कुण्डलियाँ मात्रिक छंद है। एक दोहा और एक रोला मिला कर कुण्डलियाँ बनती है। दोहे का अंतिम चरण ही रोला का प्रथम चरण होता है तथा जिस शब्द से कुण्डलियाँ का आरम्भ होता है, उसी शब्द से कुण्डलियाँ छंद समाप्त भी होता है।
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