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माधुर्य-मकरन्द / स्वामी सनातनदेव
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माधुर्य-मकरन्द
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रचनाकार | स्वामी सनातनदेव |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
मंगल-माधुरी
विनय-माधुरी
- वन्दों जुगल के पद-कमल / स्वामी सनातनदेव
- जुगल के चरन परम धन मेरे / स्वामी सनातनदेव
- रूप-राशि श्रीराधे! जय जय / स्वामी सनातनदेव
- स्वामिनी! मेरी सुधि लीजै / स्वामी सनातनदेव
- प्रीतम-प्रान-पोसिनी राधे! / स्वामी सनातनदेव
- प्रियाजू! प्रीति-प्रसादी पाऊँ / स्वामी सनातनदेव
- स्वामिनी! सेवा को सुख पाऊँ / स्वामी सनातनदेव
- राधे! कृपा-कोर करि कहिये / स्वामी सनातनदेव
- मोहन! मो नयनन के तारे / स्वामी सनातनदेव
- तुमसों बात न कोई गोई / स्वामी सनातनदेव
- यह मन मेरो कह्यौ न मानें / स्वामी सनातनदेव
- मोहिं कोउ अपनी ही करि मानो / स्वामी सनातनदेव
- तुम्हीं हो मेरे सब कुछ स्याम! / स्वामी सनातनदेव
- तुम्हें मैं क्या दूँ दीनानाथ! / स्वामी सनातनदेव
- प्यारे! कहा कहों मैं मन की / स्वामी सनातनदेव
- कबहुँ तुम मिले न मन के मीत / स्वामी सनातनदेव
- पिया! मैं पुनि-पुनि पायँ परूँ / स्वामी सनातनदेव
- मोहि हरि! एक तिहारी आस / स्वामी सनातनदेव
- का कहि अपनी व्यथा सुनाऊँ / स्वामी सनातनदेव
- मेरी टेर सुनहुँ गिरिधारी! / स्वामी सनातनदेव
- स्याम! मेरी लज्जा हाथ तिहारे / स्वामी सनातनदेव
- स्याम! मोरी लाज तिहारे हाथ / स्वामी सनातनदेव
- मन की कहा कहों मनमोहन! / स्वामी सनातनदेव
- कबहुँ का सुनिहो मेरी टेर / स्वामी सनातनदेव
- स्याम! तुम मेरे जीवन-प्रान / स्वामी सनातनदेव
- प्रभुजी! लाज तिहारे हाथ / स्वामी सनातनदेव
- तुम्हारी क्या इच्छा है नाथ! / स्वामी सनातनदेव
- पिया! मेरे प्रानन में रम जाओ / स्वामी सनातनदेव
विहार-माधुरी
- कोउ मोहिं पिय-आगमन सुनावै / स्वामी सनातनदेव
- मेरी एकहुँ सुनी न टेर / स्वामी सनातनदेव
- कोउ मोहिं पिय की गैल बतावै / स्वामी सनातनदेव
- कोइ मोहिं पिय को पन्थ बतावै / स्वामी सनातनदेव
- कबलौं ऐसे स्याम! सरैगी / स्वामी सनातनदेव
- मेरो जीवन बीत्यौ जाय, स्याम! कब सुधि लोगे / स्वामी सनातनदेव
- स्याम बिनु बैरिन कुंज भईं / स्वामी सनातनदेव
- कासों कहों हिये की बात / स्वामी सनातनदेव
- मैं कैसे धीरज धारूँ री! / स्वामी सनातनदेव
- सखि! मोहिं स्यामहि की सुधि आवै / स्वामी सनातनदेव
- हरि बिनु लगत मोहिं सब सूनो / स्वामी सनातनदेव
- सखी! मोहिं प्रिय की सुरति सतावै / स्वामी सनातनदेव
- तुम बिनु चैन हुँ भयो अचैन / स्वामी सनातनदेव
- बड़भागी वह जीव जाहि हरि-विरह सतावै / स्वामी सनातनदेव
- कैसे दरस-परस तब पाऊँ / स्वामी सनातनदेव
- कबलौं ऐसे स्याम! निभैगी / स्वामी सनातनदेव
- कासों कहों हिये की बात 1 / स्वामी सनातनदेव
- तुम बिनु जीवन भार भयो / स्वामी सनातनदेव
स्वरूप-माधुरी
- मोहिं सखि! ऐसो समुझि पड़ो / स्वामी सनातनदेव
- जुगलवर सदा एक रस-रूप / स्वामी सनातनदेव
- जुगल-रस मेरो जीवन-मूल / स्वामी सनातनदेव
- जुगल के गुनगन अगम अगाधे / स्वामी सनातनदेव
- जुगल-रस अनुपम अमित अपार / स्वामी सनातनदेव
- प्रीति अरु प्रीतम एकहि रूप / स्वामी सनातनदेव
- राधा-माधव ज्योति जगी री! / स्वामी सनातनदेव
- अति लौने सखि! लली-ललन री! / स्वामी सनातनदेव
- सुन्दर स्यामा-स्याम सलौने / स्वामी सनातनदेव
- मैं तो कोउ स्यामाजू की चेरी / स्वामी सनातनदेव
- प्रीति की प्रतिमा कीर्ति-कुमारी / स्वामी सनातनदेव
- मेरी स्वामिनि राधा-रानी / स्वामी सनातनदेव
- मेरी ब्रह्म स्याम बनि आयो जी! / स्वामी सनातनदेव
- ललन की छवि पै बलि-बलि जाऊँ / स्वामी सनातनदेव
- वदनपै वारों तन मन प्रान / स्वामी सनातनदेव
- वदन की सुखमा कही न आय / स्वामी सनातनदेव
- मेरी जीवन की निधि स्याम / स्वामी सनातनदेव
- अनूठी झाँकी स्यामा-स्याम की / स्वामी सनातनदेव
- बरसत नेह-नीर नित नेरो / स्वामी सनातनदेव
- मेरो प्यारो कारो स्याम / स्वामी सनातनदेव
- आपु हि कैसे आपु दुरावै / स्वामी सनातनदेव
प्रीति-माधुरी
- प्रेम-पन्थ सखि! सबसों न्यारी / स्वामी सनातनदेव
- प्रीति की बड़ी अनूठी रीति / स्वामी सनातनदेव
- प्रेम-पन्थ में परै वही जो रखै न सिर को मोह / स्वामी सनातनदेव
- जाहि यह लगै प्रीति को रंग / स्वामी सनातनदेव
- कैसे करि यह मन सखि! मारों / स्वामी सनातनदेव
- उर में लगत न तरस प्रखर-सी / स्वामी सनातनदेव
- प्रीति की प्यास लगै तन-मनमें / स्वामी सनातनदेव
- निर्बल के बल हैं मनमोहन सबल न / स्वामी सनातनदेव
- प्रीति की बात कहो न कहिये / स्वामी सनातनदेव
- लगै जब हियमें लगन भजन की / स्वामी सनातनदेव
- मन में लगन लगै मोहन की / स्वामी सनातनदेव
- तुव मुख-कमल-मधुप मोरे नैना / स्वामी सनातनदेव
- सखी! ये नयना भये चकोर / स्वामी सनातनदेव
- स्याम! यह मेरो परम सुहाग / स्वामी सनातनदेव
- मोहन! कैसी मोहिनि डारी / स्वामी सनातनदेव
- हाय! मैं काहे न बेनु भई / स्वामी सनातनदेव
- विधिना मोहि सखी क्यों कीन्हों / स्वामी सनातनदेव
- मोहि सखि! रह्यौ स्याम-ग्रह घेर / स्वामी सनातनदेव
- यह मन मोहन में न समानो / स्वामी सनातनदेव
- सखि! मोहिं स्याम हिकी सुधि आवै / स्वामी सनातनदेव
- मोरे मन हरि-दरसन को चाव / स्वामी सनातनदेव
- मोहिं कछु हरि-रति की रति लागी / स्वामी सनातनदेव
- सखी री! मैं तो प्रीतम के गुन गाऊँगी / स्वामी सनातनदेव
- सखी री! मैं तो मोहन बिनु बिलखाऊँ / स्वामी सनातनदेव
- मोहिं अब स्याम की सौगन्ध / स्वामी सनातनदेव
- मोहिं सखि! स्यामाजू की सोंह / स्वामी सनातनदेव
- मो नयनन नँद-नन्द बसे री! / स्वामी सनातनदेव
- मैं पिय के गुनगन गाऊँ री! / स्वामी सनातनदेव
- दरस बिनु रहहिं दुखारी नैन / स्वामी सनातनदेव
- मेरी एकहुँ नाहिं सुनी / स्वामी सनातनदेव
- तुम बिनु छटपट प्रान करें / स्वामी सनातनदेव
- बंसी के बस स्याम भये री! / स्वामी सनातनदेव
- तरसि-तरसि ही बयस गयी! / स्वामी सनातनदेव
- कोउ मोहिं पिय की गैल बतावै / स्वामी सनातनदेव
- पिया बिनु बैरिन बयस भई / स्वामी सनातनदेव
- अब मोहिं दीखत और न ठौर / स्वामी सनातनदेव
- मैं प्रीतम के रंग राचूँगी / स्वामी सनातनदेव
- मोहिं तुम अपनो ही करि मानो / स्वामी सनातनदेव
- नयनन लगी नयन को चोट / स्वामी सनातनदेव
- मोहिं सुन्दर स्याम बुलावत है री! / स्वामी सनातनदेव
- यह मन रहत स्याम-रस भीनो / स्वामी सनातनदेव
- मैं तो तोरे पद पंकज की भौरी / स्वामी सनातनदेव
- द्वार पै आयो एक भिखारी / स्वामी सनातनदेव
- तुव पद-प्रीति परम धन मेरो / स्वामी सनातनदेव
- मैं स्याम-स्याम सखि! गाऊँगी / स्वामी सनातनदेव
- मेरो हिवड़ो उमड़ो आवै / स्वामी सनातनदेव
- प्यारे! कहा कहों मैं जीकी / स्वामी सनातनदेव
- प्रीतम! तुम मेरे हिय बिलसत हो / स्वामी सनातनदेव
- कैसे करि हरि! तुमहिं विसारूँ / स्वामी सनातनदेव
- मोहिं लागी लगन मिलन की / स्वामी सनातनदेव
- स्याम! मोहि तुम बिनु कछु न सुहाय / स्वामी सनातनदेव
- कहा-कहा कहि मन समझाऊँ / स्वामी सनातनदेव
- मेरो मन गयो स्याम के संग / स्वामी सनातनदेव
- प्रीति है प्रीतम ही को अंग / स्वामी सनातनदेव
- मेरे सब कुछ तुम ही स्याम! / स्वामी सनातनदेव
- द्वारे ठाड़ो एक भिखारी / स्वामी सनातनदेव
- मैं तो सदा सुहागिन माई / स्वामी सनातनदेव
- अब हम केवल स्यामके / स्वामी सनातनदेव
- प्यारे! जो तुम ठई, भई / स्वामी सनातनदेव
- पिया बिनु कैसे प्रान रहें / स्वामी सनातनदेव
- अँखियाँ लखि हूँ लखि न सकीं / स्वामी सनातनदेव
- चितवन ने सखि! नयन चुराये / स्वामी सनातनदेव
- मनमोहन की रति जब जागै / स्वामी सनातनदेव
- सखि! मैं निरखे आजु गोपाल / स्वामी सनातनदेव
- जाकी जासों लगन लगी / स्वामी सनातनदेव
- स्याम ने मेरो चित चुरायो / स्वामी सनातनदेव
- मेरो मन गयो स्यामके संग / स्वामी सनातनदेव
- चढू ही रहत चित पै चित-चोर / स्वामी सनातनदेव
- चुरायो बरजोरी चित मोर / स्वामी सनातनदेव
- मेरो मन भयो चोर को चेरो / स्वामी सनातनदेव
- मोहन मेरे मन को चोर / स्वामी सनातनदेव
- सखि! कोउ मेरो चित्त चुरायो / स्वामी सनातनदेव
- मैं मनमोहन के रंग राती / स्वामी सनातनदेव
- अब मैं कहा करूँ री माई! / स्वामी सनातनदेव
- मेरी मोहन सों सखि! प्रीति / स्वामी सनातनदेव
- सखि! मोहिं स्यामहि स्याम सुहावै / स्वामी सनातनदेव
- सखि! मोहिं हरि बिनु कछु न सुहात / स्वामी सनातनदेव
- सखी! मोहिं लागी स्याम-ठगौरी / स्वामी सनातनदेव
- अब सखि! हरि बिनु कछु न सुहात / स्वामी सनातनदेव
- स्यामसों कैसे हियो हटै / स्वामी सनातनदेव
- सखि! कोउ मो मन आय गह्यौ री! / स्वामी सनातनदेव
- अब सखि! कहा लोक सों लीजै / स्वामी सनातनदेव
- सखी री! हिय में हरि-छवि अटकी / स्वामी सनातनदेव
- स्याम बिना मोहिं चैन परै ना / स्वामी सनातनदेव
- मेरो मन गयो स्याम के संग / स्वामी सनातनदेव
- सखि! यह कहा स्याम ने कीन्हों / स्वामी सनातनदेव
- इन नयनन नँदलाल बसे री! / स्वामी सनातनदेव
- मैं तो स्याम की सहेली हेली! / स्वामी सनातनदेव
- स्याम! मैं बिना मोल की चेरी / स्वामी सनातनदेव
- प्रियाजू! मैं सदा तिहारी चेरी / स्वामी सनातनदेव
- मैं तो तेरी जन्म-जनम की चेरी / स्वामी सनातनदेव
- मैं तो सदा स्याम को चेरी / स्वामी सनातनदेव
- स्याम! मैं तेरी चेरी रे! / स्वामी सनातनदेव
- मेरी हरि! एकहुँ बात न मानी / स्वामी सनातनदेव
- मन में छलकी छवि न तिहारी / स्वामी सनातनदेव
- कैसे धीरज धारूँ मनमें / स्वामी सनातनदेव
- ऐसे ही सब वयस गई री / स्वामी सनातनदेव
- कहा यह हरिजू! तुमने ठानी / स्वामी सनातनदेव
- तुम बिनु कैसेहुँ कल न परै / स्वामी सनातनदेव
- प्यारे! मन मसोसि रह जाऊँ / स्वामी सनातनदेव
- प्रभुजी! मैं जो चह्यौ न पायो / स्वामी सनातनदेव
- प्यारे! ऐसी का तुम ठानी / स्वामी सनातनदेव
- मेरे मन की कछु न भई / स्वामी सनातनदेव
- स्याम! मैं कैसे मन समझाऊँ / स्वामी सनातनदेव
- ऐसी कहा चूक भई मेरी / स्वामी सनातनदेव
- मेरी कौन सुनै गिरिधारी! / स्वामी सनातनदेव
- मेरी एकहुँ नाहिं सुनी / स्वामी सनातनदेव
- अब कछु स्याम! तुमहुँ हठ ठानी / स्वामी सनातनदेव
- यह मन तरसत ही रह जइ है / स्वामी सनातनदेव
- स्याम! मेरी एकहुँ नाहिं बनी / स्वामी सनातनदेव
- द्वारसों क्यों निरास ह्वै जाऊँ / स्वामी सनातनदेव
- तिहारे हिय हरि! कहा ठई / स्वामी सनातनदेव
- तुमसों कैसे नेह लगै / स्वामी सनातनदेव
- तुम बिनु दीखत और न ठौर / स्वामी सनातनदेव
- स्यामा-स्याम जुगलवर आली! जुगवत ही रहिये / स्वामी सनातनदेव
- मैं तोरी चरन-सरन तकि आयो / स्वामी सनातनदेव
- स्याम! मैं सब विधि तेरो-तरो / स्वामी सनातनदेव
- स्याम! मैं सब विधि सदा तिहारी / स्वामी सनातनदेव
विवेक-माधुरी
- मन! तू माधव को ह्वै रह रे! / स्वामी सनातनदेव
- अरे! तू काहे होत अधीर / स्वामी सनातनदेव
- मन तू नाम-सुधा-रस पी रे! / स्वामी सनातनदेव
- मन! जनि वृथा डरि डरि डरि / स्वामी सनातनदेव
- रे मन! स्याम सों कर प्रीति / स्वामी सनातनदेव
- मन! तू जहाँ-तहाँ क्यों अटकै / स्वामी सनातनदेव
- मेरी एकहुँ नाहिं चली / स्वामी सनातनदेव
- यह मन भयो न काहू काम को / स्वामी सनातनदेव
- करी मेरे मोहन की होय / स्वामी सनातनदेव
- कृपा बिनु तुम लगि कब को आवै / स्वामी सनातनदेव
- मेरो हर! तुमसों कहा दुराव / स्वामी सनातनदेव
- यह मन भयो कहा कछु बौरो / स्वामी सनातनदेव
- मन! तू मन मोहन में लाग रे! / स्वामी सनातनदेव
- तिहारी चसक न कसक लगी / स्वामी सनातनदेव
- यह मन भयो विषयको चेरी / स्वामी सनातनदेव
- भजन की लगन न लागी रे! / स्वामी सनातनदेव
- यह मन-अनत-अनत ही भटकै / स्वामी सनातनदेव
- यह तनु है कागज की पुडिया, कब तक इसे बचाना है / स्वामी सनातनदेव
- भजन बिनु बाद हि जीवन जात / स्वामी सनातनदेव
- कैसे करि हरि! यह मन मारूँ / स्वामी सनातनदेव
- मन! तू गोविन्द-गोविन्द गा रे / स्वामी सनातनदेव
- वृथा ही सिगरी वयस गई / स्वामी सनातनदेव
- रसना ररकि-ररकि रह जाय / स्वामी सनातनदेव
- कहा कहों कछु समुझि परै ना / स्वामी सनातनदेव
- हरि को नाम भावसों भज रे! / स्वामी सनातनदेव
- मेरो मन मानत मौज फकीरीमें / स्वामी सनातनदेव
- जापै प्रियतम कृपा करैं / स्वामी सनातनदेव
- काहे न हरि ही कों सुमिरहु रे! / स्वामी सनातनदेव
- जीवन यों ही बीत्यौ जात / स्वामी सनातनदेव
- जो कोउ हरिके गुनगन गावै / स्वामी सनातनदेव
- जीवन व्यर्थहि बीत्यौ जात / स्वामी सनातनदेव
- मदन-मथन के चरन सुमिर मन / स्वामी सनातनदेव
- जो मोहिं होती हरिसों प्रीति / स्वामी सनातनदेव
- यह मन भयो विषय को चेरी / स्वामी सनातनदेव
- मोहन! यह मन मरो न मानत / स्वामी सनातनदेव
- मो-सो कहो कहाँ को कामी / स्वामी सनातनदेव
- यह तन काहू काम न आयो / स्वामी सनातनदेव
- मन! तू काहे भटकत है रे / स्वामी सनातनदेव
- ‘स्याम स्याम स्याम’ सुमिर / स्वामी सनातनदेव
- यह मन मानत कह्यौ न मेरो / स्वामी सनातनदेव
- ऐसे ही सब दिवस गये री! / स्वामी सनातनदेव
- यह मन भयो विषय को खेरो / स्वामी सनातनदेव
- हलचल ही में दिवस गये जी! / स्वामी सनातनदेव
- मन तू क्यों एतो इतरावै / स्वामी सनातनदेव
- तेरा खेल अनोखा प्यारे! / स्वामी सनातनदेव
- प्यारे! अद्भुत खेल दिखाया / स्वामी सनातनदेव
- लीला-माधुरी / स्वामी सनातनदेव
- आजु प्रगटीं राधा जग-पावनि / स्वामी सनातनदेव
- भानु-भवन इक लाली प्रगटी, घर-घर जत बधाई हो / स्वामी सनातनदेव
- पौढ़े पलना बाल-गोपाल / स्वामी सनातनदेव
- काहू की नजरिया लागी री! / स्वामी सनातनदेव
- अजिर में खेलत बाल-गोपाल / स्वामी सनातनदेव
- पग धरि चलत स्याम आँगन में / स्वामी सनातनदेव
- अजिर में खेलत हैं दोउ भैया / स्वामी सनातनदेव
- मेरो गोपाल री! मोहिं लागत है अति नीको / स्वामी सनातनदेव
- आजु कछु अद्भुत भाव भयो री! / स्वामी सनातनदेव
- आयो सावन मास गगन घन-मण्डलसों छायो / स्वामी सनातनदेव
- जाको वेदहुँ भेद न पायो / स्वामी सनातनदेव
- विपिनसों आवत है वनमाली / स्वामी सनातनदेव
- एक दिना मणि-खम्भ माहिं मनमोहन ने निज रूप निहारो / स्वामी सनातनदेव
- स्याम ने ग्वालिनि भेस बनायो / स्वामी सनातनदेव
- बँसुरिया बाजी री! जमुना के तीर / स्वामी सनातनदेव
- काहे रोकहु गैल हमारी / स्वामी सनातनदेव
- आजु हरि खेलत खेल नये री! / स्वामी सनातनदेव
- व्रज-वीथिन एक बाला डोलै / स्वामी सनातनदेव
- आजु कोउ मधुपुरतें सखि! आयो / स्वामी सनातनदेव
- नयना जुगल रूप-रस राते / स्वामी सनातनदेव