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तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
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रचनाकार | रमेश तन्हा |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
ग़ज़लें
- इक चमकते हुए अहसास की जौदत हूँ मैं / रमेश तन्हा
- यूँ तो इक ज़माने से, बे-रफ़ीक़ो तन्हा हूँ / रमेश तन्हा
- बाहर ख़ला है, ज़ात के अंदर भी कुछ नहीं / रमेश तन्हा
- नागहां ऐसा भी क्या हो गया बेज़ा मुझ से / रमेश तन्हा
- उट्ठा है जो तूफ़ान, ज़रा थम भी तो जाये / रमेश तन्हा
- चांद भी ज़र्द-रू हुआ, तारों में भी ज़िया नहीं / रमेश तन्हा
- गायब थी मंज़िलें कहीं रस्ते धुआँ धुआँ / रमेश तन्हा
- पहले ख़ुद को आइने जैसा करो / रमेश तन्हा
- वस्ल क्या चीज़ है जुदाई क्या? / रमेश तन्हा
- मिरी ज़िन्दगी दर्द की सान है / रमेश तन्हा
- हमारी राह में ये आ गये शजर कैसे / रमेश तन्हा
- यूँ तो औरों से उसे प्यार भी हो सकता है / रमेश तन्हा
- शहर के लोग जुदा, शहर का किरदार जुदा / रमेश तन्हा
- हक़ीक़तों को भी उसने सराब ही लिक्खा / रमेश तन्हा
- क्या बनी बात अगर बात बनाई न गई / रमेश तन्हा
- मौत से हो कि न हो, खुद से हिरासां है बहुत / रमेश तन्हा
- ये चीख़ चीख़ के कहता है तजरिबा मेरा / रमेश तन्हा
- इक ठंडी धूप भी शामिल थी अब के सायों की तबाही में / रमेश तन्हा
- यही नहीं कि हम ही जिस्मो-जां की क़ैद में हैं / रमेश तन्हा
- ना-रसी देख कर ज़माने की / रमेश तन्हा
- खुद से मफ़र की राह मिरी ज़ात में नहीं / रमेश तन्हा
- यों तो थे हर नज़र में किनारों के ख़द्दो -ख़ाल / रमेश तन्हा
- ज़िन्दगी है कि है कोई सपना / रमेश तन्हा
- मिरी ज़िन्दगी कट गई धूप में / रमेश तन्हा
- अपनों से भी कुछ लोग महब्बत नहीं करते / रमेश तन्हा
- मुझको औरों से तो क्या, ख़ुद से डर है कितना / रमेश तन्हा
- हम ने गाए ज़िन्दगी तेरे लिए गाने बहुत / रमेश तन्हा
- ओढ़ कर बदलियां सी चला कीजिये / रमेश तन्हा
- मंज़िल का त'ऐयुन है, न रस्ते की ख़बर है / रमेश तन्हा
- कभी धुआँ कभी गर्दो-ग़ुबार हो के चले / रमेश तन्हा
- अगर'चे जिस्म और जां तक भी फ़ानी ले के आया हूँ / रमेश तन्हा
- होने को जो न ख़्वाह थकन का गुमान तक / रमेश तन्हा
रुबाइयात
- अहसास को जब फ़िक्र का दम मिलता है / रमेश तन्हा
- मैं ही हूँ अदम और हूँ मौजूद भी मैं / रमेश तन्हा
- हूँ ला-महदूद मेरी हद कुछ भी नहीं / रमेश तन्हा
- क्यों और किसी का भी सहारा देखो / रमेश तन्हा
- कैसे ग़मे-ज़ीस्त का मुदावा ढूंढें / रमेश तन्हा
- आंखों में कोई ख़्वाब सजा कर देखो / रमेश तन्हा
- अदना सी शिकस्त ने सताया मुझको / रमेश तन्हा
- जब भी कोई नाम से बुलाता है मुझे / रमेश तन्हा
- मैं कौन हूँ किस शय से है जलवत मेरी / रमेश तन्हा
- होने, कि न होने की हक़ीक़त क्या है / रमेश तन्हा
- सूरज हो अगर सब को उजाला बांटो / रमेश तन्हा
- सीने में कोई कर्ब सा बो जाता है / रमेश तन्हा
- मिल ही न सकी सम्ते-सफ़र ढूंढे से / रमेश तन्हा
- हंगामा ज़िन्दगी का है हर जानिब / रमेश तन्हा
- इक आलम बेबसी का है, क्या देखें / रमेश तन्हा
- नैरंगे-मुकाफ़ात से ये जाना है / रमेश तन्हा
- मैं कैसे कहूँ किस से क्या लगता है / रमेश तन्हा
- क्या सोचा था, क्या हो गया, क्या करना है / रमेश तन्हा
- होंटो पे ये मुस्कान कहां से आई / रमेश तन्हा
- आंगन में ठुमकते हुए बच्चे देखो / रमेश तन्हा
- बे-रब्त से कामों में भी रम जाता है / रमेश तन्हा
- तमईज़े-बदो-नेक से आरी, कच्चा / रमेश तन्हा
- सूरज की तमाज़त को तो सब देखते हैं / रमेश तन्हा
- दुनिया के चलन का हो बयां क्या क़िस्सा / रमेश तन्हा
- हालात की तल्ख़ी ने न तोड़ा मुझको / रमेश तन्हा
- इस आलमे-शष जिहात में मेरा वजूद / रमेश तन्हा
- अदना सा वजूद है मिरा, सोचो तो / रमेश तन्हा
- किस काम की ख़ातिर है ये फ़ानी दुनिया / रमेश तन्हा
- कुछ सोच के कहने का मैं आदी भी नहीं / रमेश तन्हा
- घुट घुट के जिया अगर तो जीना क्या है / रमेश तन्हा
- मैं अपने ही साये से डरा करता हूँ / रमेश तन्हा
- क्या जय मिरी हस्ती ने दिखाया मुझको / रमेश तन्हा
- हर सम्त वही रात का पैकर बेनूर / रमेश तन्हा
- बेनूर है हर रात हर मंज़र बेनूर / रमेश तन्हा
- अहसास हुआ है वही जामिद बे-कैफ़ / रमेश तन्हा
- कुल्फत में भी ज़हराब का पीना क्या है / रमेश तन्हा
- तौफ़ीक़ दे मुझको कि मैं नाकाम न हूँ / रमेश तन्हा
- जी में है कि मैं ग़म का सरापा लिक्खूं / रमेश तन्हा
- मुमकिन है कि कुहसार चले या गल जाये / रमेश तन्हा
- अफ़्सुर्दा था मैं, वक़्त ने तेवर बदले / रमेश तन्हा
- जो आँख ने देखा उसे मंज़र लिक्खूं / रमेश तन्हा
- है सोच दरीदा तो दरीदा है रूह / रमेश तन्हा
- बारे-ग़मो-अन्दोह उठा सकता हूँ / रमेश तन्हा
- क्या वक़्त ख़राबी का हुआ है वारिद / रमेश तन्हा
- तहरीर मुक़द्दर की मिटाई न गई / रमेश तन्हा
- अपनी ही तरक़्क़ी से मिटा जाता है / रमेश तन्हा
- तक़दीर से कुछ और न हादी से हुआ / रमेश तन्हा
- ज़हराबे-ग़मे-हयात पी सकता हूँ / रमेश तन्हा
- गर्मी में जो कहते हैं कि बदकार है धूप / रमेश तन्हा
- अदना सी तवक़्क़ो से बहल जाता है / रमेश तन्हा
- सूरज से जो भागे तो था साया आगे / रमेश तन्हा
- सूरज से मफर से हमें हासिल हुआ क्या / रमेश तन्हा
- कुछ और जो सोचें भी तो क्या होता है / रमेश तन्हा
- कुछ लोग हक़ीक़त से बिख़र जाते हैं / रमेश तन्हा
- जीने के लिए सर में कोई ख़ब्त तो हो / रमेश तन्हा
- देखूं तो इक तुर्फा तमाशा सा लगे / रमेश तन्हा
- किस के लिए है, क्यों है, ये दुनिया क्या है / रमेश तन्हा
- तालिब था तू खुद-नुमाई का गर मुझ से / रमेश तन्हा
- भगवान है कण कण में तो मूरत क्या है / रमेश तन्हा
- आया था अभी कोई मुझे मिलने को / रमेश तन्हा
- नैरंगी-ए-हालात से जी डरता है / रमेश तन्हा
- दुनिया के हर रंग को देखा हम ने / रमेश तन्हा
- हम को कभी जब मुसीबतों ने घेरा / रमेश तन्हा
- होना है जो होगा वही डरता क्या है / रमेश तन्हा
- 'तन्हा' तेरी बच्चों की सी ख़सलत न गई / रमेश तन्हा
- कुछ लोग महब्बत से बिख़र जाते हैं / रमेश तन्हा
- तहज़ीबो-तमद्दुन के वो तेवर देखे / रमेश तन्हा
- आईना-ए-अहसास लिए फिरते हैं / रमेश तन्हा
- तखरीब के आसार हैं हर सू, वो कि बस / रमेश तन्हा
- है चार तरफ धूम शरारो-शर की / रमेश तन्हा
- जिस सम्त भी देखो है बमों की बरसात / रमेश तन्हा
- उसलूब जो खास अपना हो पैदा तो करो / रमेश तन्हा
- ऐ काश कि तू मत्न जो मेरा पढ़ता / रमेश तन्हा
- छोड़ो भी अब औरों को समझने का जुनूँ / रमेश तन्हा
- हस्ती को तमाशा कि अजूबा लिक़्खूं / रमेश तन्हा
- क्या है पसे-दीवार, पसे-जां क्या है / रमेश तन्हा
- आशोबे-तमन्ना में दुआ की क़ीमत / रमेश तन्हा
- हैवां हैवानियत में ज़ारी ठहरा / रमेश तन्हा
- फूलों पे तबस्सुम नहीं रहता हर दम / रमेश तन्हा
- पुर-कैफ़ सुहाना कोई मंज़र भी तो हो / रमेश तन्हा
- ये सुब्ह का पुर-कैफ़ सुहाना मंज़र / रमेश तन्हा
- ऐ मौजे-सबा मुझको यूँ ही रहने दे / रमेश तन्हा
- आग़ाज़ से पहले ही है अंजाम की रट / रमेश तन्हा
- इक ज़ात में ढलता हुआ सा अपना वजूद / रमेश तन्हा
- यह ग़म की अता कैसी अता है या रब / रमेश तन्हा
- सपनो में कई मारिके सर करते हैं / रमेश तन्हा
- बस्ती को छोड़ कर विभूति मल कर / रमेश तन्हा
- रह रह कर आती है दिल में इक बात / रमेश तन्हा
- क्यों अपनी ज़रूरत का ही आवाज़ा हो / रमेश तन्हा
- दर-पेश मसाइल ही कुछ ऐसे हैं कि बस / रमेश तन्हा
- खुद अपने ही तजरिबात से डरता हूँ / रमेश तन्हा
- वो जलती दुपहरी वो ठिकाना क्या था / रमेश तन्हा
- याद आता है गांव बस कि सपना बन कर / रमेश तन्हा
- कुछ करने से क्या होता है सच कहता है / रमेश तन्हा
- मंज़िल को पहुंच पाना कोई बात नहीं / रमेश तन्हा
- सूरज के चक्कर में आकर सब लोग / रमेश तन्हा
- इंसान की उम्मीद के लटके देखो / रमेश तन्हा
- हर बात जो तुम कहते हो सच्ची तो नहीं / रमेश तन्हा
- मुझको भरी बज़्म में लताड़ा उसने / रमेश तन्हा
- उट्ठा है क़दम जो, पीछे हटने का नहीं / रमेश तन्हा
- जब तजरिबे ने जर्ब लगाई, लिक्खी / रमेश तन्हा
- अहसास का जब आंख भर आई लिक्खी / रमेश तन्हा
- जब ओस में इक किरन नहाई लिक्खी / रमेश तन्हा
- हमको ये जहां-दादा बुज़ुर्गों ने कहा / रमेश तन्हा
- सब लोग खुदा से बर-मला मांगते हैं / रमेश तन्हा
- इक सिलसिलहे-ग़लत-बयानी हूँ मैं / रमेश तन्हा
- हम देश, विदेश में कहीं भी घूमें / रमेश तन्हा
- बच्चों को यतीम छिड़ देती है मौत / रमेश तन्हा
- क्या कैफो-मस्ती है और क्या है सुरूर / रमेश तन्हा
- करते नहीं अपने इसियां को क़ुबूल / रमेश तन्हा
- कब ज़ात से मुतमइन हूँ खुद अपनी मैं / रमेश तन्हा
- वो भी हैं जो हाथ में लेकर शमशीर / रमेश तन्हा
- उन से नहीं अब कुछ इमकाने-गुफ्तार / रमेश तन्हा
- इक झोंका हवा का हूँ मैं, तूफां तो नहीं / रमेश तन्हा
- इस दौर में इंसान का अहवाल है क्या / रमेश तन्हा
- सरकश का सर गोड़ के रख देती है / रमेश तन्हा
- अपनी हर जंग खुद ही लड़ना है मुझे / रमेश तन्हा
- अहसास के शोलों को हवा देता है / रमेश तन्हा
- कैसी ये ज़फ़र-याबी है, कैसी है ये जीत / रमेश तन्हा
- यह अपना वतन पाक है मिट्टी जिसकी / रमेश तन्हा
- जो हाथ बढ़ा कहां रिफाक़त का है / रमेश तन्हा
- ऐ मुर्गे-तखैयुल परे-परवाज़ हिला / रमेश तन्हा
- सर-सब्ज़ जज़ीरा हूँ मैं अपने पन का / रमेश तन्हा
तराइले
- मेरे ज़ौक़-ए-जुस्तजू ने सर किये मिर्रीख़ो-माह / रमेश तन्हा
- हम कहकशां की हद से भी आगे निकल गये / रमेश तन्हा
- हम तो झोंके हैं अज़ल ही से, हवा के 'तन्हा' / रमेश तन्हा
- हर मरहला हयात का पहला कदम लगा / रमेश तन्हा
- वो तबस्सुम-रेज़ भी हैं और तग़ाफ़ुल केश भी / रमेश तन्हा
- ज़िन्दगी क़ैद से भी बद-तर है / रमेश तन्हा
- ये कल की फ़िक्र में जीना, ये रोज़ का मरना / रमेश तन्हा
- आदमी अस्ल है लिबास नहीं / रमेश तन्हा
- कौन था जो साथ अपने सब उजाले ले गया / रमेश तन्हा
- जानता हूँ कि मुझे धूप निगल जायेगी / रमेश तन्हा
- कर रही है शहर को मिस्मार दीवारों के बीच / रमेश तन्हा
- जाने इस में शौक़ के कितने सफ़ीने ग़र्क़ हैं / रमेश तन्हा
- ढूंढ लूंगा जिस दिन अपने आपको / रमेश तन्हा
- क्यों रोज़ बदल जाता है हर शख़्स का चेहरा / रमेश तन्हा
- बात कुछ नहीं समझाता मुझे आइना हर रोज़ / रमेश तन्हा
- अपने ही आंसुओं से करो अब लबों को तर / रमेश तन्हा
- ये दौरे-हादिसात है, इसमें अमां कहां / रमेश तन्हा
- आदमी है आदमीयत से जुदा / रमेश तन्हा
- मैं हैरत-ज़दह तक रहा था ख़ला में / रमेश तन्हा
- रास कब आयेगा पत्तों पे सोना ओस का / रमेश तन्हा
- मैं तुझे प्यार भी करता हूँ बहुत / रमेश तन्हा
- तुम को भी दिल का चैन मयस्सर नहीं होता / रमेश तन्हा
- उस फ़लक की नीली पीली वुसअतें किस काम की / रमेश तन्हा
- ग़म की पहनाई में क्या है चंद लम्हों की ख़ुशी / रमेश तन्हा
- ऐन मुझ सा है मगर मुझसे अलग है कितना / रमेश तन्हा
- फ्रांस से आया यहां पर तराइले / रमेश तन्हा
- ऐ बशर तू जादा-ए-हस्ती में तन्हा ही रहा / रमेश तन्हा
- रुख़-ए-हयात न ढलता कभी अगर उसका / रमेश तन्हा
- भूली हुई शिनाख़्त की परछाइयों में गुम / रमेश तन्हा
- रूई का इक पहाड़ है या तोंदा बर्फ़ का / रमेश तन्हा
- दिल मुक़द्दर की तीरगी ने डसा / रमेश तन्हा
- धूप के दश्त में भी ऐसा मैं तन्हा तो न था / रमेश तन्हा
- आईना बन सका न मैं खुद अपनी ज़ात का / रमेश तन्हा
- तेरी शीरीनी-ए-सुख़न की क़सम / रमेश तन्हा
- गूंगे बहरों की तरह रहते हैं हम / रमेश तन्हा
- डूबते सूरज का मंज़र ख़ूबसूरत है, मगर / रमेश तन्हा
- जल बुझ के उसने ओढ़ ली फिर हसरतों की राख / रमेश तन्हा
- इक आग है हर गुल में, इक ख़्वाब है पत्थर में / रमेश तन्हा
- प्यार से भी क्यों देखे, सिरफिरी हवा मुझको / रमेश तन्हा
- जो मैंने आइना देखा तो ये खुला मुझ पर / रमेश तन्हा