लेकर / सूरज राय 'सूरज'
- दर्द मेरा तेरे मतले पे अगर जायेगा / सूरज राय 'सूरज'
- मुश्किल से ये बच्चे पाले हैं साहब / सूरज राय 'सूरज'
- ख़ूँ से लबरेज़ जाम है तेरा / सूरज राय 'सूरज'
- मेरा दिल तोड़ के उसका उछलना भी ज़रूरी था / सूरज राय 'सूरज'
- न जाने कौन से भाई की सच्चाई छुपाती है / सूरज राय 'सूरज'
- हुई शायद कोई अनबन परों से / सूरज राय 'सूरज'
- सिर्फ़ छह फ़ीट अँधेरे में लिटा देता है / सूरज राय 'सूरज'
- झूठ से झूठ बचाने से भला क्या हासिल / सूरज राय 'सूरज'
- दर्द अपना है न ख़ुशी अपनी / सूरज राय 'सूरज'
- दर्द पे ही विश्वास बहुत है / सूरज राय 'सूरज'
- क्यूँ ज़मीनों-आसमानों के इशारे मौन हैं / सूरज राय 'सूरज'
- रात बारिश की मुहब्बत दोस्तो / सूरज राय 'सूरज'
- भीड़ में है कौन अपना आज़माना चाहिये / सूरज राय 'सूरज'
- एक लम्बी ग़ज़ल / सूरज राय 'सूरज'
- सिर्फ़ चमड़ी का यार होता है / सूरज राय 'सूरज'
- आईने को भी सताया कीजिये / सूरज राय 'सूरज'
- जिस्म की ज़िद है सर पे कोई छत ही हो / सूरज राय 'सूरज'
- तज्रबे जबसे लड़कपन से सयाने हो गए / सूरज राय 'सूरज'
- बुलन्दी पे अपने सितारे न होते / सूरज राय 'सूरज'
- शाने पे सर रखते, शाना बोल उठा / सूरज राय 'सूरज'
- डूबती जा रही सदा कोई / सूरज राय 'सूरज'
- सिसकती है मेरी कश्ती मेरी पतवार जाने क्यूँ / सूरज राय 'सूरज'
- प्यार एहसास वफ़ा वक़्त दवा रक्खा है / सूरज राय 'सूरज'
- सलवटें माथे की यारों से छुपानी किस लिये / सूरज राय 'सूरज'
- न ख़ुदा न आइने न आदमी के सामने / सूरज राय 'सूरज'
- लुटेरों ने चलो धोखाधड़ी की / सूरज राय 'सूरज'
- टीस ने जब कभी भी रूह की अगुवाई की / सूरज राय 'सूरज'
- आह लब पे रही तश्नगी की तरह / सूरज राय 'सूरज'
- लकीरें बाप की पेशानी की गर यार पढ़ लोगे / सूरज राय 'सूरज'
- एक पल में ही तुम दूर जाने लगे / सूरज राय 'सूरज'
- यक़ीं एहसासो-उल्फ़त के खज़ाने याद रहते हैं / सूरज राय 'सूरज'
- आज भी औरत तेरा कितना कसा संसार है / सूरज राय 'सूरज'
- नहीं मैं ये नहीं कहता कोई अधिकार लिख देना / सूरज राय 'सूरज'
- यहां पे मदद करने वाले बहुत हैं / सूरज राय 'सूरज'
- मेरा बाप मुझको ग़लत टोकता है / सूरज राय 'सूरज'
- कैसे पता हो मेरा, ये दर्दे-दिल किसी को / सूरज राय 'सूरज'
- एक-एक लकड़ी पलक मलने लगी है / सूरज राय 'सूरज'
- ज़र्रे-ज़र्रे के होठों पे वा देखकर / सूरज राय 'सूरज'
- कभी तो मुहब्बत की बरसात होगी / सूरज राय 'सूरज'
- कांच के शो रूम वाली झूठ की दुकान है / सूरज राय 'सूरज'
- कुछ सुनो मेरी अपनी सुनाओ कभी / सूरज राय 'सूरज'
- बेज़बानों की ज़बानों से बयां हो जाऊँगा / सूरज राय 'सूरज'
- लोग मुर्दों से मज़हब बचाते रहे / सूरज राय 'सूरज'
- सोचिए क्या साथ लेके जाएँगे / सूरज राय 'सूरज'
- हिन्दू, ईसाई, सिक्खो-मुसलमान हो गए / सूरज राय 'सूरज'
- कहाँ इसका राजा है रानी कहाँ है / सूरज राय 'सूरज'
- दरख़्तों का वहीं पे क़ाफ़िला ये रुकने वाला है / सूरज राय 'सूरज'
- ज़िंदगी की अजब हैं मटरगश्तियाँ / सूरज राय 'सूरज'
- प्यार से होंगे लबालब शब्द के सागर सभी / सूरज राय 'सूरज'
- आँख का मिलना-चुराना हो गया / सूरज राय 'सूरज'
- जायेंगे बच्चे विलायत देखना / सूरज राय 'सूरज'
- ख़ून है नक़्शे-दस्ते-माली है / सूरज राय 'सूरज'
- अक्स जब आईने में मरता है / सूरज राय 'सूरज'
- किसी की याद में ये ज़िंदगी ऐसे बिताना है / सूरज राय 'सूरज'
- कुछ नहीं मुश्किल रवायत को निभाना / सूरज राय 'सूरज'
- दोस्त अपना कोई बनाओ तो / सूरज राय 'सूरज'
- एक काँधा बोझ बाँटे चार का / सूरज राय 'सूरज'
- बचपन की तस्वीर दिखाने आया हूँ / सूरज राय 'सूरज'
- धँसे ज़हनो-दिल में ये क़ाबा-शिवाले / सूरज राय 'सूरज'
- खोट पे ऐतबार करता है / सूरज राय 'सूरज'
- आपसे कुछ भी गर छुपाएँगे / सूरज राय 'सूरज'
- भाई ये मेरे ख़ाते-बही किसलिये / सूरज राय 'सूरज'
- चलो दर्द दुनिया के मिल के सहेंगे / सूरज राय 'सूरज'
- तू भी मेरी तरह दुखी है क्या? / सूरज राय 'सूरज'
- आसमानों से अकड़कर ये ज़मीं गर देखना / सूरज राय 'सूरज'
- प्यार सातों सुरों में सजाते रहो / सूरज राय 'सूरज'
- याद सहरा सा आ गया कोई / सूरज राय 'सूरज'
- कभी-कभी खुद से पूछते हैं / सूरज राय 'सूरज'
- समझदार रिश्ते बनाते रहे हैं / सूरज राय 'सूरज'
- दिल की दहलीज़ पे टकटकी रह गई / सूरज राय 'सूरज'
- है क़ाबा इक तरफ़ और इक तरफ़ काशी-शिवाला है / सूरज राय 'सूरज'
- सामने ग़ैर के मुस्कुराया करो / सूरज राय 'सूरज'
- सच से गर्दन बचाने से क्या फ़ायदा / सूरज राय 'सूरज'
- पास में इनके नमक का है खज़ाना दोस्तों / सूरज राय 'सूरज'
- जो तीन इक्के रखके भी हारा हुआ है / सूरज राय 'सूरज'
- रात जलकर जो अंधेरों से लड़ा होता है / सूरज राय 'सूरज'
- ऐ ज़िंदगी कभी तो मेरे भी घर तू आना / सूरज राय 'सूरज'
- ख़ुशी से ढँाक के आँखें, ख़ुशी को ढूँढता इक दिन / सूरज राय 'सूरज'
- आज अपने आप के अंदर गए / सूरज राय 'सूरज'
- आँसुओं पे शब्द का सिंगार करके आ गए / सूरज राय 'सूरज'
- इंसान के नक़्शे में जब प्यार नहीं होगा / सूरज राय 'सूरज'
- और है रिश्ता बनाना और निभाना और है / सूरज राय 'सूरज'
- जिस्म से जाँ की धोखाधड़ी क्या करें / सूरज राय 'सूरज'
- पेट भूखे करिश्मात करते रहे / सूरज राय 'सूरज'
- पेट ख़ाली, किसान है शायद / सूरज राय 'सूरज'
- छल-झूठ की है आपको आदत नई-नई / सूरज राय 'सूरज'
- रात भर वादा कोई छलता रहा / सूरज राय 'सूरज'
- घाव करके नमक लगाते हैं / सूरज राय 'सूरज'
- मुहब्बत और मुहब्बत के असर की बात करते हैं / सूरज राय 'सूरज'
- जिसका जैसा भी चाहो किरदार लिखो / सूरज राय 'सूरज'
- ग़ैर की छोड़ो हमी ख़ुद हम नहीं / सूरज राय 'सूरज'
- बेज़बानों की ज़बानों से बयाँ हो जाऊँगा / सूरज राय 'सूरज'