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कविता कोश में कवित्त
"कवित्त" श्रेणी में पृष्ठ
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अगले 200
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अ
अइसहीं बितइहों कि चितइहों चित लाई के / महेन्द्र मिश्र
अछवानी बरनन / रसलीन
अजब अपार परिपूर्ण छै प्रताप लै केॅ / अनिल शंकर झा
अटपट करोगे कान्ह मुरली छिनवाय लूँगी / महेन्द्र मिश्र
अध्यात्म / शब्द प्रकाश / धरनीदास
अध्यात्म 2 / शब्द प्रकाश / धरनीदास
अनका पति के देखि चार गाल बात करे / महेन्द्र मिश्र
अनन्य भाव / सुजान-रसखान
अनुसयना नायिका बरनन / रसलीन
अन्त / शब्द प्रकाश / धरनीदास
अब तजि आस आसु-तोस गये भारत ने / नाथ कवि
अर्थो के जुगोॅ में हम्में अर्थो के अभाव में छी / अनिल शंकर झा
अष्ट नायिका लच्छन / रसलीन
आ
आँसुनि कि धार और उभार कौं उसांसनि के / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
आइ ब्रज-पथ रथ ऊधौ कौं चढ़ाइ कान्ह / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
आई शुभ वसंत / शिवदीन राम जोशी
आए कंसराइ के पठाए वे प्रतच्छ तुम / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
आए दौरि पौरि लौं अबाई सुन ऊधव की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
आए भुजबंध दये ऊधव सखा कैं कंध / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
आए लौटि लज्जित नवाए नैन ऊधौ अब / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
आए हो सिखावन कौं जोग मथुरा तैं तोपै / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
आए हौ पठाए वा छतीसे छलिया के इतै / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
आगतपतिका / रसलीन
आतुर न होहु ऊधौ आवति दिबारी अवै / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
आत्म विश्वास (१) / शिवदीन राम जोशी
आत्म विश्वास (२) / शिवदीन राम जोशी
आदमी केॅ चाहियोॅ जी एकटा मृणाल बाँह / अनिल शंकर झा
आपना पति के देखि रोई-रोई बात-करे / महेन्द्र मिश्र
आबी गेलै झकसी के दिन फनू घुरि फिरी / अनिल शंकर झा
आबो तनी गौर करो, देश के दशा के देखो / विजेता मुद्गलपुरी
आरत है भारत पुकारत है दीनानाथ / नाथ कवि
आर्तनाद / शिवदीन राम जोशी
आवत सुभाष रात सपने में देखी ‘नाथ’ / नाथ कवि
आवति दीवारी बिलखाइ ब्रज-वारी कहैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
उ
उझकि झरोखे झाँकि परम नरम प्यारी / गँग
उड़ि गुलाल घूँघर भई / बिहारी
ऊ
ऊँख में मधुराई जइसे सेंधे में है नमकापन / महेन्द्र मिश्र
ऊढ़ा बरनन / रसलीन
ऊधव कैं चलत गुपाल उर माहिं चल / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
ऊधो कहौ सूधौ सौ सनेस पहिले तौ यह / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
ऊधौ जम-जातना की बात न चलाबौ नैकु / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
ऊधौ यह ज्ञान कौ बखान सब बाद हमैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
ऊधौ यहै सूधौ सौ संदेश कहि दीजौ एक / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
ए
एक पर एक फूल सूंघल्हौ पेॅ नासपुट / अनिल शंकर झा
एते दूरि देसनि सौं सखनि-सँदेसनि सौं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
ऐ
ऐ रे दगाबाज छटा देखु रघुनंदन को / महेन्द्र मिश्र
ऐ! ज्ञान के दिवाने उधो कछु नहीं जाने प्रेम / शिवदीन राम जोशी
क
कंस के कहे सौं जदुबंस कौ बताइ उन्हैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
कठिन करेजौ जो न करक्यौ बियोग होत / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
कतना जुगो सें रोज अधरोॅ के अमृत / अनिल शंकर झा
कबित्त (कवित्त) / इब्ने इंशा
कमहीं के बस में नीम रिसी गृहस्थी लिए / महेन्द्र मिश्र
कर अनरीति तज दीनी राजनीति जिन्ना / नाथ कवि
करके दगाबाजी पाजी अब तो अमीर बन के / महेन्द्र मिश्र
कर्म / शिवदीन राम जोशी
कर्म, धर्म, योग, यज्ञ, तीर्थ व्रत दान पुन्य / शिवदीन राम जोशी
कलही कुचालीन करकसा ओ फूहरी के / महेन्द्र मिश्र
कवि के कोमल भाव हेनोॅ सुकुमार लागै / अनिल शंकर झा
कविजी / कैलाश झा ‘किंकर’
कवित्त / अछूतानन्दजी 'हरिहर'
कवित्त / प्रेमघन
कवित्त-१ / शंकरलाल द्विवेदी
कस कर कमर समर की तयारी करौ / नाथ कवि
कहत कोऊ आयौ जापान द्वार भारत के / नाथ कवि
कहत गुपाल माल मंजुमनि पुंजनि की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
कहियो नै नारीं कहै घरोॅ मंे दीवार दहौ / अनिल शंकर झा
कांग्रेस नैया के खिवैत करी भारत मांहि / नाथ कवि
क आगे.
कांपि-कांपि उठत करेजौ कर चांपि-चांपि / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
कागको कपूर अवरो मर्कट को भूषण जइसे / महेन्द्र मिश्र
कानन ते आंगुरी हटाय कैं सुनौ जी ‘नाथ’ / नाथ कवि
कान्ह कूबरी के हिये हुलसे-सरोजनि तैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
कान्ह हूँ सौं आन ही विधान करिबै कौं ब्रह्म / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
कान्ह-दूत कैंधौं ब्रह्म-दूत ह्वै पधारे आप / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
काबिल के कहल कखनियो न करलक / विजेता मुद्गलपुरी
कालिय दमन / सुजान-रसखान
किंकिनी के शब्द मुझे घायल सी करत आज नुपूर आवाज मेरो बरबस मन लेता है / महेन्द्र मिश्र
कींधौ वह देस में सनेस ही मिलत नाहीं / महेन्द्र मिश्र
कीजै ज्ञान भानु कौ प्रकास गिरि-सृंगनि पै / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
कुण्डलिया है जादुई छन्द श्रेष्ठ श्रीमान / नवीन सी. चतुर्वेदी
कूर कूरकुट को कोठरी / प्रवीणराय
कृष्ण का अलौकिकत्व / सुजान-रसखान
केकरो भी राज हुबेॅ केकरो भी पाट हुबेॅ / अनिल शंकर झा
केसरि से बरन सुबरन / बिहारी
कोऊ चले कांपि संग कोऊ उर चांपि चले / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
कोऊ जोरि हाथ कोइ नम्रता सौं नाइ माथ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
कोमल कमल हेनो मंजुल मनोहर ई / अनिल शंकर झा
ख
खिरनी खैर गौर से देखो जामुन की सुम्मार नहीं / महेन्द्र मिश्र
ग
गजब कियो है मजदूर सरकार ‘नाथ’ / नाथ कवि
गरमी की लू जमाती 'लप्पड़' करारा सा / नवीन सी. चतुर्वेदी
गाऊँ विजय भारती गान / नाथ कवि
गुरु गोविन्द के सम कौन है दाता / शिवदीन राम जोशी
गुरु चरणों में / शिवदीन राम जोशी
गुरु ज्ञान / शब्द प्रकाश / धरनीदास
गुरुजी / कैलाश झा ‘किंकर’
गोकुल की गैल-गैल गोप ग्वालिन कौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
गोपी, ग्वाल, नंद, जसुदा सौं तौं विदा ह्वै उठे / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
गोरोॅ गोरोॅ गालोॅ पर लाज के ललाई जेना / अनिल शंकर झा
घ
घनआनँद जीवन मूल सुजान की / घनानंद
च
चंद्रिका चकोर देखै निसि दिन करै लेखै / आलम
चन्द्रमा बेचारे लज्जित होते बाटिका देख / महेन्द्र मिश्र
चन्द्रिका मय मकुट मुकुटमय चन्द्रिका / महेन्द्र मिश्र
चपला सी चमक चारू सुन्दर सोहावन स्याम / महेन्द्र मिश्र
चमकत है बिजरी गरजत घन श्याम श्याम / शिवदीन राम जोशी
चम्पा की चमक चारू केतकी कमाल करे / महेन्द्र मिश्र
चल-चित-पारद की दंभ केंचुली कै दूरि / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
चलत चलाकी अनौखी वीर चर्चिल हूँ / नाथ कवि
चलत न चारयौ भाँति कोटिनि बिचारयौ तऊ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
चाकर चरस कें त चाहियो अमल नित / विजेता मुद्गलपुरी
चातक चकोर मोर शोर करि बोले हाय घटा भी घमंड घेरी घेरी बर्षतु है / महेन्द्र मिश्र
चानी हेनो चकमक पोखरी के साफ जल / अनिल शंकर झा
चार दिन की जिन्दगी में चेत लो सचेत होय / महेन्द्र मिश्र
चाव सौं चले हौं जोग-चरचा चलाइबै कौं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
चाहत जौ स्वबस संयोग स्याम-सुन्दर कौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
चाहत निकारत तिन्हैं जो उर अन्तर तैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
चिंता-मनि मंजुल पँवारि धूरि-धारनि मैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
चुप रहौ ऊधौ पथ मथुरा कौ गहौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
चेतावनी / शब्द प्रकाश / धरनीदास
चोप करि चंदन चढ़ायौ जिन अंगनि पै / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
चोरोॅ शहजनोॅ के कुशासनो में बसलोॅ छी, / अनिल शंकर झा
चौदह मासूमों की स्तुति / रसलीन
छ
छंदों में तो जैसे राजभोग है घनाक्षरी / नवीन सी. चतुर्वेदी
छट्ठी बरनन / रसलीन
छपरी पे कागा बोलै हुनकोॅ सगुन भाखै / अनिल शंकर झा
छवि को सदन मोद मंडित / घनानंद
छावते कुटीर कहूँ रम्य जमुना कै तीर / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
छिनी गेलै सुख आरो रही गेलै दुख खाली / अनिल शंकर झा
छूटी लटैं अलबेली-सी चाल / प्रवीणराय
छोड़ दो हमारी बाट रोको ना जमूना घाट / महेन्द्र मिश्र
ज
जग सपनौ सौ सब परत दिखाई तुम्हैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
जनकपुर की छवि का वर्णन / शिवपूजन सहाय
जात घनश्याम के ललात दृग कंज-पाँति / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
जातिवादें नाशनें छै सुखशांति सबके ही / अनिल शंकर झा
जानत नहिं लगि मैं / बिहारी
जासों प्रीति ताहि निठुराई / घनानंद
ज आगे.
जीत कें चुनाव काँग्रेसी गंरवाय गये / नाथ कवि
जीते अंगरेज और हारे हर हिटलहर हु / नाथ कवि
जैसे दुर्योधन अनरीत करी भारत में / नाथ कवि
जैहै व्यथा विषम बिलाइ तुम्हें देखत ही / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
जो रे जमदूत अभी अइर्हे तो फेर कभी / अनिल शंकर झा
जोग को रमावै और समाधि को जगावै इहाँ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
जोगिनि की भोगिनि की बिकल बियोगिनी की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
जोहैं अभिराम स्याम चित की चमक ही मैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
ज्यौंही कछु कहन संदेश लग्यौ त्यौंही लख्यौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
ज्वालामुखी गिरि तैं गिरत द्रवे द्रव्य कैधौं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
झ
झूठो संसार सार यामे कछु है ही नाहीं / शिवदीन राम जोशी
झूलत कदम तरे मदन गोपाल लाल / गंगादास
ट
टिकुलिया तरके बिंदिया हजार जीउआ मारे राम / महेन्द्र मिश्र
ठ
ठनाठनी / हरगोविन्द सिंह
ठाढे़ पिक बयनी मृग नयनी लिये सुमन माल / महेन्द्र मिश्र
ठाम-ठाम जीवनबिहीन दीन दीसै सबे / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
ढ
ढोंग जात्यौ ढरकि परकि उर सोग जात्यौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
त
तड़ तड़ तड़ तड़ात धड़ धड़ धड़ धड़ात घिरी गरज गरज जात तड़पत है तड़ाक दें / महेन्द्र मिश्र
तरुण के ताको / विजेता मुद्गलपुरी
तरुनाई आगम ऋतु बरनन / रसलीन
तान दें पताका उच्च हिंद की जहान में / नवीन सी. चतुर्वेदी
तोतई बादामी लाल सबुजी सुरंग रंग / महेन्द्र मिश्र
तोरी-तोरी नोह से तमाँकू तरहत पर / विजेता मुद्गलपुरी
द
दाबि-दाबि छाती पाती-लिखन लगायौं सबै / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
दारिद्र को जारन को नहीं आयो / शिवदीन राम जोशी
दिपत दिवाकर कौं दीपक दिखावै कहा / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
दिल के फफोला पर करूणा के लेप तोंही / अनिल शंकर झा
दिल देलों पत्थरोॅ केॅ, प्यार देलां पत्थरोॅ केॅ / अनिल शंकर झा
दीन दशा देखि ब्रज-बालनि की उद्धव कौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
दीन्यौ प्रेम-नेम-गरुवाई-गुन ऊधव कौं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
दुख-सुख ग्रीषम और सिसिर न ब्यापै जिन्हें / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
दुधिया कमल पर, दुधिया वसन पिन्ही / अनिल शंकर झा
दुनिया के लाख दुःख दूर लखी एक मुख / अनिल शंकर झा
दुनिया सुहानी रात सजलोॅ छै सेज जेकां / अनिल शंकर झा
दुलहिन सिंगार बरनन / रसलीन
दूती को बचन / रसलीन
दूती मनाइबो मानिनी / रसलीन
देखि दूरि ही तैं दौरि पौरि लगि भेंटि ल्याइ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
देखि-देखि आतुरी बिकल-ब्रज-बारिन की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
देखेॅ ई समाजेॅ के विधान सतरंगो केन्हेॅ / अनिल शंकर झा
देशो के आजादी के भी होतै कोनो अर्थ लेकिन / अनिल शंकर झा
द्रौनाचल कौ ना यह छटकयौ कनुका जाहि / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
द्वादश इमामों की स्तुति / रसलीन
ध
धन का घमंड प्यारे मन से तू दूर कर / महेन्द्र मिश्र
धन्य वीर चर्चिल चलाकी की कीनी हद्द / नाथ कवि
धन्य वीर नाहर जवाहर जग जाहर कों / नाथ कवि
धरती शृंगार करी कामिनी के रूप धरी / अनिल शंकर झा
धरि राखौ ज्ञान-गुन गौरव गुमान गोइ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
धाई जित-तित तैं विदाई-हेत ऊधव की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
धाईं धाम-धाम तैं अवाई सुनि ऊधव की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
धानी आसमानी खाकसाही ओ जंगली स्वेत / महेन्द्र मिश्र
धिग् प्राणी / शब्द प्रकाश / धरनीदास
धृष्ट नायक / रसलीन
धोबी से धोबी नहीं लेत हैं धुलाई नाथ / महेन्द्र मिश्र
न
न भूल सके इतने / शिवदीन राम जोशी
नंद और जसोमति के प्रेम पगे पालन की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
नंद जसुदा औ गाय गोप गोपिका की कछु / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
नटखट कृष्ण / सुजान-रसखान
नबी की स्तुति / रसलीन
नवोढ़ा बरनन / रसलीन
नायक को परिहास / रसलीन
नायक को बिरह / रसलीन
नायिका को सयन / रसलीन
नारी बिन घर सुना, नारी बिन देहु सुना / अनिल शंकर झा
नीकी घनी गुननारि निहारि नेवारि / प्रवीणराय
नीति होय चेम्बर चालाकी होय चर्चिल सी / नाथ कवि
(पिछले 200) (
अगले 200
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