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मेहर सिंह
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मेहर सिंह
जन्म | अनुमानित 1916 |
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निधन | 1944 |
जन्म स्थान | बरोणा, सोनीपत, हरियाणा |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
मेहर सिंह / परिचय |
किस्सा सरवर नीर
- भिक्षा घाल दे मेरै / मेहर सिंह
- म्हारा राजपाट ले लिया फकीर नै / मेहर सिंह
- वे दुनिया मै दुःख पावैगे पिया जिन के पास ईमान नही / मेहर सिंह
- लिकड़ चले थे जहान म्ह सब मालक टुकड़ा देगा / मेहर सिंह
- रोटी लता चालज्या इसा काम ले ले नै / मेहर सिंह
- हम चलते चलते हारे पिताजी बियाबान मे / मेहर सिंह
- ले डाट सरा मे भठियारी तेरी आशा करकै आए / मेहर सिंह
- हेरी भागवान तेरे साथ मै म्हारा कट ज्यागा बख्त आराम तै / मेहर सिंह
- पत्ते ले कै चल्या राव जिब शहर लिया मर पड़कै / मेहर सिंह
- बिना सनन्द के माणस धोरै मत भेजै भठियारी / मेहर सिंह
- मेरी आत्मा दुःख पारी सै रोब जमावै मतना / मेहर सिंह
- क्यू पारी सै काल चाल म्हारे मौज करया करिए रै / मेहर सिंह
- साच बतादे भठियारी इन बालका की मा कित सै / मेहर सिंह
- म्हारी माट्टी पिटगी हो इस भठियारी कै आण कै / मेहर सिंह
- बाप और बेटा छोड़ सरा नै फेर रोवते चाले / मेहर सिंह
- घर मे था काफी मालो खजाना / मेहर सिंह
- मा बाप का ख्याल छोड़ दे भाई रै / मेहर सिंह
- ये दिन तै भाई सब मै आवै सै / मेहर सिंह
- बाप डूबग्या दरिया के म्हा मा जननी गई खोई / मेहर सिंह
- दूध और भोजन मिलै खाण नै नहाण नै ताता पाणी / मेहर सिंह
- बेईमान कै दिन की खातिर ले कै चलल्या बुराई / मेहर सिंह
- खेलिए और खाईये यो धन माल तेरा सै / मेहर सिंह
- अपणे मुह तै माता कहकै आज डिगालिया ध्यान तनै / मेहर सिंह
- लागै झोल घुघट खोलिए परी / मेहर सिंह
- मत और तरहा बतलाईये रे पापी तेरी बहाण बराबर लागू सू / मेहर सिंह
- मेरे कमरे मै चालिए गौरी / मेहर सिंह
- रै सौदागर बैरी एक दम कर्या क्यू अधेरा / मेहर सिंह
- पणमेशर ने रात बणा दी दिन की / मेहर सिंह
- कित सरवर कित नीर, कित बन्दे की ज्यान सै / मेहर सिंह
- छुटग्या अमृतसर का बास / मेहर सिंह
- इस दुनिया मै दुःख देखण नै सरवर नीर उतारे / मेहर सिंह
- हाथ हथकड़ी पाया बेड़ी गले मै चोप गिराया क्यू / मेहर सिंह
- अमृतसर था गाम राम नै काढ़ दिये घर तै / मेहर सिंह
- हम दोनू भाई ईब सुणादे जुणसा जिक्र कल था / मेहर सिंह
- चोर जार बदमाश लुटेरे सरवर नीर नही सै / मेहर सिंह
किस्सा अंजना पवन
- पवन भूप नै बान बैठा कै नायण नुहावण लागी / मेहर सिंह
- जब बरात चढ़ा कै करी थी चलण की त्यारी / मेहर सिंह
- कमाया खाया करिए, बेटी सासरे के बास मैं / मेहर सिंह
- हे आज्या बहु तनै तारण आई वार क्यूं करै सै उतरया तलै / मेहर सिंह
- बसंत माला, चन्द्रमणी थारे संग मैं राजदुलारी / मेहर सिंह
- आच्छी कोन्या लागी अंजना पवन भूप के जोड़े मैं / मेहर सिंह
- कुछ ना बर तेरा हे, तेरी अंजना जोड़ी ना मिली / मेहर सिंह
- करया सवाल जहर अमृत का या तकरार चलाई अक ना / मेहर सिंह
- मैं काला तूं भूरी थी आज क्यूकर राणी बणगी / मेहर सिंह
- उजडैगें घर बीर मर्द की जित आपस मैं तकरार बणी / मेहर सिंह
- ईच्छा पूरी करण की खातिर आओ सो मेरै याद पिया / मेहर सिंह
- लड़ाई मैं जां सूं रै गौरी तूं घरां बैठी मौज उड़ाया करिए / मेहर सिंह
- तम्बू कै म्हां पवन जागता फौज पड़ी सौवै थी / मेहर सिंह
- अंजना का मुंह देखे मंत्री ग्यारा साल हो लिए / मेहर सिंह
- दुःख की कैद पड़ी गौरी नै साल बाहरवां जा सैं / मेहर सिंह
- सुपने के म्हां दई दिखाई खुद अंजना के बारे मैं / मेहर सिंह
- ग्यारा साल हुऐ अंजना तै फेटण नै जी करग्या / मेहर सिंह
- पवन भूप नै फोटू ले लिया उस अंजना प्यारी का / मेहर सिंह
- बारा साल मैं आज आण कै क्यूकर श्यान दिखाई तनै / मेहर सिंह
- मुझ निरभाग के दर पै / मेहर सिंह
- बदलगे विचार बदी मैं नीत टेक ली / मेहर सिंह
- डूब गई बेहूदी अंजना कर दिये बारा बाट तनै / मेहर सिंह
- फेर कहूं मनै कती करी ना बिल्कुल कार उल्हाणे की / मेहर सिंह
- इसी बदनामी तै आच्छा कितै डूब कै मरज्या / मेहर सिंह
- छोडूंगी नहीं घर तैं ताहे बिना / मेहर सिंह
- हे बेहुदी उल्टी होले आड़ै के शान दिखावण आई सै / मेहर सिंह
- छाती कै म्हां मुक्का मारया अंजना राणी नै / मेहर सिंह
- दरबारां मैं शोर माचर्या थूकैं दासी दास तनै / मेहर सिंह
- अपणे हाथां क्यू ना गेर दी कुऐं कै म्हां ठा कै / मेहर सिंह
- तेरी अंजना बेटी बुरे कर्म तै बिल्कुल बची हुई सै / मेहर सिंह
- पीहर सासरा खसम गोसांई हाथ बात ईश्वर कै / मेहर सिंह
- नोमां महीना गर्भवती मेरे आसंग ना गोड्यां मैं / मेहर सिंह
- हर नै बिपता गेरी ढेरी कर राखी सै तन की / मेहर सिंह
- कर्मां मैं लिख राखी ठोकर खानी बाबा जी / मेहर सिंह
- लुट गई मामा हो मेरा इस दुनियां में गुजार नहीं है / मेहर सिंह
- मेरे पति का नाम पवन है मैं जिस कै गल लाई थी / मेहर सिंह
- रहै तै रहै बेटी की ढ़ालां करकै ख्याल कुटी पै / मेहर सिंह
- जंगल झाड़ बोझड़यां मैं फिरूं अंजना अंजना करता / मेहर सिंह
- अंजना के फिकर नै दुनियां तै खोया रै / मेहर सिंह
- ना तै जल कै खो दूं ज्यान टकासी जी मुट्ठी में ले रह्या / मेहर सिंह
- अग्नि धौरे कोण खड़या मैं तनै देख कै डर ली / मेहर सिंह
- क्यूं रोवै, खोवै टोहवै के हूर की परी रै / मेहर सिंह
- भर आया आख्यां में पाणी मामा की शक्ल पछाण कैं / मेहर सिंह
किस्सा चाप सिंह
- पल-पल हो रही वार भूप या समय नहीं सै खोणे की / मेहर सिंह
- तेरे बिना भरतार आड़ै जी लागै नहीं अकेली का / मेहर सिंह
- म्हारे खानदान की इज्जत कै तूं बट्टा लाईये मतना / मेहर सिंह
- बार-बार मनै अजमा राखे मतलब के इन्सान पिया / मेहर सिंह
- तनै खोले नहीं किवाड़ देख रहा बाट चौबारे आळी / मेहर सिंह
- शेरखान नै मिली कटारी आनन्द होगी काया / मेहर सिंह
- गयै घर की बैठी हो लिए रै / मेहर सिंह
- थारै घरनै सरा सरी रै, तेरी उल्टी बहल हंका देता / मेहर सिंह
- तेरी मुट्ठी में ज्यान मेरी / मेहर सिंह
- जीवण जोगा छोड़्या कोन्या सुणले माणस खाणी / मेहर सिंह
- निरदोसी सै बहुत तेरी सिर दोस लगावै मतना / मेहर सिंह
- सहम सफाई तारया करती भरी पड़ी सै मल की / मेहर सिंह
- मार चाहे दुत्कार ज्यान तेरे चरणां कै म्हां गेरी / मेहर सिंह
- और कसर रहरी हो तै दो जूत मार ले सिर मैं / मेहर सिंह
- तनै रजपुतां के बट्टा ला दिया अमर कहाणी कर दी / मेहर सिंह
- फांसी का दिया हुक्म सुणा सही दिन और तारिख गिण कै / मेहर सिंह
- सोमवती ने धर्म छोड़ दिया ईब जी कै करणा के सै रै / मेहर सिंह
- शान तलक भी ना देखी ये चीज कहां से लाया तूं / मेहर सिंह
- लाड़ करूं तेरे रै / मेहर सिंह
किस्सा सुभाष चन्द्र बोस
- चढ़गी शर्म लिहाज आज मै कोन्या बोलण जोगी / मेहर सिंह
- थोड़े दिन की बात तेरी जय भारत माता होगी / मेहर सिंह
- बिशनपुरी तै भारतमाता कलकत्ते में आई / मेहर सिंह
- ढके ढकाऐ ढ़ोल रहाण दे के लेगा इन बातां मैं तैं / मेहर सिंह
- भारत देश गुलाम म्हारा आजाद करूंगा लड़कै / मेहर सिंह
- बोस इसी साड़ी ल्यादे दुःख उमर भर का हो / मेहर सिंह
- ठापा और चतेरा छापा फैशन और ढंग देख लिए / मेहर सिंह
- भरा खुशी में बोस जणु बनड़े का बाबू ब्याह मैं / मेहर सिंह
- घर आए माणस के सिर नै काट्या ना करते / मेहर सिंह
- बिजली केसा चान्दणा हो रहा चौबारे मैं / मेहर सिंह
- थारे केसा माणस सूं कृष्णा राम गिणो मतना / मेहर सिंह
- रणभूमि के मैदान में बीरां का काम नहीं सै / मेहर सिंह
- बरसण लागे फूल बोस पै हाथ मिला हिटलर तै / मेहर सिंह
- झट बोस बहादुर सिंगापुर में आऐ / मेहर सिंह
किस्सा सत्यवान सावित्री
- उस मालिक का भजन करु जै म्हारी जोट मिलावै / मेहर सिंह
- मै बूझू सू तनै परदेसी कित घर गाम तुम्हारा / मेहर सिंह
- न्यू पजर सूख कै होग्या / मेहर सिंह
- जित बैठी थी पचायत करी राम राम कर जोड़ कै / मेहर सिंह
- पहलम तै मनै जाण नही थी तनै यो के अटखेल किया / मेहर सिंह
- सत्यवान पति मेरा जीओ चाहे मरो / मेहर सिंह
- तेरी जात बीर की तू डर र र ज्यागी / मेहर सिंह
- लाम्बी लाम्बी गर्दन जणै मोर की बहु / मेहर सिंह
- आ बेटी तेरे लाड़ करू मनै बेटे तै भी प्यारी / मेहर सिंह
- ईश्वर ने करी सै मेरे मन की पुरी आस / मेहर सिंह
- आज बणखड की हवा खाण नै जी कर रह्या सै मेरा / मेहर सिंह
- कुछ जतन करै नै मेरी नार हुयआ बेहोस घघेळा छावै सै / मेहर सिंह
- पिया पिया करु पिया ना बोल्या / मेहर सिंह
- मरती बरिया प्राण पति के लाड़ आखरी कर ले / मेहर सिंह
- रोया करिए देख चाद दिन चौदस के नै मेरी हूर की परी / मेहर सिंह
- मै चरण गहुगी थारे लाज राख मेरे प्यारे / मेहर सिंह
- हाय हाय राम जी मेरी ना आई / मेहर सिंह
- माग बेटी तू कोए और वरदान ले / मेहर सिंह
- तेरी बात ना कच्ची जुबानी रहैगी / मेहर सिंह
पद्मावत
- ठाठ भीतर बैठ ग्या जा कै / मेहर सिंह
- सामण झोंका जोर का हे सखी सै रै रै रै / मेहर सिंह
- रुकके दे लिए जागै कोन्या, तूं कूण मुशाफिर सै / मेहर सिंह
- हट जा नै दूर पापण क्यूं सोंवते के सिर पै चढ़गी रै / मेहर सिंह
- कूणसी सलाह सै तेरी / मेहर सिंह
- गया लुट-पिट झटपट घूंघट खोलिए रै / मेहर सिंह
- सुथरी शान का छोरा / मेहर सिंह
- दो झूलैं दो झोटे देरी और खड़ी थी जड़ मैं / मेहर सिंह
- मार्या रै चन्द्रदत्त ना जिया जा / मेहर सिंह
- बड़े बड़यां ने सिर मार्या सै इन बीरा तै बतलावण मैं / मेहर सिंह
- मरुंगी मेरी आश नहीं सै जीण की / मेहर सिंह
- यो पूत सै बिराणा हे / मेहर सिंह
- उसतै मिलना चाहूं फेर कै / मेहर सिंह
- परदेशी नै छुटवा दिन्हां खेलणा और खाणा री / मेहर सिंह
- खो दे ज्यान कऐ मैं पड़कै के चारो ओड़ रहे ना / मेहर सिंह
- बूझ बेहूदी काह्ल तला पै भाजी नहीं अंघाई करकै / मेहर सिंह
- सुती पड़ी पलंग पै देखी था मासूक निराला / मेहर सिंह
- आपस मैं मिला के हाथ मुस्करा कर गाना गाने लगी / मेहर सिंह
- शान देख कै राज कंवर की सीली काया होगी / मेहर सिंह
- गये घर की बैठी हो लिए रै / मेहर सिंह
- घली हथकड़ी हाथां कै म्हां सिर धुण कै नै रोया / मेहर सिंह
- दो बात, करी थी बागां मैं / मेहर सिंह
किस्सा राजा हरिश्चंद्र
- हुकम हजुरी करूं जरूरी नहीं जबरदस्ती है / मेहर सिंह
- कोए माणस ना दिया दिखाई गया बैठ सबर सा कर कै / मेहर सिंह
- दिल की प्यारी हे रै रै क्यूं ना घड़ा ठुवाया / मेहर सिंह
- तूं भंगी कै नौकर सै कदे जल झारी का भटज्या / मेहर सिंह
- अन्न भंगी का करके खाया मेरी माफ करो गलती / मेहर सिंह
- मतना मारै लात का-लिए समय आवणी जाणी / मेहर सिंह
- पड़या बाग में रोवै से के लाल बिछड़ग्या तेरा / मेहर सिंह
- अरी क्यूं शोर कर्या म्हारे बाग में रो रो रूकके दे री / मेहर सिंह
- के बुझैगा माली के मेरा बेटा मर ग्या / मेहर सिंह
- के आंख्या पै धरी ठेकरी ईब लग नहीं पिछाणी / मेहर सिंह
- जो मालिक तै दगा करै वो नमक हरामी हो सै / मेहर सिंह
- लिखे कर्म मेटन की तै उस कै भी हाथ नहीं सै / मेहर सिंह
- मत रोवै नार रै मेरे बस का काम नहीं सै / मेहर सिंह
- कर ले नै कबूल काले मनै ल्या के दिया रै / मेहर सिंह
- करले खरा महशूल तेरे मरघट का टोटा भरज्या / मेहर सिंह
किस्सा जगदेव बीरमती
यह किस्सा भी शहीद मेहर सिंह द्वारा पूरा बनाया गया है लेकिन पूरा किस्सा न मिलने के कारण हम कुछ रागनियां ही आपके सामने प्रस्तुत कर सके हैं जो निम्न प्रकार हैं-
- के पाछै तै डूबा पड़गो होग्या मूंह काळा / मेहर सिंह
- जगदेव पति तेरा / मेहर सिंह
- बेईमान तेरी बदमाशी का सब निर्णय हो ज्यागा / मेहर सिंह
- सिर तवाई पिता छोड़ डिगरग्या, आज मां भी मरगी / मेहर सिंह
- दुखिया का धर्म बचाईये हो राम / मेहर सिंह
- चौगरदे कै पुलिस सै खड़ी खोल दे किवाड़ प्यारी / मेहर सिंह
- तला पै देखी बीरमती ना पाई / मेहर सिंह
- ध्यान लगा कै देख्या तै एक हूर तला पै लेटी देखी / मेहर सिंह
- बारां साल तैं रहूं बणां म्हं दिल की प्यारी मैं / मेहर सिंह
- इस थरे बजार म्हं एक बै उसने बुलवा दियो / मेहर सिंह
- वीरमती कदे उठ चली जा बेठी इसी तला पै पाइये / मेहर सिंह
- खूब तमाशा देख लिया तनैं वेश्या की यारी म्हं / मेहर सिंह
- एकली मैं बैठी ताल पै री / मेहर सिंह
- एक कमरा चाहिए खास राम की सूं / मेहर सिंह
- पतिव्रता का सत आजमावण आप बेश्वां चाली / मेहर सिंह
- विफता गेर दई हर नै / मेहर सिंह
किस्सा अजीत राजबाला
यह किस्सा भी शहीद मेहर सिंह द्वारा पूरा बनाया गया है लेकिन हमारे पास इसकी भी थोड़ी बहुत रागनियां ही इकट्ठी हो पाई हैं जो इस प्रकार हैं -
- मैं भी उस की गैल मरूंगी समझा दिये प्यारे नै / मेहर सिंह
- राजबाला नै ब्याह देगा अपणी मान बड़ाई कर कै / मेहर सिंह
- मरग्या बाप लड़ाई मैं / मेहर सिंह
- मेरे बाबुल का साहुकारा मनै सुण राख्या था जैसलमेर मैं। / मेहर सिंह
- जो लाला तै काम कह्या था वो पूरा होग्या सारा / मेहर सिंह
- रजपूती कै बोझ मरै तेरी इज्जत भारी ना सै / मेहर सिंह
- पिया तूं न्यारा मैं न्यारी, खड़ी रात नै पहरे पै सब सोवैं नरनारी / मेहर सिंह
- मतना बोलै राजबाला कदे मारे जां बिन आई / मेहर सिंह
किस्सा वीर हकीकत राय
- डोला डाट कहार के मेरा पिया दिखै सै / मेहर सिंह
- जा कै नै छटवा ल्यारी क्यूं बैठी भूल मैं / मेहर सिंह
- ला द्यो ला द्यो हकीकत कै फांसी / मेहर सिंह
- हकीकत की जान काढ ल्यो और के चाहवो सौ / मेहर सिंह
किस्सा काली चरण (काला चांद)
यह किस्सा भी शहीद मेहर सिंह द्वारा पूरा तथा बहुत ही अच्छा बनाया गया था लेकिन पूरा किस्सा कहीं भी नहीं मिल रहा है। जो बातें हम इकट्ठा कर सके हैं वे आपके सामने हैं-
- रै शहजादी के थूकैगी पंचायत / मेहर सिंह
- वेदां आले मन्त्र कोन्या सारा उल्टा काम लाग्या / मेहर सिंह
- जीवांगे तै प्यार मोहब्बत दिन और रात करांगे / मेहर सिंह
- निकाह पढ़ा चाहे फेरे लेले तेरी दोनूं तरियां राजी / मेहर सिंह
- मेरी बिगड़ी जा सै जात बात सुणियो ध्यान तै मेरी / मेहर सिंह
- कुछ ब्राहमण पाखंडी देखे तीर्थ पै करैं कमाई / मेहर सिंह
- देख लिया सारै कै फिरकै सच्चा भगवान मिल्या नां / मेहर सिंह
- मन्दिरां म्हं मुस्टण्डे बैठे उतां का ठीक गुजारा देख्या / मेहर सिंह
- चाल शहजादी निकाह पढ़ा ले रस्ता टोहणा पड़ग्या / मेहर सिंह
- इसै फिकर मैं खाणा पीणा जहर होग्या रै / मेहर सिंह
हीर-रांझा
हरनन्दी का भात
रूप बसन्त
फ़ुटकर रागनियाँ
- पीसण खातर चाक्की झो दी फौजी की होगी त्यारी / मेहर सिंह
- मैं कदकी रूक्के दे रही / मेहर सिंह
- छुट्टी के दिन पूरे होग्ये / मेहर सिंह
- जब इकतालीस के सन म्हं / मेहर सिंह
- बज्जर कैसा ह्र्दय करकै / मेहर सिंह
- के बातां का जिक्र करूं बस / मेहर सिंह
- परदेशां म्हं चाल दिया दिल / मेहर सिंह
- हे करकै घाल तडपती छोडी / मेहर सिंह
- होए ससुर मेरा भी छोह मैं आवै / मेहर सिंह
- छ: मिहने मैं / मेहर सिंह
- हां सक्करपारे / मेहर सिंह
- हां भरती होउगा / मेहर सिंह
- फ़ौज मै जाकै भूल ना जाइये / मेहर सिंह
- रणभूमी के मैदान मै / मेहर सिंह